जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर पहली बार टेस्ट सीरीज़ जीता, तब इस टीम को हर तरफ़ से वाहवाही मिली। ये पूरी तरह से टीम एफ़र्ट था जिसकी वजह से कामयाबी हासिल हुई है। विराट कोहली के साथियों ने वो कर दिखाया जो अब से पहले नामुमकिन सा लगता था। हांलाकि ज़्यादातर क्षेत्र में टीम इंडिया मज़बूत नज़र आई, लेकिन इस टीम की ओपनिंग बल्लेबाज़ी की परेशानी खुलकर सामने आ गई।
भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज केएल राहुल और मुरली विजय अपने मौके को भुनाने में नाकाम रहे और टीम के लिए फ़्लॉप साबित हुए। विजय को दूसरे टेस्ट के बाद टीम से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने 4 पारियों में महज़ 49 रन बनाए थे। केएल राहुल को सिडनी में दूसरी बार मौका दिया गया था लेकिन उन्होंने महज़ 9 रन बनाए।
जब तक टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ ज़्यादा रन नहीं बनाएंगे तब तक टीम के लिए परेशानी बरकरार रहेगी। 2019 के आईसीसी वर्ल्ड कप के ठीक बाद आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप आयोजित की जाएगी। ऐसे में 4 बल्लेबाज़ हैं जो भारत की ओपनिंग बल्लेबाज़ी की परेशानी को लंबे वक़्त के लिए दूर कर सकते हैं। हम यहां इन बल्लेबाज़ों को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
1) मयंक अग्रवाल
मयंक का नाम शुरुआत से ही टेस्ट क्रिकेट के लिए चर्चा में था। हांलाकि उन्हें वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ के दौरान टीम इंडिया में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें प्लेइंग XI में मौका नहीं दिया गया। इसके बावजूद उनके खेल में कोई कमी नहीं आई, वो घरेलू मैचों अच्छा प्रदर्शन करते रहे
27 साल के इस खिलाड़ी ने मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में डेब्यू किया और पहली पारी में 76 रन बनाए। इसके अलावा दूसरी पारी में 42 रन का स्कोर बनाया। सिडनी टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 112 गेंदों में 77 रन बनाए। मयंक ने अब तक खेले गए अपने दोनों टेस्ट मैच ये दिखा दिया कि वो ओपनिंग बल्लेबाज़ी के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
2) शिखर धवन
धवन ने ऑस्ट्रेलिया में वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान अपनी ताक़त को एक बार फिर दुनिया के सामने पेश किया। उन्होंने आख़िरी बार टीम इंडिया के लिए इंग्लैंड में टेस्ट मैच खेला था, लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली। साल 2013 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान उन्होंने एक टेस्ट मैच की पारी में 174 गेंदों में 187 रन बनाए थे। शिखर ने अब तक 34 टेस्ट मैच में 40.16 की औसत से 2315 रन बनाए हैं। उन्हें एक बार फिर भारतीय टेस्ट टीम में ओपनिंग का मौका मिलना चाहिए।
3)प्रियंक पांचाल
प्रियंक पांचाल भारतीय घरेलू सर्किट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। 2016-17 की रणजी ट्रॉफ़ी के 10 मैच में उन्होंने 87.33 की औसत से 1310 रन बनाए थे। प्रियंक ने करीब 10 साल पहले प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था। कुल 76 प्रथम श्रेणी मैच में वो 5462 रन बना चुके हैं। इस दौरान उनका सर्वाधिक स्कोर 314* है। 28 साल के इस खिलाड़ी ने पिछले रणजी ट्रॉफ़ी में 541 रन बनाया था। प्रियंक ने 2018-19 की रणजी ट्रॉफ़ी के पहले 8 मैच में 887 रन बनाए थे। उनका प्रदर्शन ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय करियर की तरफ ले जा रहा है।
4)पृथ्वी शॉ
टीम इंडिया के लिए पृथ्वी से बेहतर युवा ओपनिंग बल्लेबाज़ मौजूदा दौर में मिलना मुश्किल है। साल 2018 में उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताया था। पिछले ही साल आईपीएल सीज़न के 9 मैच में 153.12 के स्ट्राइक रेट से उन्होंने 245 रन बनाए थे। घरेलू सर्किट में भी वो लगातार शानदार प्रदर्शन करते आए हैं, यही वजह कि उनको भारतीय टेस्ट टीम में खेलने का मौका मिला। वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ उन्हें टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिला था।
अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ में कुल 3 पारियों में उन्होंने 237 रन बनाए थे, इसी खेल की बदौलत उन्हें ‘मैन ऑफ़ द सीरीज़’ अवॉर्ड दिया गया था। टेस्ट में उनका औसत 118.50 है और सर्वाधिक निजी स्कोर 134 है। उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हाल में हुई टेस्ट सीरीज़ में शामिल किया गया था। बदकिस्मती से एक अभ्यास मैच में उन्हें चोट लग गई थी और वो पूरी ऑस्ट्रेलियाई सीरीज़ से बाहर हो गए थे। जब वो चोट से उभर जाएंगे, तब उन्हें ज़रूर वापसी का मौका मिलेगा।
लेखक- अश्वन राव
अनुवादक- शारिक़ुल होदा