विश्व कप का दूसरा सप्ताह प्रशंसकों के लिहाज़ से बहुत ही निराश करने वाला रहा, जहां तीन मैच बारिश की वजह से धुल गए। रिजर्व डे न होने की वजह से टीमों को अंक साझा करने पड़े। गौरतलब है कि आईसीसी ने केवल सेमीफाइनल और फाइनल के लिए रिजर्व डे रखे हैं। हालांकि इस दौरान ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच मैच बहुत ही रोमांचक रहा और दूसरी तरफ मेजबान इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच भी मैच काफी अच्छा रहा। एक खास बात इन् दोनों मैचों की ये रही कि पार्ट टाइम गेंदबाज़ों ने इन मैचों में अपनी टीम को महत्वपूर्ण सफलताएं दिलाई। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान आरोन फिंच ने जहां मोहम्मद हफ़ीज़ का महत्वपूर्ण विकेट निकाला वही इंग्लैंड के लिए जो रुट ने दो विकेट निकालकर वेस्टइंडीज के मध्यक्रम को जल्दी आउट करने में मदद की।
विश्व कप के पहले के संस्करणों में भी कुछ ऐसे मौके हुए है जहां पर कभी न गेंदबाज़ी करने वाले बल्लेबाज़ों को गेंद से भी सफलता मिली। आईये नज़र डालते है ऐसे ही 4 मौकों पर जहां पर कभी गेंदबाज़ी ना करने वाले बल्लेबजों ने विकेट चटकाए:
#1 स्टीफन फ्लेमिंग
आजकल लोग इन्हे आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स के कोच के तौर पर जानते है लेकिन अपना कोचिंग करियर शुरू करने से पहले फ्लेमिंग सफलतम कप्तानों में से एक थे। उन्होंने 4 विश्व कप में न्यूज़ीलैंड का प्रतिनिधित्व किया और उनमें से 3 (1999, 2003, 2007) में कप्तानी भी की।
फ्लेमिंग ने अपने 111 टेस्ट के करियर में कभी गेंदबाज़ी नहीं की लेकिन अपने पहले विश्व कप के दूसरे मैच में उन्हें कप्तान ली जर्मन ने 2 ओवरों के लिए गेंद थमाई और फ्लेमिंग ने अपने कप्तान को निराश नहीं किया। सभी को चौंकाते हुए उन्होंने मार्सल स्केव को स्टंप कराकर अपना पहला और आखिरी अंतरराष्ट्रीय विकेट प्राप्त किया।
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#2 सईद अनवर
90 के दशक में यह बाएं हाथ का बल्लेबाज़ एक जाना पहचाना नाम था, जो भारत के खिलाफ रन बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध था। चेन्नई में भारत के खिलाफ उनकी 194 रन की पारी काफी समय तक एकदिवसीय क्रिकेट में रिकॉर्ड बना रहा। अनवर ने 3 विश्व कप (1996, 1999, 2003) में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया।
अनवर टीम में एक बल्लेबाज़ के तौर पर खेलते थे जो कभी-कभी जरुरत पड़ने पर कुछ ओवर कर सकते थे। 2003 विश्व कप में नीदरलैंड्स के खिलाफ पाकिस्तान ने 254 रनों का लक्ष्य दिया। उस मैच में सईद अनवर ने 4 ओवर किये और 15 रन खर्च करके जैकब जॉन इसमेजर का विकेट प्राप्त किया। हालांकि अनवर ने अपने एकदिवसीय करियर में 6 विकेट लिए लेकिन यह उनका एकमात्र विश्व कप विकेट था ।
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#3 फाफ डू प्लेसी
ज्यादातर लोग फाफ डू प्लेसी को एक बल्लेबाज़ के तौर पर जानते है लेकिन उन्होंने भी अपने करियर में कई बार लेग स्पिन में हाथ आजमाए हैं। इस विश्व कप में वो साउथ अफ्रीका की कप्तानी कर रहे है लेकिन इससे पहले 2011 और 2015 में वह टीम का हिस्सा रह चुके हैं। क्या आपको याद है 2011 विश्व कप में भारत और साउथ अफ्रीका का मैच? केवल वही एक मैच जो भारत हारा था।
उस विश्व कप में भारत की सलामी जोड़ी सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग का साउथ अफ्रीका की पेस बैटरी डेल स्टेन और मोर्ने मोर्केल के पास कोई जवाब नहीं था। तब कप्तान ग्रीम स्मिथ ने फाफ डू डुप्लेसी को गेंद थमाई और उन्होंने अपने कप्तान को निराश नहीं किया। डू प्लेसी ने भारतीय टीम के विस्फोटक ओपनर वीरेंदर सहवाग का विकेट चटकाया था और अपनी टीम को पहली सफलता दिलाई थी। डू प्लेसी ने इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ भी गेंदबजी की थी लेकिन वहां उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी। इसके बाद 2015 विश्व कप में भी गेंदबाज़ी की लेकिन सहवाग का यह विकेट उनका एकमात्र विश्व कप विकेट बनकर रह गया।
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#4 एबी डीविलियर्स
क्या दुनिया में ऐसा कोई काम है जो यह खिलाडी नहीं कर सकता? अगर आपका जवाब गेंदबाज़ी है तो एक बार और सोच लीजिये क्योंकि उनके नाम गेंदबाज़ के तौर पर विश्व कप में 4 विकेट दर्ज़ हैं। डिविलियर्स ने विश्व कप के 3 संस्करणों 2007, 2011, 2015 में हिस्सा लिया।
2015 विश्व कप में जबरदस्त बल्लेबाजी के अलावा उन्होंने विकेट भी निकाले। पहले आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने जॉन मूनी का विकेट लिया फिर इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ महत्त्वपूर्ण मैच में यूनिस खान जैसे बल्लेबाज़ को पवेलियन का रास्ता दिखाया। इसके बाद यूएई के विरुद्ध वो शतक लगाने से 1 रन से चूक गए लेकिन उसकी कमी उन्होंने 2 विकेट निकालकर पूरी कर दी
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