क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और यही बात इसे दुनिया के सबसे पसंदीदा खेलों में शुमार करती है। दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसक कड़े मुकाबले देखना पसंद करते हैं फिर चाहे उनकी टीम उस मैच में खेल रही हो या नहीं।
क्रिकेट इतिहास में हमें कई नज़दीकी मुकाबले देखने को मिले हैं जिनमें आखिरी गेंद ही हार जीत का फैसला करती है। यही वजह है कि इन दिनों बाकी दो प्रारूपों के मुकाबले टी-20 क्रिकेट ज़्यादा पसन्द किया जाता है।
लेकिन यहां हम आगामी वर्ल्ड कप 2019 को मद्देनज़र रखते हुए वनडे क्रिकेट इतिहास में हुए 3 सबसे रोमांचक मुकाबलों की बात करेंगे जिन्होंने दर्शकों की सांसें रोक दीं:
#3. भारत बनाम जिम्बाब्वे, लीसेस्टर (1999)
यह एक ऐसा मुकाबला था जिसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। सबसे पहले तो भारतीय टीम ने पहले गेंदबाजी करते हुए 51 अतिरिक्त रन दे दिया, उसके बाद धीमी ओवर रेट के लिए बल्लेबाज़ी करते हुए उन्हें 4 ओवरों का जुर्माना लगाया गया।
बहरहाल, एक समय पर भारत का स्कोर 155/3 था और क्रीज पर मौजूद बल्लेबाज सदगोपन रमेश और अजय जडेजा मिलकर भारत को जीत दिलाने की ओर अग्रसर थे लेकिन अंत तक आते-आते टीम ये मैच हार गई।
उस मैच में भारत के स्टार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर नहीं खेल रहे थे क्योंकि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए घर गए थे, लेकिन इस मुकाबले में टीम को उनकी कमी खूब खली।
भारत की तरफ से सिर्फ जडेजा और रमेश ही टिक कर खेल सके और शीर्ष क्रम की नाकामी के बाद दोनों ने चौथे विकेट के लिए 99 रन जोड़े। लेकिन इन दोनों के आउट होने के बाद स्कोर 174/5 पर पहुंच गया। इसके बाद रॉबिन सिंह और नयन मोंगिया ने स्कोर को 200 के पार पहुँचाया। लेकिन मोंगिया के 41वें ओवर में आउट होने के बाद भारत के लिए जीत की राह बहुत मुश्किल हो गई।
इसके बाद जवागल श्रीनाथ और रोबिन सिंह ने 8 वें विकेट के लिए 27 रन जोड़े और अब भारत को जीत के लिए आखिरी ओवर में सिर्फ 7 रनों की दरकार थी। लेकिन हेनरी ओलोंगा के अगले ओवर ने मैच का पासा पलट दिया जिन्होंने अभी तक एक भी विकेट नहीं लिया था।
पारी के 45वें (अंतिम ओवर) में उन्होंने रॉबिन को दूसरी गेंद पर कप्तान कैंपबेल के हाथों कैच कराया, 3 गेंदों के बाद श्रीनाथ को क्लीन बोल्ड किया और आखिरी गेंद पर वेंकटेश प्रसाद को पगबाधा आउट कर इस बेहद रोमांचक मुकाबले में अपनी टीम को जीत दिलाई।
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#2 भारत बनाम इंग्लैंड, बैंगलोर (2011)
यह एक और ऐसा मुकाबला था जिसने दर्शकों को साँसे थामने पर मजबूर कर दिया। इस मैच में भारत ने सचिन के शानदार शतक और युवराज और गंभीर के अर्द्धशतकों की बदौलत 338 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर बनाया।
इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने हालांकि, सचिन की पारी को और भी बेहतर शतक बनाकर काउंटर किया और 145 गेंदों में शानदार 158 रन बनाए जिनमें 18 चौके और एक छक्का शामिल था। उनके आउट होने के बाद इयान बेल ने 69 रनों की पारी खेली । इसके बाद भारत की तरफ से ज़हीर खान ने लगातार दो गेंदों में दो विकेट लेकर टीम में एक नया उत्साह भर दिया।
