हालांकि इन दिग्गज नामों की क्षमता पर किसी को शक नहीं होना चाहिए। इनके जमाने में परिस्थितियाँ कुछ ऐसी थी कि तीनों को कप्तानी करने का मौका नहीं मिला। कुछ खिलाड़ियों ने पहले ही कप्तानी के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया। इस वजह से टीम इंडिया के इन नामों को कप्तानी में हाथ आजमाने का अवसर प्राप्त नहीं हो पाया। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने-अपने विभाग में तीनों ने धाकड़ प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम की बखूबी सेवा की।
जहीर खान- बाएँ हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अपनी स्विंग, गति और रिवर्स स्विंग से विदेशी बल्लेबाजों के पसीने छुड़ाए हैं। 2003 और 2011 के वर्ल्ड कप में जहीर ने अपनी धारदार गेंदबाजी के दम पर टीम की सफलता में चार चाँद लगाए। हालांकि मुख्य गेंदबाज और दिग्गज नाम होने के बाद भी उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनने का मौका कभी नहीं मिला।
वीवीएस लक्ष्मण- कोलकाता में 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच की उस पारी वाले खिलाड़ी लक्ष्मण को कौन भूल सकता है। कलाई का यह जादूगर भारत के मुख्य टेस्ट बल्लेबाजों में से एक रहा। वनडे क्रिकेट में उन्हें ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने टीम के लिए कई बेहतरीन पारियां खेली। लक्ष्मण को भी भारतीय टीम का कप्तान बनने का सौभाग्य एक बार भी नहीं मिला।
युवराज सिंह- सिक्सर किंग के नाम से मशहूर युवराज सिंह के टी20 वर्ल्ड कप में लगाए लगातार छह छक्कों को कौन भूल सकता है। धोनी से पहले ही उन्होंने भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण कर लिया था और वनडे क्रिकेट में मध्यक्रम के अहम खिलाड़ी बन गए। कई मैच जिताऊ पारियां टीम के लिए खेलने वाले युवराज सिंह को एक बार भी भारतीय टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिला।