उप-महाद्वीप हमेशा से विदेशी बल्लेबाजों के लिए एक ऐसी जगह रही है जहां बल्लेबाजों के लिए खौफ रहता है। सालों से हमने देखा है कि कैसे मेहमान टीम स्पिन-अनुकूल परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाने में असफल रही है और खुद को स्पिनरों का सामना करने में असमर्थ पाते हैं। यहां तक कि कई सालों से खेलने के बाद भी स्पिन अभी भी एक बड़ा रहस्य बनी हुई है जिसे विदेशी बल्लेबाज अभी भी समझ नहीं पाये है। जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों द्वारा विदेशी पिचों पर शतक लगाना उनकी बड़ी सफलता माना जाता है ठीक उसी प्रकार गैर-एशियाई देशों के बल्लेबाजों के लिए भारतीय मिट्टी पर शतक लगाना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यहां तक कि बड़े से बड़े बल्लेबाजों के लिए भी भारतीय सरजमीं पर रन बनाना मुश्किल भरा काम रहा है। नतीजतन, भारत में उनका रिकॉर्ड उनकी प्रतिष्ठा को बिल्कुल नहीं दर्शाते है। भारतीय परिस्थितियों में उनकी विफलता का एक संभावित कारण स्पिनरों की विविधताओं को समझने में असमर्थता रही है। इस आर्टिकल में हम उन चार महान बल्लेबाजों का जिक्र करेंगे जो भारतीय सरजमीं पर एक भी शतक नहीं लगा सके। नोट: केवल उन खिलाड़ियों को शामिल किया है, जिन्होंने 7000 या अधिक टेस्ट रन बनाए हैं, 15 या उससे अधिक शतक और भारत में कम से कम 3 टेस्ट मैच खेले हैं।
#4 क्रिस गेल
किंग्स्टन के किंग क्रिस गेल आईपीएल में सबसे लोकप्रिय विदेशी खिलाड़ी है। उन्होंने अपनी धाकड़ बल्लेबाजी के दम पर भारतीय फैंस को आकर्षित किया है और वर्षों से क्रिकेट प्रशंसकों का बहुत मनोरंजन किया है। हालांकि, आप शायद यह नहीं जानते कि भारतीय मिट्टी पर खेले गये टेस्ट क्रिकेट में गेल कभी भी तीन अंकों तक नहीं पहुंच पाये हैं। गेल ने अपने टेस्ट करियर में दो बार (2002 और 2013) टेस्ट मैचों के लिए भारत का दौरा किया है और उस दौरान खेले गये 5 टेस्ट मैचों में 28 की औसत से 257 रन बनाये हैं। भारत में उनका सर्वोच्च स्कोर 88 का था। गेल टेस्ट क्रिकेट में 2 तिहरा शतक लगाने वाले 4 बल्लेबाजों में से एक हैं। 2005 में गयाना में उनका पहला तिहरा शतक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आया था। 5 साल बाद उन्होंने गाले में श्रीलंका के खिलाफ 333 रनों का स्कोर खड़ा किया। लेकिन भारतीय सरजमीं पर टीम इंडिया के खिलाफ तीन नंबर के आंकड़े तक पहुंचने में नाकाम रहे।
#3 जस्टिन लैंगर
जस्टिन लैंगर ऑस्ट्रेलिया के सबसे अच्छे सलामी बल्लेबाजों में से एक थे। उन्होंने अपने साथी मैथ्यू हेडन के साथ एक शानदार जोड़ी बनाई और ऑस्ट्रेलिया को हर बार महान शुरुआत दी। हालांकि लैंगर ने भारत में उतनी सफलता का स्वाद नहीं चखा जितना उन्होंने अन्य देशों में किया था। उन्होंने दो बार (2001 और 2004) भारत का दौरा किया और भारत में खेले गये 7 टेस्ट में 3 अर्धशतक लगाये, जिसमें 29 की औसत से 389 रन बनाये थे। हैरानी की बात है कि एक व्यक्ति जिसने अपने टेस्ट करियर में 23 शतक लगाए हैं वह भारत में एक भी शतक नहीं लगा सका। स्पिन-अनुकूल भारतीय परिस्थितियों में कुंबले और हरभजन जैसे महान गेंदबाजों के सामने जस्टिन की बल्लेबाजी कमाल नहीं कर सकी। लैंगर ने अंतरराष्ट्रीय करियर में 105 टेस्ट में 45 की औसत से 7696 रन बनाए हैं। लैंगर ने भारत के खिलाफ दोहरा शतक (355 गेंदों में 223 रन) भी लगाया है लेकिन वह 2000 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में आया था।
#2 ग्रीम स्मिथ
दक्षिण अफ्रीका का सबसे बड़ा टेस्ट कप्तान भी बल्लेबाजी के साथ जबरदस्त रहा है और टेस्ट क्रिकेट में पूरी दुनिया में रन बनाये हैं। हालांकि भारत के इम्तिहान को पास करने में वह असफल रहे, ग्रीम स्मिथ ने टेस्ट मैचों (2004, 2008 और 2010) के लिए अपने करियर में तीन बार भारत का दौरा किया लेकिन केवल 36 की औसत से 431 रनों बना सके और उनके नाम एक भी शतक शामिल नहीं है। जहीर खान के खिलाफ उनकी प्रतिद्वंद्विता भारतीय प्रशंसकों के लिए मजेदार मुकाबला थी क्योंकि जहीर कुछ मौकों पर स्मिथ से बीस साबित हुए थे। इसने भारत में स्मिथ के निराशाजनक प्रदर्शन में एक प्रमुख कारक निभाया था। अपने करियर में स्मिथ ने 117 टेस्ट मैचों में 48 के औसत से 9265 रन बनाए और निसंदेह उन्हें दक्षिण अफ्रीका का अब तक का सबसे अच्छा सलामी बल्लेबाज माना जाता है।
#1 ब्रायन चार्ल्स लारा
त्रिनिदाद का यह राजकुमार अपने युग के महानतम बल्लेबाजों में से एक था और कई बार विंडीज़ टीम के लिए एकमात्र लड़ाकू सिपाही था। ब्रायन लारा एक बार मैदान पर सेट होने के बाद मैराथन पारी खेलने के लिए जाने जाते थे। एक पारी में किसी बल्लेबाज द्वारा उच्चतम टेस्ट स्कोर के रिकॉर्ड के साथ कई प्रतिष्ठित रिकॉर्ड धारक होने के नाते लारा के करियर में एकमात्र अफसोस भारतीय मिट्टी पर एक भी शतक नहीं लगा पाना था। उन्होंने 1994 में भारत में 3 टेस्ट मैच खेले और 33 की औसत से 198 रन बनाये। वह एक बार नब्बे के आंकड़े (91) तक तो पहुंचे पर उसे शतक में तब्दील नहीं कर पाये। उसके बाद, उन्होंने फिर से भारत का दौरा नहीं किया। 2008 में सचिन तेंदुलकर द्वारा पीछे छोड़ने के पहले लारा टेस्ट क्रिकेट में अग्रणी रन-स्कोरर थे। 131 टेस्ट मैचों में लारा के नाम 34 टेस्ट शतक के साथ 52 की औसत से 11953 रन शामिल हैं। लेखक- अथर्व आप्टे अनुवादक- सौम्या तिवारी