टेस्ट इतिहास के 4 महानतम कप्तान जो भारतीय सरज़मीं पर टेस्ट सीरीज़ जीतने में रहे नाकाम

विश्व क्रिकेट में कई देश ऐसे हैं जहां कि पिचों पर प्रदर्शन कर पाना आसान काम नहीं होता है। भारत भी उन्हीं देशों में से एक है जहां विदेशी टीमों के लिए मैदान पर टिककर खेल पाना टेढ़ी खीर के समान होता है। क्रिकेट की दुनिया में भारत की पिचें किसी चुनौती से कम नहीं है। यहां कि पिचों में स्पिन और उछाल काफी देखने को मिलता है। ऐसी परिस्थियों से निपटने के लिए एक संयमित कप्तान की जरूरत होती है, जो मुश्किल हालातों में भी टीम का बेहतर नेतृत्व कर सके और टीम को जीत दिला सके। हालांकि भारत के दौर पर बहुत ही कम कप्तानों ने सफलता हासिल की है। आइए यहां जानते हैं उन महान कप्तानों के बारे में जिन्होंने भारत में एक भी टेस्ट सीरीज में जीत हासिल नहीं की।

#4 स्टीफ़न फ्लेमिंग

स्टीफन फ्लेमिंग न्यूजीलैंड के शानदार कप्तानों में से एक थे। अपनी कप्तानी में स्टीफन फ्लेमिंग ने न्यूजीलैंड के लिए काफी कुछ किया और टीम को बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया। एक कप्तान के तौर पर स्टीफन फ्लेमिंग का रिकॉर्ड काफी अच्छा है। हालांकि भारत के मामले में उन्हें थोड़ी कमी देखने को मिली। स्टीफन फ्लेमिंग उन विदेशी कप्तानों में गिने जाते हैं जिनकी कप्तानी में न्यूजीलैंड की टीम ने भारतीय जमीन पर एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। न्यूजीलैंड के इस महान कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग ने भारत के दौर पर पांच टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी है। इनमें से साल 1999 में उन्होंने भारत के दौर पर 3 टेस्ट मैच और साल 2003 में भारत के दौर पर 2 टेस्ट मैचों में न्यूजीलैंड की कप्तानी की। हालांकि दोनों बार वो भारत के खिलाफ भारत में सीरीज जीतने में नाकाम साबित हुए। साल 1999 में खेली गई सीरीज 1-0 से भारत के नाम रही तो वहीं साल 2003 में खेली गई दो टेस्ट मैचों की सीरीज के दोनों टेस्ट मैच ड्रॉ रहे।

#3 ग्रीम स्मिथ

ग्रीम स्मिथ दक्षिण अफ्रीका के शानदार खिलाड़ियों में तो जाने ही जाते हैं, साथ ही ग्रीम स्मिथ एक महान कप्तान के तौर पर भी देखे जाते हैं। अपनी कप्तानी में ग्रीम स्मिथ ने कई मुश्किल हालात में बेहतरीन नेतृत्व कर टीम को विजेता बनाया है। ग्रीम स्मिथ की कप्तानी में महानता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका को 53 टेस्ट मैचों में जीत दिलाई है। हालांकि भारत में टेस्ट सीरीज जीत के मामले में ग्रीम स्मिथ नाकाम साबित हुए। अपनी कप्तानी में ग्रीम स्मिथ दक्षिण अफ्रीका की टीम को भारतीय धरती पर एक भी टेस्ट सीरीज में विजेता नहीं बना पाए। उन्होंने साल 2004, 2008 और 2010 में भारत का दौरा करने वाली दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम का नेतृत्व किया था। इन दौरों पर दक्षिण अफ्रीका ने साल 2004 में खेली गई टेस्ट सीरीज को गंवा दिया था लेकिन साल 2008 और 2010 की टेस्ट सीरीज को ड्रॉ करने में कामयाबी हासिल की लेकिन जीत किसी भी सीरीज में नहीं पाई। भारत के खिलाफ खेले गए 7 टेस्ट मुकाबलों में ग्रीम स्मिथ ने भारतीय जमीन पर दक्षिण अफ्रीका की कप्तानी की। इनमें से उनकी टीम को सिर्फ एक मुकाबले में ही जीत नसीब हुई। इसके अलावा दो मैच ड्रॉ हुए और दो मैचों में दक्षिण अफ्रीका को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा भारत में खेलते हुए ग्रीम स्मिथ का बल्लेबाजी प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं रहा है। भारत के खिलाफ भारत में बल्लेबाजी करते हुए ग्रीम स्मिथ ने सिर्फ तीन अर्धशतकीय पारियां खेली हैं। इस दौरान उनकी औसत 38 से थोड़ी ज्यादा की रही और उनका उच्चतम स्कोर 71 रन रहा।

