भारतीय टेस्ट टीम में विकेटकीपर की भूमिका अहम रहती है। स्पिन पिचें हो या तेज पिचें हो। विकेटकीपर को विकेट के पीछे मेहनत करने के अलावा बल्ले से अभी अहम योगदान देना होता है। कई बार टीम के अहम बल्लेबाज जल्दी पवेलियन लौट जाते हैं, ऐसे में विकेटकीपर के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है। ऑस्ट्रेलिया में ब्रिस्बेन टेस्ट मैच के दौरान ऋषभ पन्त के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी थी और उन्होंने बेहतरीन पारी खेलते हुए टीम को मैच में जीत दिलाई थी। ऐसा कई बार देखा गया है जब निचले क्रम के साथ मिलकर विकेटकीपर ने बल्लेबाजी करते हुए शतक जड़े हैं।
भारतीय टीम के लिए भी कई विकेटकीपर बल्लेबाजों ने शतक लगाए हैं। उनमें महेंद्र सिंह धोनी का नाम प्रमुखता से लिया जाना चाहिए। उनके अलावा भी कई ऐसे कीपर रहे हैं जिन्होंने मौका मिलने पर बल्ले से धाकड़ खेल दिखाया और शतकीय पारी खेली। इस आर्टिकल में तीन ऐसे भारतीय विकेटकीपर का जिक्र किया गया है जो टेस्ट करियर में शतक नहीं लगा पाए। कम से कम 20 मैच खेलने वाले विकेटकीपर बल्लेबाजों को यहाँ शामिल किया गया है।
नरेन तमहाने
महाराष्ट्र से आने वाले इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने भारतीय टीम के लिए 1960 के दशक में कुल 21 मुकाबले खेले और 225 रन बनाने में सफल रहे। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 54 रन रहा और वह शतक लगाने में नाकाम रहे। उनके बल्ले से सिर्फ एक अर्धशतकीय पारी ही आई।
किरन मोरे
इस विकेटकीपर बल्लेबाज का बड़ा नाम आज भी है और वह राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे हैं। किरन मोरे ने भारत के लिए कुल 49 टेस्ट मुकाबले खेले लेकिन शतक नहीं लगा पाए। उन्हें कुल 64 पारियों में बल्लेबाजी करने का मौका और वह 1285 रन बनाने में सफल रहे। मोरे के बल्ले से 7 अर्धशतकीय पारियां निकली और सर्वाधिक स्कोर 73 रन रहा। मोरे के बल्ले से शतक नहीं आना चौंकाता है।
पार्थिव पटेल
बेहद कम उम्र में भारत के लिए डेब्यू करने वाले पार्थिव पटेल भी भारतीय टीम के लिए खेलते हुए टेस्ट सैकड़ा नहीं लगा पाए। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने दोहरा शतक भी जड़ा है। पार्थिव पटेल ने भारतीय टीम के लिए 25 टेस्ट मैचों की 38 पारियों में खेलते हुए 934 रन बनाए और 6 अर्धशतक जड़े और उनका उच्च स्कोर 71 रन रहा। मजे की बात तो यह है कि बतौर ओपनर खेलने के बाद भी वह शतक नहीं लगा पाए।