अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वनडे प्रारूप में आने के बाद भारतीय टीम ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन हमेशा किया है। कपिल देव की कप्तानी से लेकर महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीमों ने खेल का स्तर भी काफी ऊपर उठाया। वर्ल्ड कप में भी भारत की टीम ने हमेशा अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की है।
शायद यही वजह है कि उन्होंने दो बार खिताब जीतने में सफलता हासिल की। अलग-अलग कप्तानों के नेतृत्व में भारतीय टीम ने प्रदर्शन भी उस हिसाब से किया है। खिलाड़ियों के बेजोड़ सामंजस्य के चलते टीम इंडिया कई बड़ी टीमों पर भारी पड़ी है। यही कारण है कि वर्ल्ड कप में भारत को कोई भी टीम कभी हल्का आंकने का प्रयास नहीं करती। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जब भी वर्ल्ड कप की बात आई है, भारतीय टीम ने जोरदार प्रदर्शन से सबको दांतों तले उँगलियाँ दबाने पर मजबूर किया है। हालांकि टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया की तरह ज्यादा वर्ल्ड कप जीतने का मौका नहीं मिला लेकिन प्रदर्शन के लिहाज से वर्ल्ड कप कम भी नहीं रहे। ऐसे ही तीन वर्ल्ड कप के बारे में यहाँ चर्चा की गई है। आप भी जानिए कि भारत को किन तीन वर्ल्ड कप मैचों के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।
नोट- यहाँ सिर्फ 50 ओवर वर्ल्ड कप की बात की गई है
भारत-ऑस्ट्रेलिया, 2003
भारतीय टीम ने सौरव गांगुली की कप्तानी में इस वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई थी। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी के लिए बुलाया और यह निर्णय गलत साबित हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट पर 359 रन का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। जवाब में खेलते हुए भारतीय टीम 234 रन बनाकर आउट हो गई और ख़िताब जीतने का सपना अधूरा रह गया। मुकाबले के बाद टीम सहित फैन्स भी काफी निराश हुए।
भारत-ऑस्ट्रेलिया, 2005 (महिला वर्ल्ड कप)
मिताली राज की कप्तानी में पहली बार भारतीय टीम इस वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन में पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं ने चार विकेट खोकर 215 रन बनाए। लक्ष्य इतना बड़ा नहीं था लेकिन फाइनल का दबाव अलग होता है। भारतीय महिलाएं इस दबाव को झेलने में असफल रही और 117 रन पर पूरी टीम आउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने मुकाबला 98 रन से जीतने के साथ ही ख़िताब भी जीत लिया।
इंग्लैंड-भारत, 2017 (महिला वर्ल्ड कप)
इस वर्ल्ड कप में भी भारतीय महिलाओं ने मिताली राज की कप्तानी में फाइनल तक का सफर तय किया। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सात विकेट खोकर 228 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने बढ़िया बल्लेबाजी की। एक समय ऐसा लगा कि भारतीय टीम मैच और कप जीतेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरी टीम 219 रन बनाकर रन बनाकर आउट हो गई और 9 रन से मैच गंवा दिया। अंतिम विकेट गिरने तक आठ गेंद शेष थी और जीतने का मौका था लेकिन टीम ने इसे गंवा दिया।