क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें कुछ चुनिंदा लोग ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में सफल हो पाते हैं। क्रिकेट जगत में बहुत कम खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने किसी अन्य नौकरी के साथ-साथ क्रिकेट के प्रति अपना प्रेम कम नहीं होने दिया और अंत में अपनी टीम का अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने में कामयाब रहे। ना केवल इन्हें भाग्य का साथ मिला और वे अपने देश के लिए खेल पाए बल्कि इन्होने क्रिकेट इतिहास में कई रिकार्ड भी अपने नाम किये।
इस आर्टिकल में हम उन तीन खिलाड़ियों के बारे में जानेंगे जो क्रिकेटर बनने से पहले किसी और व्यवसाय में नौकरी करते थे लेकिन उन्होंने अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से अपने आप को महान क्रिकेटरों की फेहरिस्त में लाकर खड़ा कर दिया:
नाथन लियोन - पिच क्यूरेटर
वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर नाथन लियोन का एक पिच क्यूरेटर से लेकर एक बेहतरीन स्पिनर बनने तक का सफर सचमुच में प्रेरणादायक है। इस समय नाथन लियोन की गिनती विश्व के सबसे घातक स्पिनरों में की जाती है। ऑस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वॉर्न के संन्यास लेने के बाद कंगारू टीम की क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में नियमित नंबर 1 स्पिनर की तलाश लियोन पर जाकर खत्म हुई।
आपको यह जानकर हैरान होगी कि एक क्रिकेटर बनने से पहले वह ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड ओवल मैदान में एक पिच क्यूरेटर के रूप में काम करते थे। पहली बार उन्हें 2011 में ऑस्ट्रेलिया के श्रीलंका दौरे के लिए टीम में शामिल होने का अवसर मिला था। इस दौरे में उन्होंने अपने पहले ओवर की पहली ही गेंद पर श्रीलंकाई बल्लेबाज़ कुमार संगकारा को आउट कर सनसनी फैला दी थी।
इसके बाद उन्होंने अपने पहले मैच में 34 रन देकर 5 विकेट लिए थे। तब से लियोन ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा है और अब वह टेस्ट टीम का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। 2013 में, वह 100 टेस्ट विकेट लेने वाले सबसे युवा स्पिनर बने और इसके कुछ साल बाद वह टेस्ट इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के सफलतम ऑफ स्पिनर भी बन गए।
शेन बॉन्ड - पुलिस अधिकारी
क्रिकेट इतिहास के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक न्यूजीलैंड के पूर्व स्टार गेंदबाज शेन बॉन्ड अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बनने से पहले उनके गृहनगर क्राइस्टचर्च में एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम करते थे। पुलिस अधिकारी बनने से पहले वह घरेलू क्रिकेट खेलते थे लेकिन, 1999-2000 में पुलिस कॉलेज में प्रशिक्षण के दौरान उन्हें क्रिकेट से थोड़ी देर के लिए नाता तोड़ना पड़ा लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
पुलिस कॉलेज में छुट्टियों के दौरान उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया और अंत में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पर्दापण करने में सफल रहे। बॉन्ड ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेलरिव ओवल में अपने अंतराष्ट्रीय करियर का आगाज़ किया।
अपने 9 साल के छोटे क्रिकेट करियर में स्पीडस्टर ने 18 टेस्ट मैचों में न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व किया और 87 विकेट लिए जिसमें एक बार दस विकेट और पांच बार पांच विकेट शामिल हैं। वहीं 82 वनडे मैचों में उन्होंने 147 विकेट लिए जिसमें 19/6 उनका सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी आंकड़ा रहा। इसके अलावा क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में बॉन्ड ने 20 मैचों 25 विकेट लिए। अपने छोटे क्रिकेट करियर में बॉन्ड चोटों से काफी परेशान रहे जिसकी वजह से उनका करियर लंबा नहीं चल सका।
नाथन लियोन - पिच क्यूरेटर:
वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर,नाथन लियोन का एक पिच क्यूरेटर से लेकर एक बेहतरीन स्पिनर बनने तक का सफर सचमुच में प्रेरणादायक है। इस समय नाथन लियोन की गिनती विश्व के सबसे घातक स्पिनरों में की जाती है। ऑस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वॉर्न के संन्यास लेने के बाद कंगारू टीम की क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में नियमित नंबर 1 स्पिनर की तलाश लियोन पर जाकर ख़त्म हुई।
आपको यह जानकर हैरान होगी कि एक क्रिकेटर बनने से पहले वह ऑस्ट्रेलिया के एडीलेड ओवल मैदान में एक पिच क्यूरेटर के रूप में काम करते थे। पहली बार उन्हें 2011 में ऑस्ट्रेलिया के श्रीलंका दौरे के लिए टीम में शामिल होने का अवसर मिला था। इस दौरे में उन्होंने अपने पहले ओवर की पहली ही गेंद पर श्रीलंकाई बल्लेबाज़ कुमार संगकारा को आउट कर सनसनी फैला दी थी। इसके बाद उन्होंने अपने पहले मैच में 34 रन देकर 5 विकेट लिए थे। तब से लियोन ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा है और अब वह टेस्ट टीम का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। 2013 में, वह 100 टेस्ट विकेट लेने वाले सबसे युवा स्पिनर बने और इसके कुछ साल बाद, वह टेस्ट इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के सफलतम ऑफ स्पिनर भी बन गए।
महेंद्र सिंह धोनी - टिकट कलेक्टर
भारत के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटर बनने से पहले महेंद्र सिंह धोनी भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर थे। 90 के दशक के आखिरी सालों में रांची से बोकारो तक की ट्रेन यात्रा उनकी दिनचर्या का हिस्सा थी और वह रेलवे में ही करियर बनाने और क्रिकेट खेलने की इच्छा रखते थे।
बाद में 2001-2003 तक वह खड़गपुर में एक टिकट कलेक्टर के पद पर रहे। रणजी ट्रॉफी 2003 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अगले ही साल भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला और इसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद 2007 में उनकी कप्तानी भारत ने पहला टी-20 विश्व कप जीता और चार साल बाद 28 साल के लंबे अंतराल के बाद भारतीय टीम विश्व विजेता बनी। धोनी अब भी टीम इंडिया का हिस्सा हैं। धोनी ने 327 वनडे मैचों में 50.62 की शानदार औसत से 10123 रन बनाए हैं।