टी-20 क्रिकेट के इस दौर में आज भी टेस्ट को क्रिकेट का सबसे बेहतरीन फॉर्मेट माना जाता है। यहाँ बल्लेबाज के खेलने से तरीके से मानसिक मजबूती तक की परीक्षा होती है। टी20 के आने के बाद से टेस्ट मैचों की लोकप्रियता जरूरत कम हुई है लेकिन खेल के जानकार आज भी खिलाड़ियों की क्वालिटी टेस्ट के आंकड़ों से भी मापते हैं। टेस्ट क्रिकेट की सबसे खास बात होती है पिच। हर देश के बल्लेबाजों को अलग तरीके की पिच मिलती है जो बल्लेबाजों के खेल जा टेस्ट लेती है। इसके साथ ही 5 दिनों के टेस्ट मैच में खिलाड़ी या टेस्ट की एक छोटी कमजोरी उसे मैच में हार का मुंह दिखा सकती है। भारतीय टीम के लिए भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर जाकर प्रदर्शन करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। इसके बावजूद टीम के कप्तान ने कई बार आपने खेल से पूरी टीम का भार उठाया है। आज हम आपको भारतीय कप्तान द्वारा खेली ऐसी ही पारियों के बारे में बताने जा रहे हैं। #3 विराट कोहली- 141 बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी फिलिप ह्यूज के दुखद मौत के बाद शुरू हुई इस टेस्ट सीरीज के पहले मैच में नियमित कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चोट की वजह से विराट कोहली को कप्तानी करने का मौका मिला। ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहली पारी 517/7 पर घोषित कर दी। भारतीय टीम कप्तान कोहली के शतक के बावजूद अपनी पहली पारी में 444 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में तेजी से बल्लेबाजी करते हुए कंगारुओं ने 290 रनों पर अपनी पारी घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 364 रनों का लक्ष्य मिला। धवन और पुजारा के विकेट गिरने के बाद कोहली ने विजय के साथ शानदार बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम को लगभग जीत तक पहुंचा दिया था। विजय के आउट होने के बाद किसी भी बल्लेबाज ने कोहली का साथ नहीं दिया। कप्तान विराट कोहली ने मैच के पांचवें दिन 175 गेंदों में 141 रनों की पारी खेली लेकिन इसके बावजूद भारतीय टीम यह मैच 48 रनों से हार गई।#2 सौरव गांगुली- 144 बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड 2003 विश्वकप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी हार झेलने के बाद उसी साल के अंत में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई। सौरव गांगुली की कप्तानी वाली इस टीम ने ब्रिस्बेन में पहला टेस्ट मैच खेला। उस समय दुनिया की सबसे खतरनाक टीम माने जाने वाली ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 323 रन बनाये। भारतीय टीम को शुरूआती झटके लगने के बाद कप्तान सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण के साथ पिच पर टिक गए। दोनों ही बल्लेबाजों ने 5वें विकेट के लिए करीब 150 रनों की साझेदारी बनाई। लक्ष्मण ने जहां 75 रन बनाए वहीं दादा ने 196 गेंदों पर 144 रनों की पारी खेली। इस पारी की बदौलत भारतीय टीम को पहली पारी में 86 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त मिल गई। इसके बाद आक्रामक माने जाने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम भी मैच बचाने को देखने लगी और अंत में यह मैच ड्रा रहा।#1 राहुल द्रविड़- 81 और 68 बनाम वेस्टइंडीज, जमैका वेस्टइंडीज की पिचे हमेशा बल्लेबाजों का टेस्ट लेती हैं। यहाँ तेज गेंदबाजों के साथ ही स्पिनरों के लिए भी काफी मदद होती है। 2006 में वेस्टइंडीज दौरे पर गई भारतीय टीम को सीरीज का अंतिम मैच जमैका में खेलना था। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम के दोनों सलामी बल्लेबाज 1 और 0 बनाकर पवेलियन लौट गए। गेंदबाजी के लिए मददगार इस पिच पर भारतीय दीवार राहुल द्रविड़ ने 215 गेंदों पर 81 रनों की जुझारू पारी खेली। उनकी पारी की बदौलत भारतीय टीम पहली पारी में 200 रन तक पहुँच पाई। पहली पारी में विंडीज टीम मात्र 103 रन ही बना पाई। दूसरी पारी में भी भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही लेकिन 166 गेंदों में 68 रन बनाकर द्रविड़ ने भारत के स्कोर को 171 तक पहुंचा दिया। अंत में भारत ने इस मैच को 49 रनों से जीत लिया। भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने भले ही इस मैच में शतकीय पारी नहीं खेली लेकिन दो ऐसी पारियां खेल दी जो हमेशा याद की जाएंगी। लेखक: सिद्धार्थ राजपूत अनुवादक: ऋषि