यह कहना उचित होगा कि भारत का इंग्लैंड दौरा अभी तक अच्छा नहीं रहा है। पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला में भारतीय टीम इस समय 2-0 से पिछड़ रही है। लॉर्ड्स में एक पारी और 159 रनों की हार लंबे समय बाद भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सबसे शर्मनाक हार थी। ऐसे समय में, टीम इंडिया के प्रदर्शन पर सवाल उठने लाज़मी हैं के लिए बाध्य हैं। प्रशंसकों और मीडिया द्वारा इस लचर प्रदर्शन का ठीकरा हार्दिक पांड्या पर फोड़ा जा रहा है। टेस्ट टीम में उनको शामिल किया जाना विवादास्पद था और इसलिए स्पॉटलाइट उनके ऊपर रहा है, हालांकि, उनमें से अधिकतर अनुचित हैं। तो आइये चार ऐसे कारणों पर नज़र डालें जो हार्दिक पांड्या की आलोचना को अनुचित बनाते हैं: #4. पांड्या का प्रदर्शन पहले दो टेस्ट मैचों की अपनी चार पारियों में 22, 31, 11 और 26 रन बनाने वाले हार्दिक पांड्या का स्कोर अच्छा नहीं कहा जा सकता लेकिन अपनी चार पारियों में 90 रनों के साथ, पांड्य कप्तान विराट कोहली के बाद श्रृंखला में भारत के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी है। कोहली और रविचंद्रन अश्विन को छोड़कर, अन्य कोई भी भारतीय बल्लेबाज श्रृंखला में अब तक कुल 50 रन भी नहीं बना पाया। एजबेस्टन टेस्ट में जब कप्तान कोहली ने पांड्या को गेंद सौंपी तो उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए तीन विकेट लिए थे। आठ महीने पहले, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपनी 6 पारियों में 119 रन बनाए और विराट कोहली के बाद वह श्रृंखला में भारत के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाला खिलाड़ी थे। लेकिन, वह टीम का नियमित हिस्सा बनना चाहते हैं तो निश्चित रूप से पांड्या को निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना होगा।#3. दृढ़ संकल्प हर क्रिकेट अनुयायी हार्डिक पांड्य के प्राकृतिक खेल से अवगत है। जब हमने उनके बारे में सोचते हैं तो एक हरफनमौला और जोशीला खिलाड़ी दिमाग में आता है। यह कोई रहस्य नहीं है कि उन्होंने टेस्ट क्रिकेट सीमित ओवर क्रिकेट में अपने खेल का स्तर ऊँचा उठाया है। कई बार, जब कप्तान कोहली के अलावा, प्रत्येक बल्लेबाज लापरवाही से शॉट खेलकर अपना विकेट गँवा रहा होता है, पांड्या एक अपवाद रहे हैं। बड़ौदा के इस ऑलराउंडर ने अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन किया है। पांड्या ने हमेशा हालात के मुताबिक गेंदबाज़ी की है और बल्लेबाज़ी में शायद ही कभी, उन्होंने ढीला शॉट खेलकर अपना विकेट गंवाया है।हालाँकि, लॉर्ड्स में उनसे टीम को बड़ी पारी की उम्मीद थी लेकिन वह अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलने में नाकाम रहे।#2. इशांत शर्मा को एजबेस्टन टेस्ट में स्ट्राइक देना जबकि लॉर्ड्स टेस्ट एक-तरफा रहा था लेकिन इससे पहले एजबेस्टन टेस्ट में भारत और इंग्लैंड के बीच काँटे की टक्कर हुई थी। भारत की दूसरी पारी में विराट कोहली के आउट होने के बाद भारत को जीत के लिए 51 रनों की जरूरत थी। मोहम्मद शमी के तुरंत आउट होने के बाद, हार्दिक पांड्या का साथ देने इशांत शर्मा क्रीज पर आये। जबकि तेज गेंदबाज ने 11 रन बनाए, पांड्या को इशांत शर्मा को बार-बार स्ट्राइक देने के लिए आलोचना का शिकार होना पड़ा। क्रिकेट प्रशंसकों ने विराट द्वारा उमेश यादव को स्ट्राइक ना देने का उदाहरण देते हुए पांड्या की खूब आलोचना की। हालांकि, वह यह भूल गए कि जब उमेश यादव बल्लेबाजी कर रहे थे, तब पांड्या ने भी उन्हें स्ट्राइक पर नहीं रखा लेकिन जब पहली पारी में इशांत क्रीज पर थे, विराट कोहली भी उन्हें स्ट्राइक दे रहे थे। जाहिर है, टीम इशांत के बल्लेबाज़ी कौशल पर भरोसा करती है इसलिए यह टीम की योजना थी कि उनको स्ट्राइक दी जाये।#1. टेस्ट प्रारूप में उनकी मौजूदगी क्या कोई क्रिकेट प्रशंसक अभी भी यह मानता है कि हार्दिक पांड्या क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप में खेलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं? हालांकि उन्होंने अपने खेल में काफी सुधार किया है, लेकिन फिर भी यह तर्क दिया जा सकता है कि मुंबई इंडियंस का यह स्टार खिलाड़ी टेस्ट टीम में जगह बनाने के लायक नहीं है। अगर कोई ऐसा मानता है, तो उसे यह प्रश्न चयनकर्ताओं, कोच और कप्तान से पूछना चाहिए । हार्दिक ने बहुत कम प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला है। अपने 26 प्रथम श्रेणी मैचों में, उन्होंने बल्ले के साथ केवल 29.36 की औसत से रन बनाए हैं और और गेंद के साथ 36.73 की औसत से रन दिए हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि इन 26 मैचों में 9 टेस्ट मैच थे। इसके बाद आईपीएल में चुने जाने के बाद उन्होंने क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में गेंद और बल्ले दोनों से ही धमाकेदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें सीमित ओवर क्रिकेट का खिलाड़ी माने जाने लगा। लेकिन पांड्या ने धीरे-धीरे अपने खेल के स्तर में सुधार किया है और अब उनके खेल में परिपक्वता और जुझारूपन नज़र आता है जो उन्हें टेस्ट प्रारूप में खेलने के लिए आदर्श विकल्प बनाते हैं। लेखक: आयुष कटारिया अनुवादक: आशीष कुमार