साल 2005 से लेकर साल 2007 की अवधि के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम में कई उतार चढ़ाव देखे गए। उस समय टीम इंडिया के कोच ग्रेग चैपल थे। वहीं उस समय के कुछ खिलाड़ियों ने खुले तौर पर उस अवधि को अपने करियर के सबसे बुरे अनुभव के रूप में बताया है। उस दौरान वेस्टइंडीज में साल 2007 में विश्वकप खेला गया था। जहां भारत शुरुआती चरण में ही हारकर बाहर हो गया था। इसके साथ ही उस दौरान भारतीय क्रिकेट का प्रदर्शन काफी निराशाजनक था। जिसके चलते पूरी टीम को आए दिन काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था। उस दौरान भारतीय टीम के पास अनुभव और युवाओं का मिश्रण था लेकिन कोई खास प्रतिभा नहीं थी। बिना प्रतिभा के भारत का स्तर नीचे की ओर गिरता जा रहा था। उस दौरान कप्तान ने खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला क्योंकि खिलाड़ी हर बार एक ही गलती को दोहराए जा रहे थे। इसके चलते ही ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो उस दौरान टीम इंडिया में शामिल थे लेकिन अब उनका कोई अता-पता ही नहीं है। खराब प्रदर्शन के चलते कई खिलाड़ियों को भारतीय टीम बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। आइए जानते हैं साल 2005-06 की भारतीय टीम के उन 4 खिलाड़ियों को जो समय के साथ लाइटलाइट से काफी दूर हो गए हैं।
#4 दिनेश मोंगिया
सौरव गांगुली के जरिए तैयार की गई प्रतिभाओं में से एक दिनेश मोंगिया भी थे। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिनेश मोंगिया कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। बाएं हाथ के बल्लेबाज और पार्ट टाइम बाएं हाथ के स्पिनर मोंगिया ने उस दौरान भारत के लिए 57 वनडे और एक टी20 खेला। ओडीआई क्रिकेट में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। 57 मैचों में खेलते हुए उन्होंने 1230 रन स्कोर किए। इस दौरान उनकी औसत 28 रही। अपने करियर के दौरान उन्होंने भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ किया। इस मैच में उन्होंने 159 रन बनाए थे। वहीं मोंगिया ने भारत का पहला टी20 मुकाबला भी खेला जो कि उनका एकमात्र टी20 मुकाबला रहा। इसमें औसत प्रदर्शन के कारण उन्हें 2007 विश्व कप के लिए भी नहीं चुना गया और जल्द ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। इसके अलावा दिनेश मोंगिया ने विवादास्पद और अब निष्क्रिय हो चुका आईसीएल भी खेला था। हैरानी की बात तो यह भी रही कि उस दौरान मोंगिया काफी युवा था लेकिन फिर भी उन्हें आईपीएल में भी कभी नहीं चुना गया।
#3 वीआरवी सिंह
विक्रम राज वीर सिंह (वीआरवी सिंह) राहुल द्रविड़ की कप्तानी के समय एक तेज गेंदबाज थे। वीआरवी सिंह ने 5 टेस्ट और 2 ओडीआई खेले। इनमें टेस्ट मुकाबलों में उन्होंने 8 विकेट हासिल किए तो वहीं एकदिवसीय मुकाबलों में वो एक भी विकेट हासिल करने में नाकाम साबित हुए। इंग्लैंड के खिलाफ अप्रैल 2006 में अपना ओडीआई पदार्पण करने के बाद उन्हें उस साल बाद में वेस्टइंडीज के दौरे पर भी चुना गया, जहां उन्हें टेस्ट टीम में मौका दिया गया। हालांकि विकेट लेने के मामले में विक्रम सफल नहीं साबित हो सके। ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम मैनेजमेंट ने भी उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं उन्होंने किंग्स इलेवन पंजाब के लिए कुछ आईपीएल मैच जरूर खेले लेकिन वहां भी वो कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए।
#2 वेणुगोपाल राव
आंध्र प्रदेश के बल्लेबाज वेणुगोपाल राव भारतीय क्रिकेट टीम में कोच ग्रेग चैपल के दौरान भारतीय मध्यक्रम में नियमित खिलाड़ी थे। उन्होंने भारत के लिए 16 एकदिवसीय मैच खेले लेकिन वो किसी भी तरह से प्रभावित करने में नाकाम रहे। राव ने अपने एकदिवसीय करियर में 24 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए महज 218 रन स्कोर किए। वहीं उन्होंने अपने करियर में सिर्फ एक अर्धशतक लगाया है और एक भी शतक नहीं लगा पाए। कप्तान राहुल द्रविड़ ने उस दौरान राव को तैयार करने में काफी मेहनत की लेकिन इसका परिणाम कुछ नहीं निकला। जल्द ही उन्हें टीम से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और मई 2006 के बाद उन्हें भारत के लिए नहीं खेला। हालांकि इंडियन प्रीमियर लीग में राव ने 65 मुकाबले जरूर खेले लेकिन इसकी बदौलत भी उन्हें कभी भारतीय टीम में वापसी का टिकट नहीं मिल पाया।
# 1 रमेश पोवार
मुंबई के ऑफ स्पिनर रमेश पोवार ने साल 2005-06 के दौरान भारत के लिए 2 टेस्ट और 31 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। पोवार ने मार्च 2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ अपनी शुरुआत की और कुछ सालों तक एक विशेषज्ञ ऑफ स्पिनर के रूप में टीम में मौजूद रहे। ओडीआई क्रिकेट में उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी का आंकड़ा 3/24 था और उन्होंने एक बार एकदिवसीय मैच में अर्धशतक भी लगाया है। इसके अलावा उनके करियर में कुछ खास नहीं रहा। पोवार ने ओडीआई क्रिकेट में 36 विकेट लिए और अक्टूबर 2007 में अपना आखिरी मैच खेला। अधिक वजन होने के कारण वह मैदान पर चुस्त नहीं थे। फिटनेस की कमी के कारण उनका करियर बुरी तरह से बाधित हुआ और जल्द ही पोवार को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि उन्होंने आईपीएल में कोच्चि टस्कर्स और किंग्स इलेवन पंजाब के लिए जरूर खेला लेकिन यहां भी सफलता हासिल नहीं कर पाए। लेखक : अथर्व आपटे अनुवादक : हिमांशु कोठारी