एशिया कप के पहले मैच में बांग्लादेश के सलामी बल्लेबाज तमीम इकबाल टूटे हाथ के बावजूद बल्लेबाजी करने मैदान पर पहुंचे। उन्होंने एक हाथ से ही बल्ला पकड़ा और गेंद का सामना भी किया। उसी पारी की दूसरी ओवर में तमीम के साथ पर श्रीलंका के तेज गेंदबाज सुलंगा लकमल की गेंद लग गई थी। उसके बाद उन्हें हॉस्पिटल भी जाना पड़ा था लेकिन जब बांग्लादेश के 9 बल्लेबाज पवेलियन लौट गए और मुशफिकुर रहीम दूसरे छोर पर अकेले बच गए तो तमीम को बल्लेबाजी के लिए आना पड़ा।
तमीम इकबाल ने भले ही सिर्फ एक गेंद का सामना किया लेकिन मुशफिकुर ने 32 रन बनाकर अपनी टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया। इसके बाद गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत बांग्लादेश ने 137 रनों से इस मैच को जीत लिया।
तमीम इकबाल ने ऐसा कर 3 भारतीय खिलाड़ियों की याद दिला दी। आईये आपको उनके बारे में बताते हैं।
अनिल कुंबले- बनाम वेस्टइंडीज, एंटीगा (2002)
वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगुआ में बल्लेबाजी के दौरान अनिल कुंबले के मुंह पर मर्वन डिल्लन की गेंद लग गई। कुबले ने खून गिरने के बाद भी बल्लेबाजी करना जारी रखा। पारी खत्म होने के बाद उन्हें पता चला कि उनका जबड़ा टूट गया है और वह सीरीज में आगे हिस्सा नहीं ले सकते।
अगले दिन उनकी फ्लाइट थी और उन्हें भारत वापस भी लौटना था लेकिन कुंबले टूटे जबड़े के साथ मैदान पर उतरे। उन्होंने चेहरे पर बैंडेज लपेटकर लगातार 14 ओवर की गेंदबाजी की। उन्हें इतनी दर्द थी कि हर ओवर के बाद बैंडेज को सेट करना पड़ता था। कुंबले ने उस 14 ओवर की गेंदबाजी में ब्रायन लारा को एलबीडबल्यू भी आउट किया। अनिल कुंबले जबरदस्त क्रिकेट थे। उन्होंने गेंदबाजी में भारत वही किया जो सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी में किया था। हालाँकि, कुंबले जो वह ख्याति नहीं मिल पाई।
मोहिंदर अमरनाथ- बनाम वेस्टइंडीज, बारबाडोस (1983)
मोहिंदर अमरनाथ वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने चयनकर्ताओं को "जोकरों का झुण्ड" कह दिया था। ना सिर्फ उनके शब्द कड़क थे बल्कि वो भी ऐसे ही थे। 1983 विश्वकप से कुछ महीने पहले ही भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी। सभी को सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि लंबे अरसे के साथ टीम में वापसी कर रहे मोहिंदर अमरनाथ कुछ खास कर पाएंगे।
उस समय वेस्टइंडीज के पास एंडी रोबर्ट्स, जोल गार्नर, माइकल होल्डिंग और मैलकॉम मार्शल जैसे 4 खूंखार तेज गेंदबाज थे। इसी सीरीज के चौथे टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाजी के लिए कहा। अमरनाथ ने पहली पारी में 91 रन बनाई और दूसरी पारी में 18 रन बनाकर खेल रहे थे तभी उन्हें मैलकॉम मार्शल की गेंद लग गई। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल जाना पड़ा और 6 टांके लगे।
हॉस्पिटल से लौटकर अमरनाथ ने अपने कपड़ों से खून साफ किया और विकेट गिरने के बाद बल्लेबाजी करने पिच पर पहुँच गए। इस बार होल्डिंग ने बाउंसर से उनका स्वागत किया लेकिन उन्होंने गेंद छक्के के लिए पहुंचा दिया। उन्होंने 80 रनों की पारी खेली।
सचिन तेंदुलकर - बनाम पाकिस्तान, चेन्नई (1999)
पाकिस्तान के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में भारत को चौथी पारी में जीत के लिए 271 रनों की जरूरत थी। पाकिस्तान के पास उस समय वसीम अकरम और वकार युनिस जैसे तेज गेंदबाज थे। वकार ने 6 रनों पर ही दोनों भारतीय सलामी बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया। इसके बाद सचिन बल्लेबाजी करने उतरे। जल्द ही 82 के स्कोर पर भारत के आधे बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे।
सचिन उस समय पीठ की चोट से जूझ रहे थे और नयन मोंगिया ने उनका साथ निभाया लेकिन वह जैसे ही 83 रनों पर पहुंचे उनके पीठ ने जबाव दे दिया। इसके बादजूद उन्होंने दवा खाकर बल्लेबाजी करते रहे।सचिन ने अपना शतक भी पूरा किया लेकिन नयन मोंगिया ने जल्दी ही उनका साथ छोड़ दिया। भारत को अभी भी जीत के लिए 53 रन चाहिए थे। सचिन ने सक़लैन मुश्ताक के एक ओवर में 3 चौके जड़कर भारत को टारगेट के और करीब पहुंचा दिया।
अंत में भारत को जीत के लिए 17 रन चाहिए थे तभी सक़लैन ने सचिन को आउट कर दिया। इसके बाद नीचे के बल्लेबाज भी जल्द पवेलियन लौट गए और पाकिस्तान ने 12 रनों से मैच को जीत लिया। भारत भले ही मैच न जीत पाया हो लेकिन सचिन की दर्द में खेली 136 रनों की पारी कभी भुलाई नहीं जा सकती।
लेखक: नामसिवायाम, अनुवादक: ऋषि