4 कारण क्यों 2003 वर्ल्ड कप अब तक का सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट रहा है

Sachin Tendulkar scored 673 runs in 2003 World Cup

#2. दो सर्वश्रेष्ठ टीमों के बीच फाइनल मुकाबला

Australia and India met in the 2003 World Cup final

2003 के विश्व कप में इंग्लैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज जैसे टीमें ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थीं। लेकिन फिर भी, इससे टूर्नामेंट के रोमांच में कोई कमी नहीं आई। पूरे टूर्नामेंट में दबदबा बनाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम बिना एक भी मैच गंवाये फाइनल में पहुंची थी। जबकि दूसरी फाइनलिस्ट भारतीय टीम ने केवल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक मैच हारा था।

बहरहाल, 23 मार्च 2003 को जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में खेले गए इस फाइनल में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फैसला किया। लेकिन उनका यह फैसला टीम को भारी पड़ गया क्यूंकि ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए मात्र 14 ओवरों के भीतर ही 100 रनों का आंकड़ा पार कर दिया।

इसके बाद डेमियन मार्टिन और कप्तान रिकी पोंटिंग की जोड़ी ने भारतीय गेंदबाज़ों की खूब धुनाई की। अपनी पारी में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने महज 121 गेंदों पर 8 गगनचुम्बी छक्कों की मदद से 140 रन बनाए। भारत को जीत के लिए 360 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य मिला।

लक्ष्य का पीछा करने भारतीय सलामी बल्लेबाज़ वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी मैदान में उतरी। लेकिन सचिन पहले ही ओवर में ग्लेन मैक्ग्रा का शिकार बने और इसके बाद बाकी बल्लेबाज़ भी नियमित अंतराल पर आउट होते रहे।

हालांकि सहवाग दूसरे छोर पर डटे रहे और रन आउट होने से पहले उन्होंने शानदार 82 रन बनाए थे। अंततः मेन इन ब्लू 40 ओवर के अंदर ही 234 रनों पर आलआउट हो गए। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने लगातार दूसरा विश्व कप अपने नाम किया।

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