#2 गेंदबाज़ों पर न पड़े बैटिंग पॉवर-प्ले की मार
पॉवर-प्ले ओवर्स का कॉन्सेप्ट वनडे में उपयुक्त जान पड़ता है क्योंकि यह बल्लेबाज़ों को 50 ओवरों के दौरान अलग-अलग फेज़ में आक्रामक रूप से खेलने का मौका देता है। इससे इतर टी-20 में 20 में से शुरूआती 6 ओवरों में 30 यार्ड की रेखा के बाहर सिर्फ़ दो फील्डर्स, खेल को पूरी तरह से बल्लेबाज़ी कर रही टीम के पक्ष में झुका देते हैं। छोटी बाउंड्रीज़, तेज़ आउटफ़ील्ड्स और लगभग फ़्लैट पिचें; इन परिस्थितियों में किसी अच्छे बल्लेबाज़ को नियंत्रण में रखना, गेंदबाज़ों के लिए लगभग नामुमकिन सा होने लगता है। पॉवर-प्ले का विकल्प अगर टी-20 के प्रारूप से ख़त्म हो जाए और फ़ील्डिंग कर रही टीम के पास पूरी पारी के दौरान 5 फ़ील्डर्स 30 यार्ड के सर्किल से बाहर रखने का विकल्प हो, तो बल्लेबाज़ों के सामने अपनी तकनीक को और बेहतर करने की चुनौती होगी, जो बेहद रोमांचक भी साबित होगी।