के नाम से मशहूर कोहली के यहां पहुंचने की यह शुरुआत थी। अपनी छोटी पारी से कोहली ने अन्य बल्लेबाजों के लिए मंच सजा दिया। श्रीलंका ने भारत के सामने 275 का लक्ष्य रखा और गेंदबाजी में सबकुछ उनके अनुसार ही चल रहा था जब लसिथ मलिंगा ने सहवाग और सचिन दोनों को पवेलियन भेज दिया और भारत का स्कोर मात्र 31 रन ही था। कई लोगों के जेहन में 2003 और 1996 की यादें ताजा होने लगी थी। कोहली भी शायद यही सोच रहे होंगे। उस रात सभी सांस रोके बैठे थे, गंभीर और कोहली ने तीसरे विकेट के लिए 93 गेंदों में 83 रन जोड़े। कोहली के लिए अपने पहले विश्वकप में अच्छी शुरुआत थी और पहले ही मैच में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ शतकीय पारी भी खेली थी। उस पारी के बाद भी कोहली ने बड़ी पारी नहीं खेली लेकिन छोटी छोटी पारियों से योगदान दे रहे थे। फाइनल में दबाव के बीच कोहली ने 45 गेंदों पर चार चौकों की मदद से 35 रनों की पारी खेली। जब वो आउट हुए तो भारत का स्कोर 21.4 ओवरों में 114/3 था और लक्ष्य अभी भी काफी दूर था, लेकिन शुरुआती झटकों से टीम उबर चुकी थी और आने वाले बल्लेबाजों के लिये मंच तैयार हो चुका था, जिसके बाद गंभीर, धोनी और युवी ने मिलकर भारतीय टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया। कोहली ने उसके बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि सचिन के आउट होने के बाद उन्हें भी लगा था कि मैच खत्म हो गया है। इस पारी को कोहली युग की शुरुआत कहा जा सकता है। लेखक- प्रशांत कुमार अनुवादक- ऋषिकेश सिंह