इस बात में बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं है कि दुनिया में हर कोई गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने की महत्वकांक्षा रखता है। इसके बावजूद, बेहद कम लोग ही इस प्रतिष्ठित सूची में विशिष्ठ स्थान प्राप्त करने में सफल होते है।
वैसे तो क्रिकेट जगत में आये दिन ढेर सारे रिकॉर्ड टूटते और बनते रहते है। ऐसे कई विश्व रिकॉर्ड भी बन जाते है जिसे तोड़ पाना असंभव प्रतीत होता है। इसी प्रकार के विशेष किर्तिमान "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में समाविष्ट होने के प्रबल दावेदार बनते है।
अगर बात करें क्रिकेट की तो यह खेल भी इस आकांक्षित सूची में स्थान पाने में सक्षम रहा है, कई सारे खिलाड़ियों को उनके असाधारण कौशल और कभी भी हिम्मत न हारने वाले साहसपूर्ण रवैये के कारण यह सम्मान प्रदान किया गया है। योग्यता और अद्वितीय गुणों से भरपूर इन खिलाड़ियों ने बेहद आसानी से विश्व की सबसे सम्मानजनक माने जाने वाली किताब को अपनी ओर आकर्षित किया है।
आज हम उन तीन भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बात करने जा रहे है जिनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया गया है।
#1. महेंद्र सिंह धोनी (सबसे महंगा बल्ला)
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में महेंद्र सिंह धोनी का नाम बेहद शान और सम्मान के साथ लिया जाता है। यह बात तो जगजाहिर है कि धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने अभूतपूर्व सफलताएं हासिल की है।
लेकिन बहुत ही कम लोग इस बात से परिचित है कि जादुई कप्तान धोनी का नाम "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में भी शुमार है। पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने रिबॉक के बल्ले की बदौलत (जिससे उन्होंने वर्ष 2011 विश्वकप के फाइनल में छक्का जड़कर भारत को विश्वविजेता बनाया था) इस कीर्तिमान को हासिल करने में कामयाब रहे है।
धोनी द्वारा युनाइटेड किंगडम के लंदन शहर में आयोजित किये गए इवेंट "ईस्ट मीट्स वेस्ट" के दौरान उनके इस खास बल्ले को आरके ग्लोबल शेयर्स ने 100,000 युरो (161,295 डॉलर) में खरीदा था। इस फंड से जमा हुई धनराशि का उपयोग "साक्षी फाउंडेशन" के अंतर्गत सुविधा से वंचित गरीब बच्चों के विकास और बेहतर भविष्य के लिए किया गया था।
#2. राजा महाराज सिंह (सबसे उम्रदराज प्रथम श्रेणी खिलाड़ी)
बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) के गवर्नर राजा महाराज सिंह को काफी देर बाद क्रिकेट के प्रति अपने जज्बे का अहसास हुआ। देर से ही सही उन्होंने अपने इस सपने को साकार किया। कठपुरा के शाही परिवार में जन्मे महाराज सिंह ने 72 वर्ष और 192 दिनों की आयु में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिख दिया।
उनका पदार्पण मैच गवर्नर इलेवन और कॉमनवेल्थ इलेवन के बीच में था। महाराज सिंह गवर्नर इलेवन की टीम का नेतृत्व कर रहे थे, वे खेल के पहले दिन नौंवे स्थान पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरे, मगर तुरंत ही उन्हें पवेलियन लौटना पड़ा क्योंकि महज 4 रन बनाकर वह फर्स्ट स्लिप में कैच दे बैठे थे। आउट होने के बाद पूरे मुकाबले के दौरान वे फील्ड पर वापस नहीं लौटे, जिसके चलते पटियाला के यादवेंद्र सिंह ने उनकी गैरमौजूदगी में टीम की कमान संभाली थी।
#3. विराग मारे (सबसे लंबा नेट्स सत्र)
विराग मारे सड़कों पर वड़ापाव बेचकर अपना जीवन व्यतीत करते थे, लेकिन इसी बीच उन्होंने अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई से पुणे शिफ्ट होने का निर्णय लिया।
सबको अचंभे में डालकर 24 वर्षीय युवा खिलाड़ी ने 24 दिसंबर 2015 के दिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा दिया। इस नवयुवक के नाम क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक व्यक्तिगत रूप से नेट्स सत्र में अभ्यास करने का रिकॉर्ड उपलब्ध है। पिछले रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए मारे ने 3 दिन और 2 रात तक बल्लेबाजी की।
कार्वेनगर स्थित महालक्ष्मी मैदान पर मारे ने 22 दिसंबर को नेट्स में खेलना शुरू किया, इस दौरान उन्होंने 2,247 ओवर खेलकर 14682 गेंदों का 50 घंटे पांच मिनट और 51 सेकंड के लिए सामना किया। ऐसा करते हुए विराग ने डेव न्यूमैन और रिचर्ड वेल्स का नेट्स सत्र में 48 घंटों तक बल्लेबाजी करने का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया।