वनडे में ऑस्ट्रेलिया की भारत के खिलाफ 3 सबसे बड़ी हार जिन्हें वे कभी नहीं भूलेंगे

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ऑस्ट्रेलिया की टीम क्रिकेट इतिहास में सबसे सफल टीम रही है। उन्होंने वनडे क्रिकेट में 5 विश्वकप जीते हैं जबकि अन्य किसी दूसरी टीम ने 3 विश्वकप भी नहीं जीते हैं। यह आँकड़े ऑस्ट्रेलिया के विश्व क्रिकेट में वर्चस्व की बात दर्शाते हैं। भारत के खिलाफ भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है।ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच अब तक 128 वनडे मैच खेले गए जिसमे 73 में ऑस्ट्रेलिया और 45 में भारत जीतने में सफल रहा,जबकि 10 मैच बेनतीज़े रहे। मगर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को कुछ ऐसे मौकों पर हराया है जिसे वो कभी नही भूल पायेगा।

3# विश्व चैंपियनशिप, मेलबर्न ( 1985 )

भारत ने वर्ष 1983 में अपना पहला विश्वकप जीता था। यह कप कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने जीता था। दो वर्ष बाद 1985 में ऑस्ट्रेलिया में विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। इसमें गत विश्वकप विजेता भारत का सामना मेजबान ऑस्ट्रेलिया से हुआ। यह मैच मेलबर्न के मैदान में खेला गया। मेजबान होने के नाते ऑस्ट्रेलियाई समर्थकों को अपनी टीम से काफी उम्मीदें थी, मगर भारत की कसी हुई गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलिया अपने घर पर हार गई।

भारत ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया।भारतीय गेंदबाज कपिल देव और मदन लाल की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को टिकने नही दिया। ऑस्ट्रेलिया ने 17 रन पर अपने 4 विकेट खो दिये। पूरा ऊपरी क्रम के सिमट जाने के बाद विकेटकीपर बल्लेबाज वायने फिलिप्स ने जुझारू पारी खेली। उन्होंने 60 रनों का योगदान दिया और टीम का स्कोर 163 रनों तक पहुँचाया। भारत की ओर से कपिल देव ने 2 जबकि रोजर बिन्नी ने 3 विकेट लिए।

जवाब में भारतीय सलामी बल्लेबाज रवि शास्त्री और श्रीकांत ने जमकर बल्लेबाजी की और पहले विकेट के लिए 124 रन जोड़े। भारत ने 36.1 ओवरों में 2 विकेट के नुकसान पर यह लक्ष्य आसानी से हासिल किया। भारत ने यह मैच 8 विकेट से जीतकर ऑस्ट्रेलिया को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया।

"कॉमनवेल्थ बैंक" सीरीज 2008 ( दूसरा फाइनल,ब्रिस्बेन )

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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ष 2008 में 'कॉमनवेल्थ बैंक' सीरीज का दूसरा फाइनल बड़ा महत्वपूर्ण मैच था। अगर भारत इस मैच को जीत लेता तो ट्रॉफी अपने नाम कर लेता वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया इसे जीतकर बराबरी कर लेता, तब अगला मैच सुपर फाइनल होता।

भारत ने टॉस जीता और बल्लेबाजी करने के का फैसला किया। भारत को अच्छी शुरुआत मिली,लेकिन उसने जल्दी-जल्दी विकेट गंवाए। सचिन तेंदुलकर ने 121 गेंदों में 91 रनों की शानदार पारी खेली और 40 वें ओवर में क्लार्क की गेंद पर पोंटिंग को कैच थमा बैठे। भारत ने 258 रन बनाए।

जवाब में, ऑस्ट्रेलिया ने तीन शुरुआती विकेट जल्दी खो दिए। हेडन और साइमंड्स ने चौथे विकेट की 89 रनों की साझेदारी की। 26 वें ओवर में हेडन रनआउट हो गए। इसी ओवर में साइमंड्स भी हरभजन के द्वारा एलबीडबल्यू आउट हो गए । अंत में, जेम्स होप्स ने शानदार 63 रनों की पारी खेलकर मैच को अंतिम ओवर तक पहुँचाया मगर टीम को जीत नही दिलवा सके। प्रवीण कुमार ने 4 विकेट लिए जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया। भारत ने सीरीज़ का आखिरी फाइनल खेले बिना ही ट्रॉफी पर कब्ज़ा किया। इस मैच के बाद भारतीय कप्तान एम एस धोनी ने इसे टी-20 विश्व कप 2007 से बड़ी जीत बताया था।

1# विश्वकप क्वार्टर फाइनल ( वर्ष 2011,अहमदाबाद)

वर्ष 2011 विश्वकप का दूसरा क्वार्टर फाइनल मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद में खेला गया। नॉकआउट मैच में भारतीय टीम को घरेलू समर्थकों के सामने खेलना था। इस मैच को जीतने वाली टीम को सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना था।

गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया और भारत के खिलाफ एक रोमांचक मैच हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए रिकी पोंटिंग के शतक की मदद से 260 रनों का लक्ष्य दिया। जवाब में सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर ने सधी हुई शुरुआत की और टीम को संभाला। मगर मध्यक्रम में विकेट नियमित अंतराल पर गिरते रहे। धोनी के रूप में पांचवा विकेट 187 रनों के स्कोर पर गिरा। नए बल्लेबाज सुरेश रैना मैदान में बल्लेबाजी करने के लिए आए जिन्होंने अब तक विश्वकप में ज्यादा बल्लेबाजी नहीं की थी। दूसरे छोर पर युवराज सिंह डटे हुए थे। युवराज और रैना ने ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाजी का जमकर सामना किया।

अंत मे ब्रेट ली कि गेंद पर युवराज सिंह ने कवर ड्राइव लगाकर भारत को सेमीफाइनल में पहुँचाया। युवराज ने सर्वाधिक 57 रन बनाए।

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Edited by Naveen Sharma
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