इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में हार के बावजूद भारत दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम है। इसी वजह से अब टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा और ज़्यादा कठिन हो गई है।
इसी बीच भारतीय चयनकर्ताओं ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में कुछ प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों को मौका दिया है। उन्होंने कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों पर युवा खिलाड़ियों को तरजीह दी है। अगर युवा खिलाड़ी इस सीरीज़ में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं तो फिर कुछ अनुभवी खिलाड़ियों के लिए टीम में वापसी करना बहुत मुश्किल हो जायेगा।
तो आइए उन 3 खिलाड़ियों पर नज़र डालें जो शायद कभी भारत के लिए दोबारा टेस्ट मैच ना खेल सकें:
#3. दिनेश कार्तिक
पिछले महीने इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज शायद दिनेश कार्तिक की अंतिम टेस्ट श्रृंखला हो। इससे पहले दिनेश कार्तिक ने 8 वर्षों तक कोई टेस्ट मैच नहीं खेला था लेकिन ऋद्धिमान साहा के चोटिल होने की वजह से उन्हें टीम में चुना गया, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है।
कार्तिक ने अपनी 4 पारियों में सिर्फ 5.25 की औसत से केवल 25 रन बनाए। इसी वजह से तीसरे टेस्ट में उन्हें हटाकर ऋषभ पंत को टीम में चुना गया और युवा विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने शानदार प्रदर्शन किया। अब ऐसा लगता है कि कार्तिक के लिए भारत की टेस्ट टीम में जगह बना पाना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है।
#2. करुण नायर
करुण भारत की टेस्ट टीम के उभरते सितारे थे। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में 303 रनों की ऐतिहासिक पारी खेल, वह वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट प्रारूप में भारत की ओर से तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे बल्लेबाज़ बने।
करुण नायर ने अपनी 7 पारियों में 62.33 की प्रभावशाली औसत से 374 रन बनाए हैं। इन आंकड़ों के बावजूद, उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ एक भी टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में भी भारतीय चयनकर्ताओं द्वारा उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। इसी वजह से ऐसा प्रतीत होता है कि चयनकर्ता शायद उन्हें कभी भी टेस्ट टीम में स्थान ना दें।
#1. शिखर धवन
शिखर धवन ने पिछले कुछ समय में टेस्ट मैचों में प्रदर्शन काफी खराब रहा। भारत के नियमित सलामी बल्लेबाज़ होने के बावजूद उन्होंने अपनी गलतियों में सुधार नहीं किया। खासकर, स्विंग गेंदबाजों को खेलने में उन्हें परेशानी होती है। इंग्लैंड दौरे में वह ऑफ-स्टंप से बाहर जाती गेंद पर आउट होते रहे। अब यह स्पष्ट है कि वह सिर्फ स्पाट पिच पर ही बल्लेबाज़ी कर सकते हैं और इसलिए भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर खेलने के लिए वह उपयुक्त नहीं हैं।
आंकड़ों की बात करें तो इंग्लैंड के खिलाफ धवन ने 20.25 की औसत से केवल 162 रन बनाए और सीरीज़ में उनका सर्वोच्च स्कोर सिर्फ 44 रन था। ऐसे में, वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में युवा बल्लेबाज़ पृथ्वी शॉ को धवन पर तरजीह दी गई है और शॉ ने अपने पहले ही टेस्ट में शतक जमाकर यह साबित कर दिया है कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं। इस प्रदर्शन से उन्होंने भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर अपनी दावेदारी मजबूत की है। इस हालत में धवन का टेस्ट टीम में वापसी करना मुश्किल लगता है।