क्या किसी भी सम्मानित क्रिकेटर के लिए चार साल में होने वाले 50-ओवरों के विश्व कप में अपने देश की तरफ से खेलने से बड़ा कोई सपना होता है? नहीं..शायद, प्रत्येक क्रिकेटर अपने जीवन में कम से कम एक बार विश्वकप में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करता है। यद्यपि विश्वकप के सपने को देखने वाले कई मशहूर खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जिन्हें देश में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक होने के बावजूद वह विश्वकप के मंच तक नहीं पहुंच पाये हैं। कभी चोट के कारण तो कभी अपने प्रदर्शन की कारण वह किसी भी विश्वकप टीम का हिस्सा बनने से चूक गये। इस प्रकार इस लेख में हम उन चार महान भारतीय खिलाड़ियों पर नजर डालेंगे जो कभी विश्व कप टीम में जगह नहीं बना सके। #1 वीवीएस लक्ष्मण
इंडियन फैब फोर का एक हिस्सा वीवीएस लक्ष्मण को सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाजों में से एक घोषित किया गया था। निचले मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में अपने करियर को शुरु करने के बाद, लक्ष्मण ने अक्सर अपनी जबरदस्त पारियों के साथ विपक्ष को खूब परेशान किया। 2001 में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के खिलाफ प्रतिष्ठित ईडन गार्डन्स में अपने शानादार 281 रनों के बदौलत उन्होंने हार के जबड़े से जीत चुरा ली थी। लक्ष्मण का करियर किसी रोलर कोस्टर की सवारी से कम नहीं था, जिसमें कई उतार चढ़ाव देखे। हालांकि हर बार उन्होंने एक साहसिक पारी के साथ जवाब दिया जिसकी कोई बराबरी नहीं की जा सकती। हालांकि लक्ष्मण एकदिवसीय मैचों में टेस्ट मैचों की तरह प्रभावी नहीं थे लेकिन वह अपने 86 मैचों के वनडे करियर में टीम इंडिया के एक महत्वपूर्ण अंश बने रहे। टेस्ट की तरह ही वनडे में एक अच्छा खिलाड़ी बनने के रास्ते में पिच पर उनका धीमा प्रदर्शन रोड़ा साबित हुआ। जिसका मतलब यह था कि वह कभी भी भारत के लिए किसी भी विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं थे। हैदराबाद के स्ट्रोक प्लेयर ने 2003 विश्व कप टीम में लगभग जगह बना ली थी लेकिन आखिरी मिनट पर लक्ष्मण की जगह पर दिनेश मोगिया को शामिल करने के फैसले ने उनके विश्वकप के सपने को समाप्त कर दिया और उसके बाद वह कभी भी विश्वकप टीम में शामिल नहीं हो सके।#2 चेतेश्वर पुजारा
सौराष्ट्र के दाएं हाथ के अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा केंद्रित बल्लेबाजों में से एक हैं। उनकी ट्रेडिशनल बल्लेबाजी तकनीक और दृढ़ मानसिकता ने गेंदबाजी करने के लिए उन्हें सबसे कठिन बल्लेबाजों में से एक बनाया, विशेष रूप से खेल के लंबे स्वरूपों में शामिल किया है। पुजारा ने सीमित ओवरों में भी अपनी शानदार बल्लेबाजी का परिचय दिया है, 2006 के अंडर-19 विश्वकप में 116 रनों के औसत से 346 रन बनाये, जिसमें वह उच्चतम रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। हालांकि, सफेद गेंद के साथ प्रदर्शन में कमी के कारण उन्होंने कभी भी भारतीय वनडे के लिए बहुत अधिक रन नहीं जुटाए। समय के साथ पुजारा ने अपनी विशिष्टता टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा और लगभग सफेद गेंद वाले क्रिकेट से उन्हें दूर होना पड़ा। इसी वजह से गुजरात का यह प्रतिभाशाली बल्लेबाज कभी भी विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं था और वनडे क्रिकेट में उनकी वापसी बेहद असंभव प्रतीत होती है।#3 मुरली विजय
चुस्त फुटवर्क के साथ गेंद की लाइन और लेंथ समझने में मुरली विजय एक असाधारण खिलाड़ी रहे हैं। हालांकि विजय ने भारतीय टेस्ट टीम में सलामी बल्लेबाज की पहली पंसद के रूप में अपनी जगह पक्की की है, लेकिन सफेद गेंद के साथ उनकी योग्यता हमेशा चर्चा का विषय रही है। गंभीर और सहवाग के युग में शुरुआत होने के बाद वनडे में विजय की जगह हमेशा सवालों के घेरे में रहती थी जब तक गंभीर या सहवाग के सामने कोई चोट नहीं आती थी। इस प्रकार वनडे में कुछ मौकों पर कोशिश करने के बाद आखिरकार भारतीय वनडे टीम से विजय का रास्ता अलग कर दिया गया। फिर 2011 विश्व कप टीम में शामिल ना होने के बाद चेन्नई के दाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपनी पसंद स्पष्ट कर दी और टेस्ट क्रिकेट पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया।#4 ईशांत शर्मा
दिल्ली के दुबले और लंबे तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गये पर्थ टेस्ट में रिकी पोंटिंग के सामने जादुई स्पेल डालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आगमन की घोषणा की, जो भारत के उस दौरे पर निर्णायक साबित हुई। गेंद को हवा में स्विंग कराने की क्षमता के साथ 1.93 मीटर लंबे तेज गेंदबाज ने खेल के लंबे प्रारूपों में सबसे अच्छे गेंदबाजों में से एक होने का दावा करता है। हालांकि चोटों को लेने की उनकी प्रवृत्ति ने उन्हें खेल के छोटे प्रारूपों से अलग कर दिया है जो वनडे में ईशांत के औसत ट्रैक रिकॉर्ड का कारण रहा है। उनकी लंबाई और गेंद को अतिरिक्त बाउंस प्रदान करने की उनकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए चयनकर्ताओं ने उन्हें 2015 विश्व कप के लिए टीम में चुना। हालांकि इशांत को ज्वाइंट इंजरी से उबरने में समय लगा और उसे मेगा इवेंट से बाहर कर दिया गया। लेखक- अनुवादक- सौम्या तिवारी