टेस्ट क्रिकेट से ही खिलाड़ियों के कौशल की पहचान होती है और इसलिए हर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेले।
इन दिनों, दुनिया भर में टी -20 लीग्स की शुरुआत से फटाफट क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी है और क्रिकेट का सबसे पुराना प्रारूप टेस्ट क्रिकेट हाशिये पर चला गया है।
पिछले लगभग एक दशक से जबसे टी-20 क्रिकेट की शुरुआत हुई है, कुछ युवा खिलाड़ी क्रिकेट के सीमित प्रारूपों को ज़्यादा तरजीह देते हैं जबकि कुछ खिलाड़ियों को इसमें खेलने का मौका नहीं मिला।
ये खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट में सफल हो सकते थे लेकिन टीम प्रबंधन की नीतियों की वजह से उन्हें अपने करियर में टेस्ट खेलने का बहुत कम मौका मिला। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीन ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने अपने करियर में वनडे और टी-20 प्रारूप में अपने कौशल का भरपूर प्रदर्शन किया है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें सिर्फ एक ही टेस्ट खेलने का मौका मिला:
एल्बी मोर्केल (केपटाउन, 2009)
अपने भाई मोर्न मोर्कल के विपरीत, एल्बी ने अपने क्रिकेट करियर में सिर्फ एक ही टेस्ट मैच खेला। एल्बी मोर्केल ने मार्च 2009 में केपटाउन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना एकमात्र टेस्ट मैच खेला था। इसमें उन्होंने 10 चौकों और 1 छक्के की मदद से 58 रन बनाए थे और सिर्फ एक विकेट लिया था।
वहीं अपने वनडे करियर में दक्षिण अफ़्रीकी ऑलराउंडर एल्बी ने 58 मैचों में 782 रन और 50 विकेट लिए हैं। क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में उन्होंने 50 मैचों में 572 रन बनाए और 26 विकेट लिए हैं।
इसके अलावा, मोर्केल आईपीएल में लंबे समय तक चेन्नई सुपरकिंग्स का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने 2015 में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था और अब 37 साल की उम्र इसकी संभावना नहीं है कि एल्बी फिर से दक्षिण अफ्रीकी टीम में वापसी कर पाएंगे।
जेम्स फॉकनर (ओवल, 2013)
जेम्स फॉकनर (ओवल, 2013)
तस्मानिया के ऑलराउंडर जेम्स फॉकनर सीमित ओवर प्रारूप में ऑस्ट्रेलिया के स्टार खिलाड़ी हैं। 2012 में भारत के खिलाफ टी-20 मैच से अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले फॉकनर ने अपने 6 साल लंबे करियर में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। हालांकि, दुर्भाग्यवश उन्हें सिर्फ एक ही टेस्ट खेलने का मौका मिला। अगस्त 2013 में ओवल के मैदान पर उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपने करियर का एकमात्र टेस्ट खेला था। इस टेस्ट में उन्होंने बेहतरीन गेंदबाज़ी करते हुए छह विकेट हासिल किये और 104.65 की स्ट्राइक रेट से महत्वपूर्ण 45 रन बनाए थे।
वनडे में अपने ज़बरदस्त ऑलराउंड प्रदर्शन के बावजूद, ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं ने उन्हें टेस्ट मैचों में ओर मौके देना उचित नहीं समझा। आंकड़ों की बात करें तो फॉकनर ने अपने करियर में ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेलते हुए 69 एकदिवसीय मैचों में 34.43 की औसत से 1033 रन बनाए और 5.53 की इकोनॉमी रेट से 96 विकेट लिए हैं वहीं टी-20 प्रारूप में उन्होंने 24 मैचों में 159 रन बनाए और 36 विकेट लिए हैं। अपने छह साल के अंतRराष्ट्रीय करियर में सिर्फ एक टेस्ट खेलने वाले फॉकनर का भविष्य में भी ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम का हिस्सा बनना मुश्किल लगता है। फिलहाल वह लगभग एक साल से अपनी राष्ट्रीय टीम से बाहर चल रहे हैं।
3. विनय कुमार (पर्थ, 2012)
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ विनय कुमार ने पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जनवरी 2012 में अपना एकमात्र टेस्ट मैच खेला था। इसमें उन्होंने 13 ओवरों की गेंदबाज़ी करते हुए 5.6 की महंगी इकोनॉमी रेट से 73 रन देकर माइकल हसी का एकमात्र विकेट हासिल किया था।
2010 में श्रीलंका के खिलाफ टी-20 मैच से अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले विनय ने 9 टी-20 मैचों में 7.84 की महंगी इकोनॉमी रेट से 10 विकेट लिए हैं जबकि वनडे प्रारूप में उन्होंने 31 मैचों में 5.95 की इकोनॉमी रेट से 38 विकेट अपने नाम किये हैं। हालाँकि, विनय कभी भी भारतीय टीम का नियमित हिस्सा नहीं रहे और उन्होंने अपना आखिरी अंतराष्ट्रीय मैच नवंबर 2013 में खेला था।
वर्तमान समय में मोहम्मद शमी, उमेश यादव और भुवनेश्वर कुमार भारत की टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा हैं और ऐसे में अब विनय कुमार का भारतीय की टेस्ट टीम में वापसी कर पाना लगभग नामुमकिन लगता है।