अनुभव- यह 4 अक्षर किसी भी खेल में ‘बहुमूल्य’ है। खेल के बावजूद 'अनुभव' हमेशा एक विजेता का निर्णय लेने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, खासकर एक करो या मरो की स्थिति में। भले ही 'कौशल' किसी भी खिलाड़ी के लिए मुख्य विशेषता है लेकिन 'अनुभव + कौशल' हमेशा एक मुश्किल स्थिति में निर्णायक साबित होता है। 90 टेस्ट, 321 वनडे, 93 टी-20, 175 आईपीएल मैच- ये केवल संख्या नहीं हैं। ये अमूल्य अनुभव हैं, जिनमें करो या मरो वाली परिस्थितियों का एक बड़ा हिस्सा शामिल है। उनके नाम के अंत में 'कप्तान' या 'उपकप्तान' नहीं लिखे होने के बावजूद, हर कोई देख सकता है कि वह क्षेत्ररक्षण में अधिकतर बदलाव करते रहे हैं। इसके अलावा, वह पहले व्यक्ति हैं जब भी टीम गंभीर स्थिति में होती है तब कोहली सबसे पहले उनके पास जाते है। विशेष रूप से डीआरएस (निर्णय समीक्षा प्रणाली) के मामले में, धोनी टीम में अंतिम निर्णय लेने वाले व्यक्ति होते है। विश्व कप को लगभग एक साल से भी कम समय बचा है और इस मेगा इवेंट के समापन तक धोनी के साथ रहना बेहतर निर्णय है। उसी समय 201 9 विश्वकप के बाद वनडे सेटअप में नये और ताज़ी पौध को टीम में लाया जाना चाहिए। लेखक- सुयांबू लिंगम अनुवादक- सौम्या तिवारी