भारत के श्रीलंका दौरे के दौरान गांगुली सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 'करो या मरो' के मैच में अपनी जगह सहवाग को पारी की शुरुआत करने के लिए कहा। इससे पहले सहवाग की अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में शुरुआत कुछ अच्छी नहीं रही थी और उन्होंने तब तक खेले 14 एकदिवसीय मैचों में 16.36 की औसत से सिर्फ 169 रन बनाए थे। उन्होंने गांगुली के प्रस्ताव को कुछ हिचकिचाहट के साथ मान लिया। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर सहवाग ने अपने पहले ही मैच में 70 गेंदों में 100 रन बनाकर अपनी पहचान बनाई और टीम इंडिया के सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाज़ बने। लेखक: हरिगोविंद शंकर अनुवादक: आशीष कुमार