टी-20 क्रिकेट में इन तीन बड़े बदलावों से और भी बढ़ जाएगा खेल का रोमांच

ज़्यादातर लोग टी-20 क्रिकेट को सिर्फ़ रनों की तेज़ रफ़्तार और चौकों-छक्कों की बारिश से जोड़कर देखते हैं, जबकि यह भी क्रिकेट का ही एक प्रारूप है और इसलिए वनडे और टेस्ट की तरह ही बल्ले और गेंद के बीच की स्वाभाविक लड़ाई होती है। 200 रनों का स्कोर तो अब टी-20 के खेल में आम हो चुका है, जो संकेत है कि धीरे-धीरे टी-20 में बल्लेबाज़ों की भूमिका गेंदबाज़ों पर हावी होती जा रही है और अब यह दो बल्लेबाज़ों के बीच की प्रतियोगिता बनकर रह गया है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम ऐसे तीन संभावित बदलावों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो इस प्रारूप में गेंदबाजों की अहमियत को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं:

Ad

#1 विकेटों की संख्या हो जाए आधी

10 मौके, यानी बल्लेबाज़ी करने वाली टीम के हाथों में 10 विकेट। 20 ओवरों में इतने मौके, गेंदबाज़ों के उपर भारी साबित होते हैं। ज़्यादातर टीमों के बैटिंग स्कॉयड में धुरंधर बल्लेबाज़ों की भरमार है। साथ ही, जिस तरह की पिचों पर टी-20 मैच खेले जा रहे हैं, उनपर अंतरराष्ट्रीय स्तर के बल्लेबाज़ों के विकेट लेना गेंदबाज़ों के लिए सहज साबित नहीं हो रहा। अगर इन विकेटों की संख्या को 5 या 6 तक सीमित कर दिया जाए तो गेंदबाज़ों का क़द कुछ बढ़ जाएगा और बल्लेबाज़ी करने वाली टीम पर दबाव बनेगा क्योंकि उनके पास ग़लतियां करने के मौके कुछ कम हो जाएंगे। यह स्थिति कुछ 'सुपर ओवर' जैसी हो सकती है, जिसमें बैटिंग टीम के हाथ में सिर्फ 2 मौके होते हैं।

#2 गेंदबाज़ों पर न पड़े बैटिंग पॉवर-प्ले की मार

पॉवर-प्ले ओवर्स का कॉन्सेप्ट वनडे में उपयुक्त जान पड़ता है क्योंकि यह बल्लेबाज़ों को 50 ओवरों के दौरान अलग-अलग फेज़ में आक्रामक रूप से खेलने का मौका देता है। इससे इतर टी-20 में 20 में से शुरूआती 6 ओवरों में 30 यार्ड की रेखा के बाहर सिर्फ़ दो फील्डर्स, खेल को पूरी तरह से बल्लेबाज़ी कर रही टीम के पक्ष में झुका देते हैं। छोटी बाउंड्रीज़, तेज़ आउटफ़ील्ड्स और लगभग फ़्लैट पिचें; इन परिस्थितियों में किसी अच्छे बल्लेबाज़ को नियंत्रण में रखना, गेंदबाज़ों के लिए लगभग नामुमकिन सा होने लगता है। पॉवर-प्ले का विकल्प अगर टी-20 के प्रारूप से ख़त्म हो जाए और फ़ील्डिंग कर रही टीम के पास पूरी पारी के दौरान 5 फ़ील्डर्स 30 यार्ड के सर्किल से बाहर रखने का विकल्प हो, तो बल्लेबाज़ों के सामने अपनी तकनीक को और बेहतर करने की चुनौती होगी, जो बेहद रोमांचक भी साबित होगी।

#3 बढ़ जाए गेंदबाज़ों का कोटा

हालिया नियम के मुताबिक़, टी-20 में एक गेंदबाज़ सिर्फ़ 4 ओवरों का स्पेल ही कर सकता है। ज़्यादातर मौकों पर गेंदबाज़ी कर रही टीम के कप्तान को अपने पार्ट-टाइम गेंदबाज़ के विकल्प को आज़माना पड़ता है। अगर चार मुख्य गेंदबाज़ों में से किसी भी एक का स्पेल ख़राब होता है (जिसकी संभावनाएं पर्याप्त होती हैं) तो कप्तान के लिए गेंदबाज़ी का विकल्प ढूंढना बड़ी चुनौती बन जाता है। अगर कप्तान को किन्हीं दो गेंदबाज़ों से 5 ओवर कराने की छूट हो तो पार्ट-टाइम बोलर की आज़माइश सिर्फ़ 2 ओवरों तक ही सीमित रहेगी। ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ों को भी अच्छे बोलर्स का सामना कुछ और ओवरों तक करना पड़ेगा, जो इस छोटे प्रारूप में काफ़ी निर्णायक हो सकता है। लेखकः किशोर वी नाथ अनुवादकः देवान्श अवस्थी

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
Cricket
Cricket
WWE
WWE
Free Fire
Free Fire
Kabaddi
Kabaddi
Other Sports
Other Sports
bell-icon Manage notifications