यूएस में कई बड़े खेल समारोह आयोजित किए जाते हैं, ओलंपिक से लेकर रेसिंग इवेंट का पैमाना काफ़ी बड़ा है। अमेरिका में खेल का इतिहास स्वर्णिम रहा है। हांलाकि यहां क्रिकेट की उतनी लोकप्रियता नहीं रही है जितना कि भारतीय उपमहाद्वीप में है। इसकी सबसे बड़ी बजह ये है कि अमेरिका को ब्रिटिश साम्राज्य से 1776 ईसवी में आज़ादी मिली थी। उस वक़्त कई अन्य ब्रिटिश उपनिवेश में क्रिकेट का खेल अपने शुरुआती दौर में था। ऐसे में क्रिकेट को अमेरिका में पनपने का मौका नहीं मिला।
कई सदियां गुज़र जाने के बाद यूएस ने कई खेलों को अपनाने की शुरुआत की और इसका खाका भी तैयार कर लिया गया। अमेरिका में विभिन्न खेलों की लोकप्रियता रही है। इस देश के खिलाड़ियों ने नए-नए खेलों को भी आज़माया है। साल 2016 के कबड्डी वर्ल्ड कप में अमेरिकी टीम ने भी हिस्सा लिया था, जिसे भारत में आयोजित किया गया था। आईसीसी की इच्छा है कि क्रिकेट को ब्रिटिश कॉमनवेल्थ को देशों के अलावा दूसरे मुल्कों में भी फैलाया जाए, जिससे इस खेल को नया बज़ार मिल सके।
अमेरिका को साल 1965 में आईसीसी के एसोसिएट टीम का दर्जा दिया गया था। उसी साल अमेरिकी क्रिकेट टीम ने कैलगेरी शहर के रिले पार्क में कनाडा के ख़िलाफ़ 2 दिवसीय मैच खेला था। इस मैच में यूएस टीम के क्लिफ़ोर्ड सेवर्न ने अपने भाई विंस्टन के साथ डेब्यू किया था। उस वक़्त क्लिफ़ोर्ड की उम्र 39 साल थी। हाल में ही सौरभ नेत्रवालकर को यूएस क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया है। ये भारत के लिए गर्व का विषय है कि मुंबई रणजी टीम के किसी खिलाड़ी को अमेरिकी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की अगुवाई करने का मौका मिला है।
हम यहां उन 4 वजहों के बारे में बात करेंगे जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि यूएस क्रिकेट का अगला गढ़ बन सकता है।
#1 अमेरिका में खेल का बड़ा बाज़ार है
जब पूंजीवाद की बात की जाती है तो अमेरिका को इसका एक बड़ा गढ़ माना जाता है। यहां बाज़ारवाद पूरी तरह हावी है। फ़ोर्ब्स पत्रिका का कहना है कि साल 2019 में यूएस में खेल उद्योग 74 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। यहां अगले साल खेलों की मीडिया राइट्स 20 बिलियन डॉलर का आंका गया है। यूएस में क्रिकेट की भी लोकप्रियत बढ़ती जा रही है।
अगर आईपीएल की बात करें तो ये 5.3 बिलियन डॉलर का उद्योग है, इसमें एक टीम की क़ीमत करीब 65 मिलियन डॉलर की आंकी गई है। अमेरिका में भी आईपीएल के प्रसारण के अधिकार ख़रीदे जाते हैं। यहां पर रहने वाली प्रवासियों के बीच क्रिकेट काफ़ी देखे जाने वाला खेल है। आने वाले वर्षों में इसका रोमांच अमेरिका में काफ़ी बढ़ सकता है।
#2 अमेरिका में क्रिकेट को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोष
बेसबॉल अमेरिका का सबसे लोकप्रिय खेल है, जो करीब 3 घंटे की अवधि में खेला जाता है। इसी तरह अमेरिकी फ़ुटबॉल के भी मैच 3 घंटे में ख़त्म हो जाते हैं। यहां बास्केटबॉल भी ढाई घंटे में पूरा होता है। अगर टी-20 क्रिकेट की बात करें तो ये भी औसतन 3 घंटे में समाप्त हो जाता है। अमेरिका में बिज़ी वर्क कल्चर है ऐसे में वहां वही खेल लोकप्रिय होते हैं जो कम वक़्त में पूरे हो जाएं। टी-20 इसके हिसाब से सबसे मुफ़ीद खेल है। आने वाले सालों में इसे अमेरिका में भी आयोजित किया जा सकता है।
#3 क्रिकेट फ़ैंस की संख्या
यूएस की जनगणना ब्यूरो ने दावा किया है कि अमेरिका में करीब 20 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। साल 2016 में जब फ़्लॉरिडा में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए तो स्टेडियम में काफ़ी भीड़ देखी गई थी। ये क्रिकेट के लिए एक अच्छे संकेत हैं। साल 2015 में जब क्रिकेट ऑल स्टार टूर्नामेंट खेला गया था जब इस खेल की व्यूअरशिप काफ़ी बढ़ गई थी। उस टूर्नामेंट में सचिन तेंदुलकर, शेन वॉर्न, ब्रायन लारा और शोएब अख़तर जैसे महान खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
#4 मनोरंजन
किसी भी खेल में कुछ एक्स-फ़ैक्टर होते हैं जिसकी वजह से वो खेल दर्शकों के बीच ख़ासा लोकप्रिय हो जाता है। खेल के दौरान ऐसे कई चीज़ें दिखाई जाती हैं जिससे दर्शकों की रुचि बनी रहे। रोमांचक कमेंट्री, मैदान में होने वाले इंटरव्यू, चीयरलीडिंग, दर्शकों के बीच प्रतियोगिता और 360 डिग्री का कैमेरा व्यू। ये सभी पहलू ऐसे हैं जो क्रिकेट के खेल को मज़ेदार बनाते हैं। इसके अलावा आईपीएल के दौरान बॉलीवुड अभिनेता और अभिनेत्रियों की शिरकत इस खेल पर चार चांद लगा देती है। क्रिकेट अब महज एक खेल नहीं बल्कि मनोरंजन का ज़रिया बन चुका है। यही वजह है कि अमेरिका में भी ये खेल काफ़ी मशहूर हो चुका है।
लेखक- राजकुमार नायर
अनुवादक- शारिक़ुल होदा