सौरव गांगुली ने भारतीय टीम के मैच फिक्सिंग काण्ड के बाद टीम की कमान संभाली थी। सौरव गांगुली के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ थी और टीम में कई खिलाड़ी नए आए थे। इस सबके बाद भी सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट में एक नई इबारत लिखी जिसे आज भी सब याद करते हैं। सौरव गांगुली की कप्तानी की खास बात यही थी कि वे कभी भी फैसले लेने से हिचकते नहीं थे। इसके अलावा उनके निर्णय चौंकाने वाले भी होते थे। आलोचकों की परवाह किये बिना दादा अपनी सोच और समझ से फैसले लेते थे।
सौरव गांगुली ने भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों को मौके देकर बनाने का काम किया है। उन्होंने जिस खिलाड़ी में प्रतिभा देखी उसे टीम में लाए और सीखने के लिए अवसर प्रदान किया। यही खासियत थी कि दादा की कप्तानी में खेलने वाले खिलाड़ी उनके साथ हमेशा खड़े रहते हैं। भारतीय टीम को विदेशों में जीतना दादा ने ही सिखाया था। वर्ल्ड कप और चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल में भी दादा की टीम पहुंची थी। इन सबके पीछे उनके बेबाक फैसले हैं। सौरव गांगुली अपनी कप्तानी में कभी प्रयोग करने में संकोच नहीं करते थे। इस आर्टिकल में सौरव गांगुली के 3 ऐसे फैसलों का जिक्र किया गया है जिनसे भारतीय क्रिकेट में बदलाव आया।
सौरव गांगुली के 3 साहसिक फैसले
राहुल द्रविड़ को विकेटकीपर बनाना
भारतीय टीम में एक अच्छे ऑल राउंडर की कमी को देखते हुए सौरव गांगुली ने अतिरिक्त बल्लेबाज को जगह देने की योजना बनाई। इसके लिए उन्हें किसी प्रयोग की जरूरत थी और वह राहुल द्रविड़ को कीपर बनाकर किया। राहुल द्रविड़ को कीपर बनाने से भारतीय टीम में अतिरिक्त बल्लेबाज के लिए जगह बनी और टीम इंडिया ने 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई। इससे पहले भारतीय टीम ने 2002 चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में भी जगह बनाई जहाँ श्रीलंका और भारत की टीमें संयुक्त विजेता थी।
वीरेंदर सहवाग को टेस्ट ओपनर बनाना
वीरेंदर सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मध्यक्रम में खेलते हुए टेस्ट डेब्यू किया था और शतक बनाया। सौरव गांगुली ने उनकी आक्रामक अप्रोच देखते हुए बतौर ओपनर भेजना शुरू कर दिया। यह प्रयोग भी कामयाब रहा और आगे चलकर वीरेंदर सहवाग ने दो तिहरे शतक बतौर ओपनर जड़े और विश्व के सभी गेंदबाजों की धुनाई भी की।
ईडन गार्डंस में सचिन तेंदुलकर से गेंदबाजी करवाना
भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडन गार्डंस में खिलाफ शिकंजा कस दिया था। राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की रिकॉर्ड साझेदारी से ऐसा मुमकिन हुआ था। पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया टीम ड्रॉ करवाने की तरफ बढ़ रही थी। गांगुली ने सचिन को गेंद थमाई और उन्होंने गिलक्रिस्ट, हेडन और शेन वॉर्न का विकेट लेकर इस निर्णय को सही साबित कर दिया।