क्या कोई क्रिकेट प्रशंसक अभी भी यह मानता है कि हार्दिक पांड्या क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप में खेलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं? हालांकि उन्होंने अपने खेल में काफी सुधार किया है, लेकिन फिर भी यह तर्क दिया जा सकता है कि मुंबई इंडियंस का यह स्टार खिलाड़ी टेस्ट टीम में जगह बनाने के लायक नहीं है। अगर कोई ऐसा मानता है, तो उसे यह प्रश्न चयनकर्ताओं, कोच और कप्तान से पूछना चाहिए । हार्दिक ने बहुत कम प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला है। अपने 26 प्रथम श्रेणी मैचों में, उन्होंने बल्ले के साथ केवल 29.36 की औसत से रन बनाए हैं और और गेंद के साथ 36.73 की औसत से रन दिए हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि इन 26 मैचों में 9 टेस्ट मैच थे। इसके बाद आईपीएल में चुने जाने के बाद उन्होंने क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में गेंद और बल्ले दोनों से ही धमाकेदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें सीमित ओवर क्रिकेट का खिलाड़ी माने जाने लगा। लेकिन पांड्या ने धीरे-धीरे अपने खेल के स्तर में सुधार किया है और अब उनके खेल में परिपक्वता और जुझारूपन नज़र आता है जो उन्हें टेस्ट प्रारूप में खेलने के लिए आदर्श विकल्प बनाते हैं। लेखक: आयुष कटारिया अनुवादक: आशीष कुमार