भारत देश के ज़्यादातर नागरिकों के लिए क्रिकेट महज़ एक खेल ही नहीं बल्कि जुनून से भी कहीं बढ़कर है। जब टीम इंडिया कोई मैच खेलती है तो करोड़ों निगाहें टीवी सेट और मोबाइल फ़ोन पर जम जाती हैं। कई बच्चों को ख़्वाब होता है कि वो एक दिन टीम इंडिया की जर्सी पहनकर अंतरराष्ट्रीय मैच खेलें। एक अरब से ज़्यादा की जनसंख्या के बीच रहकर भारतीय टीम में जगह बना पाना किसी लॉटरी जीतने से कम नहीं होता।
विश्वभर में जितनी टीम इंडिया के फ़ैंस की तादाद है, वो दुनिया के किसी भी टीम के चाहने वालों के मुक़ाबले कहीं ज्यादा है। जब भारतीय टीम का मैच होता है तो स्टेडियम के टिकट के दाम और टीवी रेटिंग बेहद ज़्यादा होते हैं। विज्ञापन की दुनिया के मालिकों और प्रायोजकों के लिए टीम इंडिया का मैच ऊंची कमाई का ज़रिया होता है। यही वजह है कि बीसीसीई आज दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट संस्था है।
भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों पर मैच खेलते वक़्त करोड़ों दर्शकों की उम्मीदों का बोझ होता है। टीम इंडिया की जीत की दुआएं हर जगह की जाती है। भारत की हर गली, हर मोहल्ले और हर मैदान में इस खेल का बोलबाला है। टीम इंडिया के अहम मैचों दौरान देश लगभग ठहर सा जाता है। ये उस जुनून को दर्शाता है जिसका नाम है ‘क्रिकेट’। ऐसे में यहां भारतीय क्रिकेटर्स की क्या अहमियत होती है ये बताने की ज़रूरत नहीं है।
भारत देश के निवासियों के लिए क्रिकेट खिलाड़ी किसी रोल मॉडल से कम नहीं होते। संन्यास लेने के बाद भी कई क्रिकेटर्स के चाहने वालों की संख्या में कमी नहीं आती। उनके कई खेल को काफ़ी लंबे वक़्त तक याद किया जाता है। भारत में कई महान क्रिकेट खिलाड़ियों का जन्म हुआ है। हम यहां भारत के 3 सबसे महान क्रिकेटर्स को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
#3 कपिल देव
कपिल देव ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने विश्व में टीम इंडिया के वर्चस्व की नींव रखी थी। उनके दौर में ही भारत ने क्रिकेट की दुनिया में अपना दबदबा बनाना शुरू किया था। वो भारत के बेहतरीन तेज़ गेंदबाज़ों में से एक थे। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेट हासिल किए थे और न्यूज़ीलैंड के सर रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़ा था। कपिल को 20वीं सदी का सबसे महान भारतीय खिलाड़ी भी घोषित किया जा चुका है।
साल 1983 के वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया को जीत का दावेदार ज़रा भी नहीं माना जा रहा था। किसी को ये उम्मीद नहीं थी कि भारतीय टीम कुछ बड़ा कमाल कर पाएगी। कपिल देव ने अपनी कप्तानी में भारत को पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। उन्होंने लीडरशिप की मिसाल कायम की थी। विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम की किस्मत ही बदल गई थी और इसका श्रेय कपिल देव को जाता है।
कपिल सिर्फ़ अच्छी गेंदबाज़ी ही नहीं बल्लेबाज़ी शानदार बल्लेबाज़ी भी करते थे। उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप के एक मैच में 175 रन की पारी खेली थी। वनडे में उन्होंने 3000 से ज़्यादा और टेस्ट में 5000 से अधिक रन बनाए हैं। फ़ील्डिंग में भी कपिल किसी से कम नहीं थे। वनडे में उन्होंने 71 और टेस्ट में 64 कैच लपके हैं।
#2 सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र अपने टेस्ट करियर का आग़ाज़ किया था। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। क्रिकेट की दुनिया में वो महानतम बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं, लेकिन भारतीय फ़ैंस के लिए वो किसी रोल मॉडल से कम नहीं हैं। उन्होंने न सिर्फ़ कई रिकॉर्ड बनाए हैं, बल्कि अपने व्यवहार से भी दुनियाभर के लोगों का दिल जीता है।
उन्होंने अपने खेल के ज़रिए भविष्य के बल्लेबाज़ों को प्रेरणा दी है। बल्लेबाज़ी के ज़्यादातर कीर्तिमान उनके ही नाम हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 51 और वनडे 49 शतक लगाए हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने 34 हज़ार से ज़्यादा रन अपने नाम किए हैं। यही सचिन तेंदुलकर की महानता का सबूत है। हांलाकि उन्हें ज़्यादा टी-20 खेलने का मौका नहीं मिला।
बतौर गेंदबाज़ भी सचिन तेंदुलकर ने कई कमाल किए हैं। वनडे में उन्होंने 154 और टेस्ट में 46 विकेट हासिल किए हैं। 50 ओवर के फ़ॉर्मेट में उन्होंने 2 दफ़ा एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा किया है। इसके साथ-साथ वो एक बेहतरीन फ़ील्डर भी थे। वनडे में उन्होंने 140 और टेस्ट में 115 कैच पकड़े हैं। सबसे ज़्यादा टेस्ट (200) और वनडे (463) खेलने का रिकॉर्ड भी सचिन तेंदुलकर के नाम है।
#1 महेंद्र सिंह धोनी
धोनी ने टीम इंडिया को जिस ऊंचाइयों पर पहुंचाया है उसे सदियों तक याद किया जाएगा। जब उन्हें सीमित ओवरों के खेल के लिए टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया था, तब कई लोग उनकी क़ाबिलियत पर शक कर रहे थे। साल 2007 में धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को आईसीसी वर्ल्ड टी-20 का ख़िताब दिलाया था। धोनी यहीं नहीं रुके उन्होंने साल 2011 के आईसीसी वर्ल्ड कप में भी भारत को चैंपियन बनाया।
साल 2013 में भारत ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी महेंद्र सिंह धोनी की ही कप्तानी में जीती थी। इसके अलावा उन्होंने टीम इंडिया को टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर पहुंचाया था। उन्होंने न सिर्फ़ बल्लेबाज़ी और कप्तानी में कमाल दिखाया, बल्कि स्टंप के पीछे कैच पकड़ने, रन आउट आउट करने और स्टंपिंग करने में उनका कोई जवाब नहीं है। धोनी दुनिया के एकलौते कप्तान हैं जिन्होंने अपनी टीम को सभी आईसीसी ट्रॉफ़ी जिताई है।
धोनी ने क्रिकेट में कप्तानी की परिभाषा ही बदल कर रख दी थी। वो मैदान में संयम से काम लेते थे। हालात चाहे कैसे भी हों वो ठंडे दिमाग से फ़ैसला लेना पसंद करते थे। संभावित हार को जीत में कैसे बदलना है, वो धोनी बख़ूबी जानते थे। वो ख़तरा उठाने में माहिर थे। वो इस बात पर यकीन करते हैं कि, “सबसे बड़ा रिस्क होता है, रिस्क न लेना”।
लेखक- खोज़ेमा अलयामनी
अनुवादक- शारिक़ुल होदा