आईपीएल इतिहास में चेन्नई सुपरकिंग्स की कामयाबी के 4 राज़

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इस बात में कोई शक नहीं है कि चेन्नई सुपरकिंग्स आईपीएल की सबसे कामयाब टीम रही है। इस टीम ने ना सिर्फ़ 3 बार आईपीएल खिताब जीता है बल्कि जिस सीज़न में भी चेन्नई ने शिरकत की है उस सीज़न में उसने प्लेऑफ़ का सफ़र तय किया था। इसके अलावा धोनी की पीली आर्मी 4 बार इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही है।

आईपीएल की कोई भी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स की बराबरी नहीं कर पाई है। हालंकि मुंबई इंडियंस ने भी चेन्नई की तरह 3 बार आईपीएल की ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया है, लेकिन इसने चेन्नई की तरह लगातार बेहतरीन प्रदर्शन नहीं किया है। आईपीएल के शुरुआती सीज़न से ही चेन्नई बेहद मज़बूत टीम रही है। हर सीज़न के साथ चेन्नई का दबदबा आईपीएल में बढ़ता चला गया।

साल 2015 में चेन्नई के अधिकारी सट्टेबाज़ी में दोषी पाए गए थे। इसकी वजह से चेन्नई पर 2 साल का बैन लग गया। साल 2016 और साल 2017 चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए बेहद बुरा दौर था। इन दोनों सीज़न में पीली जर्सी की टीम आईपीएल में नज़र नहीं आई थी। साल 2018 में चेन्नई टीम ने आईपीएल में वापसी की और तीसरी बार ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया।

हम यहां आईपीएल इतिहास में चेन्नई सुपरकिंग्स की कामयाबी के 4 वजहों की चर्चा कर रहे हैं।


#1 महेंद्र सिंह धोनी – एक सच्चा लीडर

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एक बात जो चेन्नई को बाक़ी टीम्स से अलग बनाती है वो है इसकी लीडरशिप। चेन्नई टीम ख़ुशकिस्मत है कि उसे महेंद्र सिंह धोनी जैसा कप्तान मिला है। धोनी के बिना चेन्नई एक आम टीम की तरह होती। अगर आज पीली आर्मी आईपीएल में इतिहास लिख रही है तो इसके पीछे माही की कड़ी मेहनत और सूझबूझ शामिल है।

धोनी के पास अनुभव की भरमार है जो उनकी टीम के बाक़ी खिलाड़ियों का फ़ायदा पहुंचाती है। वो दूसरे क्रिकेटर के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। इसके अलावा वो अपनी टीम के सदस्य पर पूरा भरोसा करते हैं। मुश्किल वक़्त में भी वो अपने खिलाड़ी का साथ देते हैं। यही वजह है कि चेन्नई के खिलाड़ी धोनी का काफ़ी सम्मान करते हैं जो टीम के लिए फ़ायदेमंद होता है।

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#2 चेन्नई टीम की संस्कृति

चेन्नई सुपरकिंग्स की कामयाबी की दूसरी सबसे बड़ी वजह है यहां की सदभावपूर्ण और प्रेरणादायक संस्कृति जो टीम को एक सूत्र में बांधे रखती है। चेन्नई के टीम मैनेटमेंट और स्टाफ़ की कोशिश रहती है कि ड्रेसिंग रूम का माहौल ख़ुशनुमा रहे। जिससे टीम में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। अगर ड्रेसिंग रूम में अच्छी बातें होंगी तो निश्चित रूप से ये टीम को फ़ायदा पहुंचाएगी। ये कहने की ज़रूरत नहीं कि अगर ड्रेसिंग रूम का माहौल अच्छा होगा तो इसका असर मैदान में भी देखने को मिलेगा।

हर खिलाड़ी के पास ख़ुद का हुनर होता है और मैनेजमेंट की कोशिश होती है कि उनके क्रिकेटर अपनी क़ाबिलियत के हिसाब से खेलें। खिलाड़ियों को अपने खेल का तरीका चुनने की पूरी आज़ादी दी जाती है। हर खिलाड़ी की कामयाबी को सराहा जाता है और उसका जश्न भी मनाया जाता है। जब मुश्किल हालात पैदा होते हैं तब टीम के खिलाड़ी एक दूसरे के और करीब आ जाते हैं जिससे टीम को जीत हासिल करने में मदद मिलती है।

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#3 टीम एफ़र्ट

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अगर चेन्नई टीम के आंकड़ों की बात करें किसी के भी ज़ेहन में सुरेश रैना की रन बनाने की क्षमता और पिछले 11 सालों में धोनी की कमाल की कप्तानी का ख़्याल आता है। लेकिन असली कहानी इससे कहीं बढ़कर है। कोई भी टीम सिर्फ़ 2 खिलाड़ियों की बदौलत 3 बार आईपीएल विनर नहीं बन सकती है। चेन्नई सुपरकिंग्स की अब तक की कामयाबी का श्रेष टीम के बाक़ी सदस्यों को भी मिलना चाहिए।

चेन्नई के पास आरसीबी टीम की तरह नामी खिलाड़ी नहीं हैं, लेकिन चेन्नई का हर खिलाड़ी अपना बेस्ट देने की कोशिश करता है। यही वजह है कि धोनी की टीम का स्तर बाक़ी टीम के मुक़ाबले काफ़ी ऊंचा है। चेन्नई के हर खिलाड़ी ने अपना योगदान दिया है और अपनी टीम को शिखर पर पहुंचाया है। चूंकि क्रिकेट एक टीम गेम है, यहां हर किसी का योगदान टीम के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है। चेन्नई के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है।

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#4 चेन्नई के जोशीले फ़ैंस

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पिछले 11 सालों में चेन्नई सुपरकिंग्स ने कई क्रिकेट प्रेमियों के दिल जीते हैं। इस टीम की लोकप्रियता महज़ चेन्नई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके चाहने वाले पूरे देश में फैले हुए। यही वजह है कि 2 साल का बैन झेलने के बावजूद चेन्नई सुपरकिंग्स के फ़ैंस की तादात में कोई कमी नहीं आई। इनके समर्थकों की संख्या वक़्त से साथ बढ़ती जा रही है। साल 2018 में धोनी की पीली आर्मी की वापसी हुई थी, जिसका लोगों ने खुले दिल से स्वागत किया था।

पिछले साल चेन्नई शहर में सुपरकिंग्स के फ़ैंस ने अपनी टीम की वापसी का सड़कों पर जश्न मनाया था। चेन्नई टीम के खिलाड़ी जब प्रैक्टिस के लिए मैदान में रहते थे तब भी स्टेडियम में 10,000 से ज़्यादा की भीड़ मौजूद रहती थी। जब कावेरी विवाद की वजह से सुपरकिंग्स के मैच का वेन्यू चेन्नई से पुणे शिफ़्ट किया गया। तब भी हज़ारों की संख्या में फ़ैंस चेन्नई से पुणे मैच देखने आए थे। फ़ैंस का यही सपोर्ट चेन्नई के खिलाड़ियों में जोश भर देता है, और खिलाड़ी अपने फ़ैंस की ख़ुशी के लिए कुछ भी कर गुज़रते हैं।

लेखक- शशांक श्रीवास्तव

अनुवादक- शारिक़ुल होदा

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Edited by सावन गुप्ता
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