आक्रामक अंदाज और युवा खिलाड़ियों को आगे लाने के मामले में सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का जवाब नहीं था। सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी के दौरान कई युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताते हुए टीम में रखा और उन्होंने बढ़िया खेल भी दिखाया। उनके इस योगदान के लिए फैन्स उन्हें अब भी याद करते हैं और सफलतम कप्तानों में से एक मानने के अलावा ज्ञान के मामले में भी सौरव गांगुली का नाम आता है।
सौरव गांगुली के बाद महेंद्र सिंह धोनी के कन्धों पर भारतीय टीम को आगे लेकर जाने का जिम्मा आया तो उन्होंने भी कुछ वैसा ही किया। धोनी की कप्तानी में भी भारतीय टीम में कई युवा खिलाड़ी आए और अपने बेहतर खेल का प्रदर्शन कर गए। हालांकि कई खिलाड़ी फ्लॉप भी हुए लेकिन यह क्रिकेट का एक हिस्सा है जहाँ उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली की कप्तानी में कई भिन्नताएं थी लेकिन दोनों का लक्ष्य टीम को आगे लेकर जाना था। इस लेख में तीन उन खिलाड़ियों के बारे में बताया गया है जिनका गांगुली ने समर्थन किया लेकिन धोनी ने नहीं किया।
मोहम्मद कैफ
भारत के बेस्ट फील्डरों में मोहम्मद कैफ का नाम आज भी लिया जाता है। बल्ले से भी कई बार कैफ ने धाकड़ खेल दिखाया था। गांगुली ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया। 2006 का साल कैफ के लिए मुश्किल भरा रहा और वह वनडे क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए। इसके बाद वह टीम से बाहर हुए और वापस कभी नहीं आए। जब वह टीम से बाहर थे, उसके कुछ साल बाद कप्तान धोनी बन गए थे।
दिनेश मोंगिया
भारत के लिए वर्ल्ड कप 2003 में खेलने वाले मोंगिया में प्रतिभा की कमी नहीं थी और गांगुली ने उनका सपोर्ट भी किया। अंदर-बाहर होते मोंगिया को 2007 के बाद टीम में जगह नहीं मिली। वह भारतीय टीम के पहले टी20 मैच में भी खेले थे लेकिन धोनी की कप्तानी में पहले टी20 वर्ल्ड कप में भी उन्हें जगह नहीं मिली।
युवराज सिंह
युवराज सिंह का नाम आते ही कई फैन्स यही कहते हैं कि उन्हें टीम में रखना चाहिए था। भारतीय टीम को वर्ल्ड कप 2011 में जीत दिलाने वाले इस खिलाड़ी को कैंसर से लौटकर आने के बाद कुछ टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला लेकिन लगातार उन्हें टीम में रहने का मौका नहीं मिला। युवराज सिंह का समर्थन धोनी को करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंत में इस दिग्गज ने संन्यास की घोषणा कर दी।