3 चीजें जो विराट कोहली को सौरव गांगुली से भारत का विदेशों में रिकॉर्ड सुधारने के लिए सीखनी चाहिए

सौरव गांगुली भारत के महानतम कप्तानों में से एक हैं। खासकर जब भारतीय टीम के विदेशी दौरों की बात आती है तो निश्चित रूप से गांगुली की कप्तानी में टीम ने विदेशी सरज़मीं पर जीतना सीखा। पाकिस्तान, श्रीलंका और वेस्टइंडीज दौरों पर सीरीज़ जीतना इसका मुख्य उदाहरण है। क्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में सीरीज़ हारने के बाद वर्तमान कप्तान विराट कोहली को उनसे सीख लेने की ज़रूरत है। इस लेख में हम उन 3 बातों का ज़िक्र करेंगे जो कोहली को पूर्व कप्तान सौरव गांगुली से सीखनी चाहिए:

खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाना

सौरव गांगुली ने मुख्य खिलाड़ियों का एक खास समूह बनाया, सभी परिस्थितियों में उनके ऊपर विश्वास रखा, उन्हें नियमित रूप से टीम बनाए रखा और अपनी मार्ग-दर्शन में उन्हें अपने खेल का स्तर सुधारने में मदद की। गांगुली ने इस हद तक खिलाडियों का समर्थन किया कि कई मौकों पर वह कप्तान पद से इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हो गए। विराट को भी 'दादा' की तरह खिलाड़ियों को हर मैच में बदलने की जगह उनपर भरोसा दिखाना चाहिए और उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

6 विशेषज्ञ बल्लेबाजों को खिलाना

हालांकि यह सच है कि टेस्ट मैच जीतने के लिए किसी भी टीम को 20 विकेट लेने की ज़रूरत होती है लेकिन, यह भी सच है कि यदि बल्लेबाजी करने वाली टीम लगातार 300-350 से अधिक स्कोर नहीं करती तो वो टेस्ट जीत नहीं सकती। हाल में भारतीय टीम का इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका दौरा इसकी ताज़ा उदाहरण रहे हैं। सौरव गांगुली 6 बल्लेबाजों के साथ खेलते थे। सहवाग, सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण और खुद के टीम में होते हुए भी उ.न्होंने विदेशी दौरों में 6 बल्लेबाजों को खिलाया। इस पॉलिसी की बदौलत ही भारतीय टीम ने 2002 में हेडिंग्ले में और 2003 में एडिलेड में ऐतिहासिक और यादगार जीत दर्ज़ की। वहीं, विराट कोहली ने अभी तक 6 विशेषज्ञ बल्लेबाजों को नहीं खिलाया है। भले ही उनका पूरा शीर्ष क्रम रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा हो और फॉर्म से बाहर हो। वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी समस्या है।

खिलाड़ियों की भूमिका तय करना

गांगुली की टीम में, प्रत्येक खिलाड़ी की भूमिका तय थी। स्कोर को तेज़ी से बढ़ाने की ज़िम्मेवारी सहवाग की थी, द्रविड़ पर पारी संभालने की जबकि गांगुली, सचिन और लक्ष्मण पर टीम को उच्चतम स्कोर तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी होती थी। कुंबले और हरभजन पर मध्य ओवरों में बल्लेबाज़ों पर अंकुश लगाने की ज़िम्मेदारी होती थी जबकि गरकर, जहीर और नेहरा लगातार विकेट लेने के लिए गेंदबाजी करते थे। वहीं, कोहली की टीम में, खिलाड़ियों की भूमिका अनिश्चित है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में भुवनेश्वर कुमार के शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें दूसरे टेस्ट में नहीं खिलाया। हार्दिक पांड्या पूरी तरह से टेस्ट टीम के लिए उपयुक्त नहीं लगते, वहीं पुजारा को तेज़ खिलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कोहली को टीम में प्रत्येक खिलाड़ी को एक विशिष्ट भूमिका देनी चाहिए तांकि विदेशी सरज़मीं पर भी जीत सुनिश्चित की जा सके। लेखक: प्रतीक दोशी अनुवादक: आशीष कुमार

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