क्रिकेट के मैदान पर अम्पायर की एक ख़ास और बड़ी भूमिका होती है क्योंकि खेल को वही चलाता है और अम्पायर का निर्णय ही सर्वोपरी और अंतिम माना जाता है। अम्पायर को कम समय में निर्णय देना होता है और कई बार यह गलत भी होता है। पहले के जमाने में अम्पायरिंग सबसे मुश्किल कार्य हुआ करता था क्योंकि उस समय तकनीक नहीं थी। तकनीक आने के बाद विकल्पों में बढ़ोतरी हुई है और अम्पायरों का काम भी आसान हुआ है। कुछ अम्पायर ऐसे हुए हैं जिनके निर्णय भारतीय टीम के खिलाफ कई बार रहे हैं। उनकी आलोचना भी काफी हुई और भारतीय फैन्स के निशाने पर भी ये अम्पायर अक्सर रहते थे।
सचिन तेंदुलकर को कई मौकों पर अम्पायर के गलत फैसले का शिकार होकर पवेलियन लौटना पड़ा। ऐसे ही कुछ अन्य बल्लेबाजों के साथ भी हुआ और अम्पायरों पर उँगलियाँ भी उठी। इस आर्टिकल एम् 3 ऐसे अम्पायर रहे हैं जिनके फैसले भारतीय टीम के खिलाफ कई बार गए हैं।
मार्क बेंसन
ऑस्ट्रेलिया में 2007-08 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में सिडनी के उस मैच को कौन भूल सकता है जिसमें अम्पायरों ने कई गलतियाँ की और भारत को मैच में पराजय का सामना करना पड़ा। बेंसन उस मैच में अम्पायर थे। बेंसन ने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग से पूछकर आउट या नॉट आउट का फैसला दिया। भारतीय टीम के खिलाफ 6 फैसले गए और मैच में अम्पायरों के काम को लेकर काफी सवाल खड़े हुए। इसके बाद से भारतीय फैन्स मार्क बेंसन को निशाने पर लेते रहे हैं।
स्टीव बकनर
मार्क बेंसन के साथ सिडनी में स्टीव बकनर भी खड़े थे। वह भी गलत फैसलों में शामिल थे। इसके अलावा भी स्टीव बकनर ने सचिन तेंदुलकर को 3 से 4 बार गलत आउट दिया है। 2003-04 के पर्थ टेस्ट मैच में सचिन को बकनर ने गलत आउट दिया। 2005 के कोलकाता टेस्ट में भी यही हुआ था। इसके अलावा बकनर ने खुद के 100वें टेस्ट में भी सचिन को गलतआउट दिया, उस समय तेंदुलकर शतक बनाकर खेल रहे थे। सचिन के मामले में बकनर ने काफी गलतियाँ की और वह कई बार शतक बनाने से भी चूके।
अशोका डी सिल्वा
श्रीलंका का यह अम्पायर अगर खुद के देश में भारत के खिलाफ अम्पायर होता था तो एक निर्णय तो जरुर टीम इंडिया के खिलाफ होता था। 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सौरव गांगुली को उन्होंने गलत आउट दिया था। उनकी आलोचना भी इसको लेकर हुई थी। खराब अम्पायरिंग के कारण ही उन्हें आईसीसी ने एलिट पैनल से 2011 में हटा दिया था।