वास्तव में बहुत से लोग दुर्भाग्यवश अपना मुकाम नहीं हासिल कर पाते हैं। वह कितना भी मेहनत क्यों न करते हों लेकिन चीजें उनके फेवर में नहीं हो पाती हैं। इनके लिए सफलता का पैमाना कठिन मेहनत भी झूठा साबित हो जाता है। मध्यप्रदेश राज्य से विश्वस्तर के बेहतरीन खिलाड़ी हुए हैं, जिनमें पूर्व खिलाड़ी नवाब पटौदी, मंशूर अली खान, सैय्यद मुश्ताक अली जैसे महान नाम शामिल हैं। जिन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि कुछ ऐसे खिलाड़ी भी इस राज्य से निकले हैं, जो टीम इंडिया में जगह बनाने के हकदार थे, लेकिन उन्हें दुर्भाग्यवश टीम में जगह नहीं मिली। आज हम आपको ऐसे ही 3 खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं, जो दुर्भाग्यशाली रहे:
ईश्वर पाण्डेय
हाल ही में भारत को अच्छे तेज गेंदबाज़ जरुर मिल गये हों लेकिन पूर्व में भारत के सामने अच्छे तेज गेंदबाज़ का संकट रहा है। लेकिन आज भी जब भारतीय तेज गेंदबाजों की तुलना पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों से करते हैं, तो खुद को बौना महसूस करते हैं। हालांकि जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे क्वालिटी तेज गेंदबाजों ने भारतीय गेंदबाज़ी में धार पैदा की है। जो पहले नहीं होती थी। इसी वजह से रीवा, मध्यप्रदेश के रहने वाले ईश्वर पाण्डेय को भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पा रही है। उनका घरेलू स्तर पर प्रदर्शन शानदार रहा है, 27 वर्ष के इस गेंदबाज़ के नाम 57 मैचों से 203 विकेट दर्ज हैं। जहाँ उनका औसत 26.33 है। एक समय ऐसा था, जब इस तरह का प्रदर्शन करने वाले गेंदबाज़ को टीम इंडिया में जगह मिल जाती थी। लेकिन वह आज भी भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए इंतजार कर रहे हैं। जलज सक्सेना ऑलराउंडर खिलाड़ी हमेशा फायदे में रहता है, लेकिन जब बात भारत की आती है, तो एक अदद बेहतरीन ऑलराउंडर की कमी खलती नजर आई है। महान कपिल देव के बाद भारत के पास उनके कद का ऑलराउंडर भारत को आज तक नहीं मिला। हालांकि पूर्व में कपिल देव, वीनू मांकड़, रवि शास्त्री और मौजूदा समय में रविन्द्र जडेजा और आर आश्विन भारतीय टीम में ऑलराउंडर हैं। हालांकि घरेलू सर्किट पर देखा जाये तो, जलज सक्सेना का प्रदर्शन बतौर ऑलराउंडर शानदार रहा है। मध्य प्रदेश के इंदौर में पैदा हुए जलज आईपीएल में आरसीबी और मुंबई इंडियंस के रोस्टर में रहे हैं। लेकिन कभी उन्हें घरेलू प्रदर्शन का इनाम बड़े स्तर पर नहीं मिला। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में जलज का बल्लेबाज़ी औसत 36.53 का रहा है, तो वहीं गेंदबाज़ी में उनका औसत 31.22 और 28.87 का रहा है। जिससे उनकी प्रतिभा का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय क्रिकेट टीम में उन्हें जगह नहीं मिली है। देवेन्द्र बुंदेला प्रथम श्रेणी क्रिकेट की जब भी बात होगी तो उसमें मध्यप्रदेश के रिकॉर्ड होल्डर खिलाड़ी बुंदेला का नाम जरूर होगा। बुंदेला रणजी में सबसे ज्यादा मुकाबले खेलने वाले खिलाड़ी हैं ऐसे में उनके दुर्भाग्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर बुंदेला का जन्म द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे खिलाड़ियों के समय में नहीं होता, तो वह टीम इंडिया के नियमित सदस्य होते। दायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ने 157 प्रथम श्रेणी मैचों में 44.28 के औसत से 9654 रन बनाये हैं। वहीं लिस्ट ए में बुंदेला ने 77 पारियों में 41.05 औसत से 2299 रन बनाये थे। लेकिन इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया में शामिल नहीं किया गया। इससे उनके दुर्भाग्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।