टेस्ट क्रिकेट इतिहास के 3 ऐसे रिकॉर्ड्स जो शायद कभी न टूटें

टेस्ट मैच की शुरुआत साल 1877 में मेलबर्न के एमसीजी ग्राउंड में हुई थी। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच ये एतिहासिक मैच खेला गया था। तब से लेकर अब तक इस खेल में काफ़ी बदलाव आया है। क्रिकेट का इतिहास सर्वणिम रहा है, टेस्ट क्रिकेट में कई विश्व स्तर के खिलाड़ियों ने अपना जलवा बिखेरा है। इन खिलाड़ियों में से कई लोगों ने ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जो अब तक क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में ताज़ा हैं, और इनको चुनौती देना आसान नहीं है। कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं जो भले ही लंबे समय तक बरक़रार रहे हों लेकिन टूट सकते हैं, जैसे जीत का अंतर, सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट आदि। कहा जाता है कि रिकॉर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं, लेकिन यहां हम 3 ऐसे रिकॉर्ड के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो सदियों से बरक़रार हैं, इनका टूट पाना शायद मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है।

#1 जिम लेकर की एक टेस्ट मैच में सबसे बेतरीन गेंदबाज़ी (19 विकेट)

साल 1956 में जब ओल्ड ट्रैफ़र्ड मैदान में एशेज़ सीरीज़ का मैच चल रहा था, तब इंग्लैंड के गेंदबाज़ जिम लेकर ने पूरे मैच पर अपना दबदबा कायम किया था। उन्होंने इस टेस्ट मैच की दोनों पारियों को मिलाकर 90 रन दिए थे और 19 विकेट हासिल किए थे। जिम लेकर ने इस मैच की पहली पारी में 37 रन देकर 9 विकेट लिए और दूसरी पारी में 53 रन लुटाकर शानदार 10 विकेट हासिल किए थे। लेकर के अलावा भारत के अनिल कुंबले ही एकलौते गेंदबाज़ हैं जिन्होंने टेस्ट की एक पारी में सभी 10 बल्लेबाज़ों को आउट किया था, लेकिन कुंबले एक मैच में 19 विकेट लेने वाले रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए थे। आज के दौर में लेकर के बराबार भी पहुंचना नामुमकिन सा है।

#2 एक खिलाड़ी के 2 टेस्ट मैच के बीच सबसे लंबा फ़ासला

मिस्र में जन्मे ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ जॉन ट्रॉइकस उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने 2 देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है। उन्होंने 1969-70 के दौर में प्रोटियाज़ टीम के लिए टेस्ट मैत खेला था। उसके बाद रंग भेद नीति की वजह से दक्षिण अफ़्रीका के अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने पर बैन लग गया था। ठीक 22 साल और 220 दिन बाद जॉन ने टेस्ट क्रिकेट में वापसी की और हरारे के मैदान में वो ज़िम्बाब्वे की तरफ़ से टीम इंडिया के ख़िलाफ़ खेलते हुए नज़र आए। उस वक़्त उनकी उम्र 45 साल थी। उन्होंने ज़िम्बाब्वे टीम के लिए 4 टेस्ट मैच खेला था। ये किसी भी खिलाड़ी के लिए 2 टेस्ट मैच के बीच का सबसे बड़ा फ़ासला था। आज के दौर में ये रिकॉर्ड शायद कोई न तोड़ पाए।

#3 टेस्ट की डेब्यू पारी में सबसे बड़ा सर्वाधिक स्कोर

इंग्लैंड टीम के रेगीनाल्ड फ़ॉस्टर ने साल 1902-03 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिडनी में 287 रन की पारी खेली थी। ये उनका डेब्यू मैच था, जाहिर सी बात है कि अपने पहले मैच में इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर पाना आसान नहीं रहा होगा। ऐसा नहीं है कि ये रिकॉर्ड टूट नहीं सकता, लेकिन इसे तोड़ने के लिए किसी भी बल्लेबाज़ के पास ज़बरदस्त हौंसला चाहिए। 1 सदी से ज़्यादा वक़्त बीत जाने के बाद भी ये रिकॉर्ड अब तक बरक़रार है। उन्होंने अपने करियर में सिर्फ़ 8 टेस्ट मैच खेले थे जिसमें ये उनका एकलौता शतक था। 35 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ जैक्स रूडॉल्फ़ इस रिकॉर्ड के काफ़ी क़रीब आ गए थे लेकिन इसे तोड़ पाने में नाकाम रहे। रूडॉल्फ़ ने बांग्लादेश के ख़िलाफ़ अपनी डेब्यू पारी में 222 रन बनाए थे। लेखक- ओमकार शेट्टी अनुवादक- शारिक़ुल होदा

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