3 भारतीय बल्लेबाज़ जिन्होंने अपने करियर में सबसे कम रन चौकों-छक्कों से बनाए हैं

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क्रिकेट एक लोकप्रिय और ग्लोबल खेल है। वर्तमान समय में खिलाड़ी चौकों-छक्कों से रन बनाना ज़्यादा पसंद करते हैं लेकिन फिर भी काफी बल्लेबाज़ ऐसे हैं जो ताबड़तोड़ खेलने की बजाय एक-दो रन लेकर अपने स्कोर को आगे बढ़ाते हैं। इनमें कुछ भारतीय बल्लेबाज़ भी हैं।

क्रिकेट के सबसे छोटे टी-20 प्रारूप के आगमन से तेज गति से रन बनाना अनिवार्य हो गया है, ऐसे में बल्लेबाज़ लगभग हर गेंद को सीमा-रेखा के पार पहुंचाने की फिराक में रहते हैं। इससे वर्तमान समय में हमें पहले के मुकाबले चौकों-छक्कों की बरसात ज़्यादा देखने को मिलती है। लेकिन, उत्कृष्ट गेंदबाजों से निपटने के लिए स्ट्राइक को रोटेट करना भी ज़रूरी है। चौकों-छक्कों के साथ साथ एक-दो रन बनाने को हम कम कर के नहीं आंक सकते।

तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीन महान भारतीय बल्लेबाज़ों के बारे में जिन्होंने चौकों-छक्कों की बजाय एक-दो रन के साथ अपने स्कोर को आगे बढ़ाया है:

1.राहुल द्रविड़

राहुल द्रविड़ क्रिकेट इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में से एक थे। उन्हें भारतीय टीम का सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ माना जाता था। हालांकि वह सीमित ओवरों के क्रिकेट के लिए आदर्श विकल्प नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कई मील के पत्थर स्थापित किये हैं।

भारतीय टीम की 'रीढ़ की हड्डी' कहे जाने वाले द्रविड़ मध्य क्रम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे। उनको आउट कर पाना विपक्षी गेंदबाज़ों के लिए टेढ़ी खीर होता था और लगभग हर मैच में टिक कर खेलने की उनकी क्षमता उन्हें अन्य बल्लेबाज़ों से अलग करती थी। द्रविड़ के टेस्ट करियर की बात करें तो उन्होंने 164 मैचों में 13,288 रन बनाए हैं जिनमें से केवल 6,476 रन उन्होंने चौकों और छक्कों से बनाए हैं, जबकि 6542 रन उन्होंने विकेटों के बीच दौड़ कर बनाए हैं। ववनडे क्रिकेट में 10889 रनों में से 6837 रन उन्होंने विकेटों के बीच दौड़ लगाकर बनाए थे।

2. वीवीएस लक्ष्मण

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हैदराबाद के कलात्मक बल्लेबाज़ वीवीएस लक्ष्मण भारतीय टीम के मध्य क्रम का बेहद अहम हिस्सा थे और उन्होंने राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर कई यादगार पारियाँ खेली हैं और भारत को कई मैच जिताये हैं। मोहम्मद अज़हरुद्दीन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनके पास भी कलाइयों का इस्तेमाल करने की अनूठी क्षमता थी।द्रविड़ की तरह ही लक्ष्मण भी पिच पर टिक कर खेलते थे और विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों के लिए हमेशा परेशानी का सबब रहे।

लक्ष्मण के टेस्ट करियर की बात करें तो उन्होंने अपने करियर में 134 मैचों 8781 रन बनाए हैं जिनमें से 4211 रन उन्होंने विकेटों के बीच दौड़ लगाकर बनाए हैं और 2388 वनडे रनों में 1476 रन उन्होंने एक-दो रन लेकर बनाए हैं।

लक्ष्मण के क्रीज़ पर रहते हुए विपक्षी गेंदबाज़ों के रन प्रवाह को रोकना बहुत मुश्किल होता था क्योंकि वह बड़े शॉट खेलने की बजाय निरंतर स्ट्राइक रोटेट करना ज़्यादा पसंद थे।

3. चेतेश्वर पुजारा

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वर्तमान समय में टीम इंडिया की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा को टीम में राहुल द्रविड़ का उत्तराधिकारी माना जाता है। पुजारा की बल्लेबाज़ी में अक्सर द्रविड़ की छाया दिखाई देती है। वह अपनी शांत और रचनात्मक प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं।

पुजारा ने नाबाद 206 के अपने उच्चतम स्कोर के साथ 64 टेस्ट मैचों में 49.55 की औसत से 4905 रन बनाए हैं। इनमें से 2499 रन उन्होंने सिर्फ विकेटों के बीच दौड़ लगाकर पूरे किये हैं। अपनी धीमी बल्लेबाज़ी शैली की वजह से पुजारा को अभी तक सिर्फ 5 वनडे मैचों में ही खेलने का मौका मिला है जिनमें उन्होंने सिर्फ 51 रन बनाए हैं और इनमें से 35 रन उन्होंने दौड़कर बनाए हैं।

सौराष्ट्र में पैदा हुए इस क्रिकेटर ने 2010 में एमएस धोनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज़ किया था और अभी उनमें काफी क्रिकेट बची है। भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे में खेले जाने वाली टेस्ट सीरीज़ में वह कप्तान कोहली के लिए ट्रम्प कार्ड साबित हो सकते हैं।

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