भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली रिकॉर्ड के बाद रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और वह दुनिया के महानतम बल्लेबाज़ बनने की राह पर अग्रसर हैं। वहीं लक्ष्य का पीछा करते हुए उनका रिकार्ड अनुकरणीय है। विराट ने 2008 में भारत को अंडर-19 विश्वकप का ख़िताब जिताया था और उसके बाद उन्होंने भारतीय टीम में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की और वनडे में वह टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज़ बनकर उभरे हैं। उन्होंने अपने टी-20 करियर की शुरुआत 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ की थी और क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में भी बढ़िया प्रदर्शन किया है। हालाँकि, उनके साथ ही अपने टी-20 करियर की शुरुआत करने वाले खिलाड़ी कुछ खास नहीं कर पाए और धीरे धीरे क्रिकेट प्रशंसकों ने उन्हें भुला दिया। तो आइये नज़र डालते हैं ऐसे 4 भारतीय खिलाड़ियों पर जिन्होंने टी-20 में अपनी शुरुआत लगभग विराट कोहली के साथ ही की थी लेकिन उनका करियर जल्दी खत्म हो गया: नमन ओझा (पहला टी-20: जून, 2010, आखिरी टी-20: जून 2010 ) नमन ओझा आईपीएल के क्रिकेट इतिहास में एक जाना पहचाना नाम हैं और उन्होंने आईपीएल के दस सत्रों में हिस्सा लिया है। आईपीएल के दूसरे सत्र में उन्होंने राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए ज़बरदस्त प्रदर्शन किया था। हालाँकि इतना क्रिकेट खेलने के बावजूद भी वह कभी भी शीर्ष स्तर पर खुद को स्थापित करने में सफल नहीं हुए। एमएस धोनी के टीम इंडिया में रहते हुए एक विकेटकीपर-बल्लेबाज़ के नाते उन्हें टीम इंडिया में खेलने का बहुत कम मौका मिला। उन्हें जिम्बाब्वे के खिलाफ 2010 में भारतीय टीम के लिए बैकअप विकेट-कीपर के रूप में टीम में शामिल किया गया था जब चयनकर्ताओं ने एमएस धोनी को आराम करने का फैसला किया था। उस दौरे में ओझा ने तीन मैच खेले थे। उनमें से एक मैच टी-20 प्रारूप में था, जो कि उनके अंतराष्ट्रीय करियर में अब तक खेले गए केवल दो टी-20 मैचों में से एक है। नमन ओझा ने जिम्बाब्वे दौरे में खेले दो मैचों में केवल 12 रन बनाए थे, नतीजतन उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद 2015 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में उन्हें एकमात्र टेस्ट खेलने का मौका मिला था, लेकिन उसके बाद से उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिली है। आईपीएल में भी उनके दिन गिने-चुने ही रह गए हैं। इस साल के आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेलने वाले ओझा को केवल एक ही मैच खेलने का मौका मिला क्योंकि ऋषभ पंत के रूप में दिल्ली के पास एक उम्दा विकेटकीपर-बल्लेबाज़ मौजूद था। पीयूष चावला (पहला टी-20: मई 2010, आखिरी टी-20 : 2012) लेग स्पिनर पीयूष चावला ने 2006 की चैलेंजर ट्रॉफी में अपनी गुगली से सचिन तेंदुलकर को आउट कर सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने 18 साल की उम्र में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पर्दापण किया था लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ पहली सीरीज़ में वह कुछ खास नहीं कर पाए थे। वह 2007 के टी-20 विश्व कप में टीम का हिस्सा बनने में कामयाब रहे, हालांकि उन्हें कोई भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला और 2011 विश्वकप में अमित मिश्रा को छोड़कर उन्हें प्राथमिक लेग स्पिनर के रूप में टीम में शामिल किया गया था। भारत के लिए चावला ने अपना पहला टी 20 दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2010 में खेला, जिसमें उन्होंने 27 रन देकर एक विकेट लिया था। इसके बाद उन्होंने कुछेक और मैचों में हिस्सा लिया। 2012 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी टी-20 मैच खेला था। विनय कुमार (पहला टी-20: मई, 2010, आखिरी टी-20: अक्टूबर 2013) आर विनय कुमार अपनी घरेलू टीम कर्नाटक के अहम गेंदबाज़ रहे हैं लेकिन भारतीय टीम में वह हमेशा अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। वह एक ऐसे मध्यम तेज गेंदबाज रहे जिन्होंने गति से अधिक गेंदबाज़ी में विभिन्नता पर भरोसा किया। विनय कुमार ने 2010 में ग्रॉस आइलेट में श्रीलंका के खिलाफ भारत के लिए अपने पहले टी-20 के साथ अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण किया था। हालाँकि, उन्होंने भारत के लिए 31 एकदिवसीय मैचों में हिस्सा लिया लेकिन ज़्यादा देर तक वह टीम में बने रहने में सफल नहीं हो सके। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना एकमात्र टेस्ट मैच खेला और अपने करियर में 9 टी-20 मैचों में कुल 10 विकेट लिए। मुनाफ पटेल (पहला टी-20: जनवरी 2011, आखिरी टी-20: अगस्त 2011) मुनाफ ने भारत की विश्वकप 2011 की खिताबी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन दुख की बात है कि अपने क्रिकेट करियर की अच्छी शुरुआत करने के बावजूद मुनाफ राष्ट्रीय टीम में ज़्यादा देर तक बने नहीं रह पाए। उन्होंने विराट कोहली से सात महीने बाद 2011 में अपनी टी-20 करियर की शुरुआत की थी। इस तेज़ गेंदबाज़ ने 2006 में वनडे और टेस्ट दोनों में भारतीय टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया था लेकिन अपनी गिरती फॉर्म और लगातार चोटिल होने की वजह से उन्होंने जनवरी 2011 में अपना आखिरी टी 20 खेला। लेखक: शास्त्री अनुवादक: आशीष कुमार