भारत को 2019 विश्वकप तक इन तीन कारणों की वजह से धोनी के साथ की है जरुरत

आखिरकार भारत अपने इंग्लैंड दौरे के अंतिम चरण में पहुंच गया है। वनडे और टी-20 सीरीज़ दोनों ही टीम के द्वारा एक-एक सीरीज़ जीतने के साथ पूरी हो गई। वहीं बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज़ 1 अगस्त, 2018 से शुरु होने जा रही है। हालांकि, फोकस और बहस उस व्यक्ति पर बनी हुई है जो अब टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलता है और चार साल पहले ही क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप से रिटायर हो चुका है। सवालों में एक इंसान है वह 'महेंद्र सिंह धोनी' है। आईपीएल के इस साल के संस्करण में धोनी का फॉर्म भारतीय प्रशंसकों के बीच काफी चर्चा का विषय रहा। भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशंसकों के बीच ‘पुराना धोनी वापस आ गया' सबसे ज्यादा उल्लेखनीय वाक्य था। हालांकि, जब धोनी का बल्ला वनडे सीरीज़ में विफल रहा तो वह भरोसा पूरी तरह से टूट गया। नंबर 4 की पहेली अभी समाप्त नहीं हुई थी कि अब इस सीरीज़ के अंत के साथ टीम में धोनी की बल्लेबाजी स्थिति भारतीय टीम के लिए एक नया सिरदर्द है। पिछले कुछ सालों में उनकी बल्लेबाजी क्षमता में कमी आई है। फिर भी इस मौजूदा भारतीय वनडे टीम में योगदान करने के लिए उनके पास बहुत कुछ है। आज हम ऐसे ही तीन मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे कि आखिर क्यों टीम इंडिया को 2019 विश्वकप के समापन तक धोनी के साथ की जरुरत है-

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#3 स्टंप के पीछे से अमूल्य योगदान

यह सच है कि धोनी की डेथ ओवरों की बल्लेबाजी (फिनिशर) कौशल में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आयी है। उन्होंने खुलेआम बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। हालांकि, धोनी एक 'विकेट-कीपर' के तौर पर साल दर साल विकसित हुए है। विश्व क्रिकेट में कोई भी अभी उनकी बिजली जैसी गति के साथ की गयी स्टंपिंग से मेल नहीं खाता है और ना ही रन आउट कर सकता है। ऑस्ट्रेलियाई के पूर्व महान विकेटकीपर इयान हेली भी धोनी के कौशल के सामने छोटे हो जाएंगे। अगर धोनी स्टंप के पीछे हैं तो बल्लेबाज अपनी क्रीज से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता है। वास्तव में, धोनी 50 ओवर के प्रारूप में 100 (और गिनती चालू है) स्टंपिंग जैसे ऐतिहासिक मुकाम तक पहुंचने वाले पहले खिलाड़ी है। टी-20 में धोनी 54 कैच और 33 स्टंपिंग के साथ कुल डिसमिसल के रिकॉर्ड का नेतृत्व करता है। इसके अलावा, कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल के स्पिन जोड़ी ने खुलेआम कहा कि स्टंप के पीछे धोनी द्वारा दिया गया मार्गदर्शन सीमित ओवरों के प्रारूप में उनके सफल प्रदर्शन के पीछे प्रमुख कारकों में से एक है। इसके अलावा किसी को 'धोनी समीक्षा प्रणाली' को नहीं भूलना चाहिए।#2 उनका जाना टीम में उथल पुथल लायेगा

क्रिकेट के सबसे बड़े मेगा इवेंट के सिर्फ एक साल बाकी रहने के साथ एबी डिविलियर्स ने इस साल आईपीएल के अंत में एक चौंकाने वाले रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। उनके अचानक संन्यास ने खेल के सभी तीन प्रारूपों में दक्षिण अफ़्रीकी सेटअप में भारी मात्रा में शून्य पैदा कर दिया है। उनकी अनुपस्थिति के बाद का परिणाम श्रीलंका के खिलाफ चल रही टेस्ट श्रृंखला में दिखाई दे सकता है। एबी डिविलियर्स जैसे खिलाड़ी को बदलना असंभव है और यही एमएसडी पर भी लागू होता है। 2014 में टेस्ट क्रिकेट से धोनी की सेवानिवृत्ति ने भारतीय टेस्ट टीम को बहुत प्रभावित नहीं किया है क्योंकि उनके उनके वनडे इतिहास की तुलना में उनके पास औसत टेस्ट रिकॉर्ड है। उनका जाना एक दक्षिण अफ्रीका की तरह ही भारतीय टीम में उथल पुथल पैदा करेगा। धोनी की जगह लेने वाले व्यक्ति के पास भरने के लिए बड़ा स्थान होगा और ऐसे में उम्मीद का स्तर बहुत अधिक होगा। हर विफलता के अंत में हर कोई उस व्यक्ति के साथ धोनी की तुलना करेगा। इसके अलावा, विश्व कप से पहले अपने महत्वता को साबित करने के लिए उस खिलाड़ी के पास केवल 15-20 मैच होंगे। किसी भी क्रिकेटर के लिए हर किसी को संतुष्ट करना और इतने कम अवधि के भीतर असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करना असंभव है।#1 अनुभव

अनुभव- यह 4 अक्षर किसी भी खेल में ‘बहुमूल्य’ है। खेल के बावजूद 'अनुभव' हमेशा एक विजेता का निर्णय लेने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, खासकर एक करो या मरो की स्थिति में। भले ही 'कौशल' किसी भी खिलाड़ी के लिए मुख्य विशेषता है लेकिन 'अनुभव + कौशल' हमेशा एक मुश्किल स्थिति में निर्णायक साबित होता है। 90 टेस्ट, 321 वनडे, 93 टी-20, 175 आईपीएल मैच- ये केवल संख्या नहीं हैं। ये अमूल्य अनुभव हैं, जिनमें करो या मरो वाली परिस्थितियों का एक बड़ा हिस्सा शामिल है। उनके नाम के अंत में 'कप्तान' या 'उपकप्तान' नहीं लिखे होने के बावजूद, हर कोई देख सकता है कि वह क्षेत्ररक्षण में अधिकतर बदलाव करते रहे हैं। इसके अलावा, वह पहले व्यक्ति हैं जब भी टीम गंभीर स्थिति में होती है तब कोहली सबसे पहले उनके पास जाते है। विशेष रूप से डीआरएस (निर्णय समीक्षा प्रणाली) के मामले में, धोनी टीम में अंतिम निर्णय लेने वाले व्यक्ति होते है। विश्व कप को लगभग एक साल से भी कम समय बचा है और इस मेगा इवेंट के समापन तक धोनी के साथ रहना बेहतर निर्णय है। उसी समय 201 9 विश्वकप के बाद वनडे सेटअप में नये और ताज़ी पौध को टीम में लाया जाना चाहिए। लेखक- सुयांबू लिंगम अनुवादक- सौम्या तिवारी

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