#2 स्टीव वॉ

क्रिकेट की दुनिया में अगर महान कप्तानों के बारे में बात की जाए तो उनमें स्टीव वॉ का नाम जरूर आएगा। स्टीव वॉ की कप्तानी काबिल-ए-तारीफ थी। अपनी सूझबूझ से भरी कप्तानी के दम पर स्टीव वॉ ने कई मैचों का रुख ही पलटकर रख दिया। वहीं स्टीव वॉ ऑस्ट्रेलिया के सफल कप्तानों में गिने जाते हैं जिन्होंने टीम के लिए काफी योगदान दिया है। भारत के खिलाफ भारत में स्टीव वॉ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ एक टेस्ट सीरीज खेली है। साल 2000/01 में खेली गई इस सीरीज में दोनों टीमों के बीच तीन टेस्ट मैच खेले गए। स्टीव वॉ की कप्तानी में ये तीनों टेस्ट मैच काफी शानदार थे। लेकिन भारतीय सरज़मीं पर स्टीव वॉ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज जीतने में नाकाम रही। स्टीव वॉ ऑस्ट्रेलिया के ऐसे आत्मविश्वास से भरे कप्तान थे, जिनकी कप्तानी में कंगारूओं ने लगातार 16 टेस्ट जीत में से 15 में जीत हासिल की थी। यह अभी भी विश्व क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड है। हालांकि भारत में भारत को टेस्ट सीरीज में हराने का स्टीव वॉ का सपना एक सपना बनकर ही रह गया। साल 2000/01 में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच खेली गई बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी काफी रोमांचक सीरीज के तौर पर जानी जाती है। इस सीरीज में दोनों टीमों में हार और जीत का काफी नजदीकी मामला रहा। स्टीव वॉ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने इस सीरीज का पहला टेस्ट मैच मुंबई में 10 विकेट से जीत लिया था। हालांकि इसके बाद भारत ने कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में जबरदस्त तरीके से वापसी की। इस मुकाबले में फॉलो ऑन का सामना कर रही टीम इंडिया की ओर से चौथे दिन राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने मिलकर शानदार बल्लेबाजी दिखाई और स्टीव वॉ को परेशानी में लाकर खड़ा कर दिया। दूसरे मुकाबले में भारत ने 171 रनों से जीत दर्ज की और सीरीज को 1-1 की बराबरी पर ला खड़ा किया। तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच दोनों देशों के बीच निर्णायक टेस्ट मैच रहा। चैन्नई में खेले गए इस मुकाबले में भारत ने जोरदार तरीके से दो विकेट से मैच में जीत हासिल की। इसके साथ सीरीज को भी 2-1 से भारतीय टीम ने अपने नाम कर लिया।

#1 रिकी पॉन्टिंग

रिकी पॉन्टिंग का नाम ऑस्ट्रेलिया के महान कप्तानों में गिना जाता है। रिकी पॉन्टिंग ही ऐसे कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार दो बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया है। टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में कप्तानी का रिकी पॉन्टिंग का शानदार रिकॉर्ड रहा है। हालांकि भारत के खिलाफ भारत में टेस्ट सीरीज जीतने के मामले में रिकी पॉन्टिंग पीछे रहे गए। रिकी पोंटिंग उन महान कप्तानों में एक हैं जो अपनी कप्तानी में भारतीय जमीन पर अपनी टीम को एक भी टेस्ट सीरीज नहीं जीता पाए। रिकी पॉन्टिंग ने भारत खेलते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम के 7 टेस्ट मैचों की कप्तानी की है। इन सात टेस्ट मैचों में रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम को 5 टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा है और दो टेस्ट मैच ड्रॉ रहे हैं। साल 2008/09 में चार टेस्ट मैचों की सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में 2-0 से सीरीज गंवानी पड़ी। इनमें से दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को 320 रन और चौथे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 172 रनों के बड़े अंतराल से हार का सामना करना पड़ा। वहीं साल 2010 में रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम को दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 से हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा साल 2004 में रिकी पॉन्टिंग ने 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में से 1 टेस्ट मैच का नेतृत्व भी भारत के खिलाफ भारत में किया था लेकिन उस मैच में भी ऑस्ट्रेलिया को हार का सामना करना पड़ा। लेखक: संकल्प श्रीवास्तव अनुवादक: हिमांशु कोठारी

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