टेस्ट क्रिकेट को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से सबसे सर्वोच्च माना जाता है। जिससे पांच दिनों की अवधि में एक खिलाड़ी के कौशल और दृष्टिकोण का परीक्षण होता है। टी-20 क्रिकेट के सभी ग्लैमर और चकाचौंध के बावजूद छोटे प्रारूप टेस्ट क्रिकेट की जगह नहीं ले सकते हैं। किसी सत्र में एक टेस्ट मैच जीता जा सकता है और मैच का संतुलन एक तरफ से दूसरी तरफ स्थानांतरित हो सकता है। टी-20 के विपरीत जिसमें एक भी खिलाड़ी विपक्षी टीम से मैच छीन सकता है बल्कि इस टेस्ट क्रिकेट में टीम के सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है। ‘दुनिया में कोई क्रिकेट टीम एक या दो खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं है। टीम हमेशा जीतने के लिए खेलती है - विराट कोहली’ भारतीय कप्तान के शब्द यह समझाने के लिए काफी है कि क्रिकेट एक टीम गेम है और इसमें बल्ले व गेंद से हर किसी के योगदान की आवश्यकता होती है। यहां खिलाड़ियों द्वारा बनाये गये वह बल्लेबाजी रिकॉर्ड है जो मुख्य रूप से गेंदबाजों द्वारा बनाये है जो यह दर्शाता है हर कोई टीम में अपना योगदान दे सकता है। यहां ऐसे चार क्रिकेट खिलाड़ी हैं जो अपने टेस्ट करियर में कभी आउट नहीं हुए-
#4 जॉन चाइल्ड - इंग्लैंड: 4 पारियां, 2 रन
ग्लूस्टरशायर और एसेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट खेलने वाले जॉन चाइल्ड्स ने इंग्लैंड के साथ अपने करियर की शुरुआत 36 साल और 320 दिन की उम्र में वेस्टइंडीज के खिलाफ की। उनके द्वारा खेले गए दो मैचों में चाइल्ड्स ने 86 ओवरों में केवल तीन विकेट हासिल किए। जिस सीरीज में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का बोलबाला रहा था उसमें चाइल्ड सभी चार मौकों पर नॉट आउट रहे। चाइल्ड्स ने दोनों मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच मैचों की श्रृंखला में खेले, जिसमें इंग्लैंड ने 2-0 से हराया। संयोग से, चाइल्ड्स ने केवल उन मैचों में भाग लिया जिसमें इंग्लैंड को हार का सामना करना पड़ा।
मैच: 2, पारियां : 4, रन : 2, सर्वाधिक स्कोर: 2*
#3 टीनू योहानन - भारत: 4 पारी, 13 रन
टीनू योहानन केरल से भारत के लिए टेस्ट और वनडे खेलने वाले पहले क्रिकेटर थे। 2001 इंग्लैंड के खिलाफ योहानन का टेस्ट डेब्यू काफी यादगार रहा। उन्होंने इंग्लैंड के दोनों सलामी बल्लेबाज को आउट करते हुए अपने नाम 4 विकेट लिए। उनके द्वारा खेले गये अगले 2 टेस्ट मैचों में वह 1-1 विकेट ही ले सके और 3 मैचों में 51.20 की औसत से लिए गए 6 विकेट के साथ उनका करियर समाप्त हो गया। इन तीन मैचों में योहानन को चार बार बल्लेबाजी करने के लिए कहा गया और उन चार पारियों में वह नाबाद रहे। जिसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने आखिरी टेस्ट में बनाये गये 8 रन उनका उच्चतम स्कोर रहा। टीनू योहानन की बल्लेबाजी के बारे में यही दिलचस्प बात वनडे में भी हुई, वह दो बार बल्लेबाजी करने उतरे और दोनों बार नाबाद लौटे जिससे उनका बल्लेबाजी रिकॉर्ड और भी अनोखा हो गया।
मैच: 3, पारी : 4, रन: 13, सर्वाधिक स्कोर: 8*
#2 अफ़ाक़ हुसैन - पाकिस्तान: 4 पारी, 66 रन
प्रथम श्रेणी में महान रिकॉर्ड, 67 मैचों में 1448 रन और 214 विकेट। इतने अच्छे आंकड़े होने के बावजूद हुसैन को सिर्फ इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पाकिस्तान के लिए 2 मैच खेलने का मौका मिला। हुसैन के नाम टेस्ट क्रिकेट में एक अनूठा रिकॉर्ड है, बिना आउट हुए सबसे ज्यादा टेस्ट रन (66) बनाने का रिकॉर्ड। 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट मैच में उन्होंने 10* और 35* रन बनाए। तीन साल बाद 1964 में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने 8* और 13* रन बनाए।
मैच: 2, पारियां: 4, रन : 66, सर्वाधिक स्कोर: 35*
#1 एजाज़ चीमा - पाकिस्तान: 5 पारी, 1 रन
एजाज चीमा काफी देर से डेब्यू करने वाले खिलाड़ी रहे, जिसने 31 साल की उम्र में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत की थी। चीमा एक मजबूत प्रथम श्रेणी आंकड़ें लेकर टीम में आये थे, जिसमें क्वैद- ऐ- आजम ट्रॉफी के 8 मैचों में लिए गए अविश्वसनीय 57 विकेट शामिल थे। चीमा ने जिम्बाब्वे के खिलाफ एक जबरदस्त शुरू की थी जहां उन्होंने एक मैच में आठ विकेट झटके थे और 103 रनों पर 8 विकेट के साथ मैच समाप्त किया था, जो कि डेब्यू करने वाले किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी का दूसरा सर्वाधिक बेस्ट स्कोर था। सितंबर 2011 और जून 2012 के बीच खेले गए सात मैचों में उन्हें पांच मौकों पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला और वह हर बार नाबाद रहे। अपने टेस्ट करियर में उनका इकलौता एक रन बांग्लादेश के खिलाफ आया। चीमा सूची में सबसे ऊपर है क्योंकि वह अधिकतम पारियों में नाबाद रहे।