विश्वकप सेमीफाइनल, वो भी अपनी सरजमीं पर सामने पाकिस्तान की टीम, एक खेल प्रेमी को इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। दोनों देशों के प्रधानमंत्री उस दिन मैदान के अंदर ही थे। वैसे शब्द ही नहीं बने जो उस दिन मैदान के अंदर और पूरे देश का माहौल बयां कर सके। रैना ने उस दिन छोटी पर बहुमूल्य पारी खेली। मोहाली के दोहरी उछाल वाली पिच पर भारतीय बल्लेबाजों के लिए पाकिस्तान की गेंदबाजी को झेलना मुश्किल हो रहा था। वहाब रियाज़ अपने चरम पर थे और स्पिनर भी कसी हुए गेंदबाजी कर रहे थे। इसके बावजूद पाकिस्तान की टीम गलतियां की जा रही थी और सचिन के कई कैच छोड़े। इन सब के बावजूद भारतीय टीम का स्कोर 37 ओवरों में 187/5 हो गया था और सचिन पवेलियन लौट गए। तभी रैना क्रीज पर पहुंचे 5 ओवर के बाद धोनी भी पवेलियन लौट गए और भारत का स्कोर 205/6 हो गया। अब रैना के साथ सिर्फ निचले क्रम वाले बल्लेबाजी ही बचे थे। रैना ने वहां छक्के-चौके से नहीं शालीनता से बल्लेबाजी की क्योंकि उनका विकेट गिरने के बाद सिर्फ गेंदबाज ही बचते। रैना ने एक छोड़ सम्भाले रखा और एक-दो रन लेकर स्कोर बोर्ड चलते रहे और 39 गेंदों में 36 रनों की छोटी पर बहुमूल्य पारी खेली। इस पारी के दौरान रैना ने मात्र 3 चौके लगाए और अंत तक पिच पर टिके रहे। भारतीय पारी 260 पर समाप्त हुई और गेंदबाजों के अच्छा लक्ष्य मिल गया, जिसे उन्होंने बचा लिया। सचिन तेंदुलकर को 85 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया लेकिन रैना की पारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी। यह पारी उनके करियर की सभी यादगार पारियों में से एक है।