अपने अगले ओवर में ज़हीर ने पॉल कॉलिंगवुड को बोल्ड किया और इसके बाद नियमित अंतराल पर विकेट गिरते चले गए। जब हरभजन सिंह ने 46वें ओवर में 289/6 के स्कोर पर मैट प्रायर को आउट किया, तो ऐसा लग रहा था कि भारत यह मैच आसानी से जीत जाएगा।
माइकल यार्डी के सहवाग को एक आसान कैच देने के बाद इंग्लैंड को 15 गेंदों में 32 रन चाहिए थे और उनके 3 विकेट बचे थे। पीयूष चावला द्वारा फेंके गए 49वें ओवर में जब ग्रीम स्वान और टिम ब्रेसनन ने छक्के लगाए, तो दर्शकों की साँसे थम गईं। हालांकि इसके बाद अपनी आखिरी गेंद पर चावला ने ब्रेसनन को बोल्ड कर पवेलियन की राह दिखाई।
अब आखिरी ओवर में इंग्लैंड को जीतने के लिए 14 रन चाहिए थे। मुनाफ पटेल के ओवर की तीसरी गेंद को अजमल शहजाद ने बाउंड्री के पार पहुँचाया और अब उन्हें जीत के लिए 3 गेंदों में 5 रनों की दरकार थी। आखिरी 3 गेंदों में वे सिंगल, एक डबल और फिर एक सिंगल लेकर स्कोर को बराबर करने में कामयाब रहे।
ड्रेसिंग रूम में इंग्लिश कप्तान स्ट्रॉस अपने पुछल्ले बल्लेबाजों के प्रयास की सराहना किये बिना नहीं रह सके।भारतीय दर्शक इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे थे कि ये मैच टाई हो गया है।
#1. ऑस्ट्रेलिया बनाम दक्षिण अफ्रीका, एजबेस्टन (1999)
यह मैच अब तक खेले गए सबसे रोमांचक वनडे मैच के रूप में जाना जाता है। एजबेस्टन में खेले गए इस मैच में सबकुछ बहुत ही नाटकीय तरीके से घटित हुआ। इस मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने पहले गेंदबाज़ी करते हुए एलन डोनाल्ड और शॉन पोलक के क्रमशः 4 और 5 विकेटों की मदद से ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ 213 रनों पर रोक दिया।
इसके बाद शेन वार्न ने अपनी दो जादुई गेंदों से हर्शल गिब्स और फिर गैरी कर्स्टन को आउट किया। इसके बाद उन्होंने हैंसी क्रोनिए को भी पवेलियन का रास्ता दिखा दिया और मैच में नई जान फूंक दी। इसके बाद कैलिस और शॉन पोलक ने स्कोर को 145 तक पहुंचा दिया।
लेकिन एक बार फिर वार्न ने अपनी फिरकी के जाल में फंसाकर कैलिस को चलता किया। इसके बाद 46वें ओवर में डेमियन फ्लेमिंग ने पोलक को बोल्ड कर दिया। इस तरह से विकटें गिरने का सिलसिला जारी रहा और अंतिम ओवर में अफ्रीकी टीम को जीत के लिए 9 रनों की ज़रूरत थी और उनकी आखिरी जोड़ी क्रीज़ पर थी।
लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम की सभी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए क्लूजनर ने पहली दो गेंदों पर लगातार दो चौके लगाकर स्कोर टाई कर दिया। तीसरी गेंद पर नॉन-स्ट्राइकर ऐंड पर खड़े डोनाल्ड रन आउट होते बाल-बाल बचे।
चौथी गेंद पर क्लूजनर ने एक रन चुराने की कोशिश की लेकिन दूसरे छोर पर खड़े डोनाल्ड ने इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और क्लूजनर क्रीज़ के बीचों-बीच पहुंच चुके थे। मार्क वॉ ने तेज़ी से गेंद पर लपकते हुए उसे विकेटकीपर गिलक्रिस्ट की ओर थ्रो किया और उन्होंने गिल्लियां बिखेर दीं। इस तरह से एक बेहद रोमांचक मैच का अंत टाई के रूप में हुआ।
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