3 ऐसे भारतीय क्रिकेटर जो शायद दोबारा कभी टेस्ट क्रिकेट न खेल पाएं

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में टीम इंडिया फ़िलहाल टॉप पर बनी हुई है, इसका सबसे बड़ा श्रेय उन भारतीय क्रिकेटर्स को जाता है जिन्होंने पिछले कुछ सालों में शानदार प्रदर्शन किया है और टीम को ऊंचाइयों पर ले जाने में अहम भूमिका निभाई है। पिछले 5 सालों की बात करें तो हम पाएंगे में कि टीम इंडिया टेस्ट में काफ़ी मज़बूत हुई है और उसे अपने घर में हराना बेहद मुश्किल है। महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट कोहली ने टीम इंडिया की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाई है, उन्होंने टीम को वो मज़बूती दी है जिसका तोड़ निकाल पाना आसान नहीं है। पिछले कुछ सालों में विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में कई खिलाड़ियों को मौका दिया है जिससे ये खिलाड़ी क्रिकेट के सबसे लंबे फ़ॉर्मेट में ख़ुद को स्थापित कर सकें। इस मौके का कई खिलाड़ियों ने जमकर फ़ायदा उठाया है और टीम इंडिया में अलग पहचान बनाई है। वहीं कुछ भारतीय क्रिकेटर ऐसे भी हैं जो मौके का फ़ायदा उठाने में नाकाम रहे। एक टीम के तौर पर भारत की कोशिश है कि एक मज़बूत टेस्ट दल तैयार किया जाए, जो विदेशी हालात में शानदार प्रदर्शन कर सके। राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने कुछ कड़े फ़ैसले लिए हैं और उन खिलाड़ियों को टीम से बाहर किया है जो उम्मीदों पर खरे उतरने में नाकाम रहे हैं। चूंकि आजकल युवा गेंदबाज़ उभरकर सामने आ रहे हैं, ऐसे में कई सीनियर खिलाड़ियों की चमक फीकी पड़ रही है। हम यहां उन 3 खिलाड़ियों की बात कर रहे हैं, जो शायद कभी दोबारा कभी टीम इंडिया की तरफ़ से टेस्ट क्रिकेट न खेल पाएं। #3 पार्थिव पटेल गुजरात के इस खिलाड़ी ने साल 2002 में इंग्लैंड को ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 17 साल की थी। इतनी कम उम्र में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने के बावजूद वो टीम इंडिया में ख़ुद को स्थापित करने में नाकाम रहे। आज उनकी उम्र 33 साल है, लेकिन उन्होंने टीम इंडिया की तरफ़ से महज़ 25 टेस्ट मैच खेले हैं। वो मैच में हालात के हिसाब से नहीं खेल पाते थे, अपने प्रदर्शन में सुधार न कर पाने की वजह से उनके करियर में ज़बरदस्त गिरावट देखने को मिली और वो टीम से बाहर हो गए। बल्लेबाज़ी के दौरान उनके अंदर संयम की काफ़ी कमी देखने को मिलती थी, वो अकसर गलत टाइमिंग की वजह से अपना विकेट गंवा बैठते थे। पार्थिव पटेल ने क़रीब 8 साल बाद नवंबर 2016 में टीम इंडिया में वापसी की थी, और कुछ अच्छी पारियां खेलीं थीं। वो इस साल दक्षिण अफ़्रीकी दौरे पर भी गए थे लेकिन वो बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे। वो अपने 16 साल के टेस्ट क्रिकेट में आज तक कोई शतक नहीं लगा पाए हैं। चयनकर्ताओं के नज़र अब ऋषभ पंत पर है, जिन्हें बैक-अप विकेटकीपर के तौर पर टीम में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में पार्थिव पटेल के सभी रास्ते बंद नज़र आ रहे हैं।#2 अमित मिश्रा हरियाणा के लेग स्पिनर अमित मिश्रा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आते-जाते रहे हैं और फ़िलहाल काफ़ी वक़्त से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं। मिश्रा कभी भी टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हैं, क्योंकि वो लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे थे। अमित ने 22 टेस्ट मैच में 76 विकेट हासिल किए हैं, उनका घरेलू सर्किट में प्रदर्शन शानदार रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर वो उम्मीद पर खरे नहीं उतर पाए हैं। साल 2011 तक वो भारतीय टेस्ट टीम के रेग्युलर सदस्य थे, उसके बाद रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के आगमन हुआ और मिश्रा टीम से बाहर हो गए। उन्होंने 2015 में वापसी की थी लेकिन उनकी ये ख़ुशी ज़्यादा दिन तक नहीं टिक पाई। दिसंबर 2016 में वो आख़िरी बार वनडे टीम में नज़र आए थे, इसके अलावा पिछले साल उन्होंने आख़िरी बार टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। कुलदीप और चहल के होते हुए अब शायद ही अमित मिश्रा को टीम में दोबारा मौका मिल पाए।#1 प्रज्ञान ओझा प्रज्ञान ओझा ने साल 2009 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ अपने टेस्ट करियर का आग़ाज़ किया था और जल्द ही उन्होंने टेस्ट में अपनी जगह पक्की कर ली थी, लेकिन वो अपने करियर की लंबी पारी खेलने में नाकाम रहे। उन्होंने 24 टेस्ट मैच में 113 विकेट हासिल किए हैं। हांलाकि उन्होंने भारतीय उप-महाद्वीप में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन एशिया के बाहर उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। धीरे-धीरे टीम में अश्विन और जडेजा ने अपनी जगह पक्की कर ली और प्रज्ञान ओझा के रास्ते हमेशा के लिए बंद हो गए। नवंबर 2013 में उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ अपना आख़िरी टेस्ट मैच खेला था जिसमें उन्हें ‘मैन ऑफ़ द मैच’ अवॉर्ड दिया गया था। लेखक- अथर्व आप्टे अनुवादक- शारिक़ुल होदा