5 बार वर्ल्ड कप जीतना और 2 बार उपविजेता रहना किसी भी टीम की कामयाबी की दासतां बयां करता है। ऐसे में ये कहने की ज़रूरत नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम क्रिकेट इतिहास की सबसे कामयाब टीम है। दुनिया के कई बेहतरीन क्रिकेटर्स ने मिलकर इस टीम को मज़बूती दी है। ऑस्ट्रेलिया में हुनरमंद क्रिकेटर्स की कमी नहीं है ऐसे में किसी भी क्रिकेटर का ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय टीम में चुना जाना बेहद मुश्किल होता है। ऑस्ट्रेलिया में कई कामयाब क्रिकेटर हुए हैं, जिनकी महानता के किस्से हर क्रिकेट फ़ैंस की ज़ुबान पर हैं लेकिन उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरफ़ से एक भी वर्ल्ड कप नहीं खेला है।
#4 स्टुअर्ट मैकगिल
हांलाकि ये बात कोई भी नहीं कहेगा कि स्टुअर्ट मैकगिल एक महान लेग स्पिनर थे, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनका हुनर शेन वॉर्न से कहीं ज़्यादा था। वो ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से तब टेस्ट खेलते थे जब शेन वॉर्न गैरमौजूद रहते थे। वो गेंद को टर्न करने में माहिर थे, भले पिच का मिज़ाज कैसा भी हो। उन्हें वनडे में खेलने का ज़्यादा मौका नहीं मिल पाया। वो 50 ओवर के 3 ही मैच खेल पाए हैं, जिस में से एक भी वर्ल्ड कप का मैच शामिल नहीं है। साल 2000 में उन्होंने अपना पहला वनडे मैच खेला था, उसी साल उन्होंने अपना आख़िरी वनडे मैच भी खेला था। उन्होंने इन 3 मैचों में 6 विकेट हासिल किए थे। उन्होंने अपनी सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ी तब की थी जब 19 रन देकर 4 विकेट हासिल किए थे।
#3 लेन पासको
1970 के दशक की बात है, उस वक़्त लेन पासको कंगारू टीम का अहम हिस्सा थे, वो अपनी तेज़ गेंदबाज़ के लिए मशहूर थे। उन्हें बेहद आक्रामक गेंदबाज़ों में गिने जाते थे। उस दौर में डेनिस लिली और जेफ़ थॉमसन का जैसे तेज़ गेंदबाज़ों का जलवा था, यही वजह है कि पासको की चमक इन 2 महान खिलाड़ियों के सामने थोड़ी फीकी पड़ गई थी। पासको ने साल 1977 की एशेज़ सीरीज़ के ज़रिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट का रुख़ किया, उस वक़्त कैरी पैकर ने सुपर टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत की थी, यही वजह कि पासको के करियर के शुरुआती साल थोड़े बर्बाद हुए। उन्होंने 29 वनडे मैच खेले हैं जिनमें एक भी वर्ल्ड कप का मैच नहीं है। 1979 के वर्ल्ड कप में उन्हें मौक़ा नहीं मिला था। इसके अलावा वो घुटने की चोट से भी परेशान रहे और साल 1982 में उनके क्रिकेट करियर का अंत हो गया। उन्होंने 29 मैच में 20.11 की औसत और 4.07 की इकॉनमी रेट से 53 विकेट हासिल किए थे। अगर वो और क्रिकेट खेल पाते तो उनका करियर और भी बेहतर हो सकता था।
#2 रेयान हैरिस
रेयान हैरिस को आधुनिक युग का तेज़ गेंदबाज़ कहा जाता था। वो जब अपने करियर के चरम पर थे तब वो चोट का शिकार हो गए और उनका करियर ख़त्म हो गया। 27 टेस्ट मैच में उन्होंने 23.52 की औसत से 113 विकेट लिए थे, जो उनकी महान को बयां करने के लिए काफ़ी है। उन्होंने सिर्फ़ 18 वनडे मैच खेले हैं जिस में उनका औसत 18.90 और इकॉनमी रेट 4.84 है। वनडे में उन्होंने 44 विकेट हासिल किए थे लेकिन वो एक भी वर्ल्ड कप खेलने में नाकाम रहे। वो साल 2011 का वर्ल्ड कप खेल सकते थे लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट शॉन टेट और ब्रेट ली को हैरिस के ऊपर तरजीह दी थी।
#1 जस्टिन लैंगर
जस्टिन लैंगर को ऑस्ट्रेलिया का महानतम टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ कहा जाता है उनके दौर में उनसे बेहतर ओपनिंग बल्लेबाज़ और कोई नहीं था। वो मैथ्यू हेडन के साथ ऑस्ट्रेलियाई पारी की शुरुआत करते थे। लैंगर और हेडन की सलामी जोड़ी का तोड़ खोज पाना किसी भी विपक्षी गेंदबाज़ के लिए आसान नहीं होता था। इन सब के बावजूद लैंगर ने अपने 14 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में सिर्फ़ 8 वनडे मैच खेला था। उन्हें सिर्फ़ टेस्ट का खिलाड़ी मान लिया गया था इसलिए उन्हें वनडे में ज़्यादा मौका नहीं मिला। दिलचस्प बात ये है कि साल 2007 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था, लेकिन ठीक एक दशक पहले यानि साल 1997 में उन्होंने अपना पहला वनडे मैच खेला था। लैंगर के दौर में कंगारू टीम के पास अच्छे खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं थी यही वजह है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार 3 वर्ल्ड कप जीता था, ऐसे में लैंगर को वनडे के लिए ज़रूरी नहीं समझा गया। लैंगर भले ही काफ़ी कम वनडे मैच खेल पाए हों, लेकिन उन्हें आज भी बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है। लेखक- सोहम समद्दर अनुवादक- शारिक़ुल होदा