अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले सभी खिलाड़ी हर मैच में अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं। जो खिलाड़ी किसी मैच में सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसे मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिलता है। यह अवॉर्ड सभी खिलाड़ियों के लिए खास होता है क्योंकि इसके बाद टीम में उसे अपनी जगह पक्की लगने लगती है।
कभी आपको सोचा है अगर मैन ऑफ द मैच मिलने के बाद किसी खिलाड़ी को मैच ही खेलने का मौका ना मिले तो? भारतीय क्रिकेट में ही इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। आज हम आपको उन 4 भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें मैन ऑफ द मैच मिलने का बाद उस फॉर्मेट में कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका ही नहीं मिला।
#4 सुब्रमण्यम बद्रीनाथ (टी20 अंतरराष्ट्रीय)
आईपीएल 2011 में करीब 56 की औसत से रन बनाने के बाद सुब्रमण्यम बद्रीनाथ को भारतीय टीम के साथ वेस्टइंडीज दौरे पर जाने का मौका मिला। दौरे पर हुए एक मात्र टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में उन्हें डेब्यू करने का मौका मिला। उन्होंने इस मैच में 37 गेंदों पर 43 रनों की पारी खेली।
भारतीय टीम को इस मैच में 16 रनों से जीत मिली और बद्रीनाथ को मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला। इसके बाद बद्रीनाथ को कोई भी टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
#3 इरफ़ान पठान (वनडे)
साल 2012 में भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर गई थी। यह वहीं दौरा था जिसके 5 वनडे मैचों में रोहित शर्मा ने मात्र 13 रन बनाये थे। इसी सीरीज के अंतिम मैच में इरफ़ान पठान ने पहले बल्ले से 28 गेंदों में 29 रन बनाये और फिर गेंदबाजी ने 61 रन देकर श्रीलंका के 5 बल्लेबाजों को आउट किया।
भारत ने इस नजदीकी मैच को 20 रनों से जीत लिया। इस प्रदर्शन के लिए इरफ़ान को मैच ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला। उनके बाद पठान को भारत के लिए कभी वनडे मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
#2 अमित मिश्रा (वनडे)
न्यूज़ीलैंड की टीम 2016 के अंत में 3 टेस्ट और 5 वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारत दौरे पर आई थी। भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज तो आसानी से जीत ली लेकिन 4 वनडे के बाद दोनों टीमें 2-2 की बराबरी पर थी। विशाखापट्टनम में खेले गए निर्णायक मुकाबले में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 269 रन बनाये।
270 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए किसी पारी सिर्फ 79 रनों पर सिमट गई। अमित मिश्रा ने 6 ओवर में 16 रन देकर 5 विकेट लिए। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच के साथ ही सीरीज में शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड भी मिला। मिश्रा इतने बदकिस्मत रहे कि उन्हें उनके बाद भारत के लिए वनडे मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
#1 प्रज्ञान ओझा (टेस्ट)
सचिन तेंदुलकर के आखरी टेस्ट तो सभी को याद होगा। भारतीय टीम ने उस मैच को पारी और 126 रनों से जीत लिया था। इस मैच में भारतीय टीम के बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने दोनों पारियों में 5-5 विकेट चटकाए। मैच में उन्होंने 89 रन देकर 10 विकेट लिए।
ओझा के टेस्ट करियर का यह सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था और उन्हें मैन ऑफ द मैच भी मिला। इसके बाद ओझा को भारत के लिए कोई भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। किसी भी खिलाड़ी के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता।