टेस्ट क्रिकेट के 4 महान खिलाड़ी जिनके अर्धशतक को शतक में बदलने की दर काफ़ी बुरी है

किसी भी बल्लेबाज़ की क़ाबिलियत का पता इस बात से चलता है कि वो अर्धशतक को शतक में और शतक को दोहरे शतक में किस दर से बदलता है। कहा जाता है कि अर्धशतक के मुक़ाबले किसी भी बल्लेबाज़ का शतक ज़्यादा याद किया जाता है। हांलाकि कुछ ऐसे महान खिलाड़ी भी हैं जिनके अर्धशतक को शतक में बदलने की दर काफ़ी बुरी है। इन खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से विश्व क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी है, लेकिन वो इतने शतक नहीं बना पाए जितना कि बना सकते थे। हम यहां उन 4 मशहूर खिलाड़ियों को लेकर चर्चा कर रहे हैं जिनका अपने अर्धशतक को शतक में बदलने का दर काफ़ी बुरा है।

#4 वीवीएस लक्ष्मण (23.28%)

कहा जाता है कि लक्ष्मण की कलाइयों का जवाब नहीं था, उन्होंने 10 साल तक भारतीय मिडिल ऑर्डर को संभाला है, वो हमेशा भारतीय टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाल लेते थे। कोलकाता के ईडन गार्डन में उनकी 281 रन की पारी और एडिलेड के मैदान में 148 रन की पारी की बदौलत लक्ष्मण ने टीम इंडिया को हार से बचाया था। हांलाकि इन सब के बावजूद लक्ष्मण अपने अर्धशतक को शतक में बदलने में उतने कामयाब नहीं हो पाए जितने कि उनके दौर के बल्लेबाज़ किया करते थे। उन्हें 73 दफ़ा 50 से ज़्यादा रन बनाए हैं जिसमें सिर्फ़ 17 बार 100 के आंकड़े को छुआ है। इस हिसाब से उनके अर्धशतक को शतक में बदलने का दर महज़ 23.27 फ़ीसदी है। अपने क्रिकेट करियर में लक्ष्मण ने 134 टेस्ट मैच खेले हैं और 8781 रन बनाए हैं, उनका औसत 46 के क़रीब है। टेस्ट के इस महान खिलाड़ी ने दक्षिण अफ़्रीका और इंग्लैंड की धरती पर एक भी शतक नहीं लगाया है। हांलाकि लक्ष्मण ने टीम इंडिया को उस वक़्त मदद की है जब टीम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।

#3 मिस्बाह-उल-हक़ (20.4%)

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मिस्बाह-उल-हक को शतक लगाने में काफ़ी मुश्किलें पेश आतीं थीं, चाहे वो टेस्ट क्रिकेट हो या फ़िर वनडे मैच। मिस्बाह ने वनडे में एक भी शतक नहीं लगाया है, और टेस्ट में उनके अर्धशतक को शतक में बदलने का दर महज़ 20.4 फ़ीसदी है। टेस्ट में उन्होंने 49 दफ़ा 50 का आंकड़ा पार किया है और सिर्फ़ 10 बार उसे शतक में बदला है। वो पाक टीम में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ थे और अकसर नंबर 5 पर बल्लेबाज़ी करते थे। उन्होंने 75 टेस्ट मैच में 46 की औसत से 5222 रन बनाए हैं। मिस्बाह ने अपना करियर साल 2007 में शुरू किया था और वो पाकिस्तानी टीम का अहम हिस्सा बन गए थे। कम शतक बनाने की एक वजह ये भी हो सकती है कि वो अकसर पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ बल्लेबाज़ी करते थे और ऐसे वक़्त में कोशिश यही होती थी कि विकेट को ज़्यादा देर तक कैसे बचाया जाए। मिस्बाह को इस बात का अफ़सोस ज़रूर होगा कि उन्होंने सिर्फ़ 10 शतक ही बनाए।

#2 स्टीफ़न फ़्लेमिंग (16.36%)

न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान अपनी बेहतरीन रणनीति के लिए जाने जाते हैं। 1990 के दशक के आख़िरी सालों में उन्होंने न्यूज़ीलैंड टीम के उतार चढ़ाव को अपनी आंखों से देखा है। फ़्लेमिंग ने अपने बल्ले से कई कमाल दिखाए हैं लेकिन वो अपने अर्धशतक को शतक में बदलने में इतने कामयाब नहीं हो पाए हैं। 111 टेस्ट मैच में उन्होंने 40 की औसत से 7172 रन बनाए हैं। उन्होंने 55 दफ़ा 50 के स्कोर को पार किया है जिसमें सिर्फ़ 9 बार उन्होंने इसे शतक में बदला है। इस हिसाब से टेस्ट में उनके अर्धशतक को शतक में बदलने का दर 16.36 फ़ीसदी है। ये बात भी चौंकाने वाली है कि टॉप में बल्लेबाज़ी करने के बावजूद फ़्लेमिंग इतने शतक नहीं बना पाए जितना कि उनसे उम्मीद की जाती थी।

#1 अर्जुन राणातुंगा (8.7%)

अर्जुन राणातुंगा ने 1996 वर्ल्ड कप जीत कर श्रीलंकाई क्रिकेट में क्रांति ला दी थी। राणातुंगा ने जिस तक से वर्ल्ड कप 1996 में बल्लेबाज़ी की थी उससे कई युवा क्रिकेटर्स को प्रेरणा मिली थी। वो श्रीलंकाई टीम की जान हुआ करते थे और अपनी टीम को ऊंचाइयों पर ले जाते थे। हांलाकि इन सब के बावजूद टेस्ट में उनके अर्धशतक को शतक में बदलने का दर बेहद बुरा था। राणातुंगा ने अपने टेस्ट करियर में 46 अर्धशतक लगाए हैं और सिर्फ़ 4 दफ़ा 3 अंकों के आंकड़े को छुआ है। ये चारों शतक श्रीलंका की सरज़मी पर ही बनाए गए हैं, इससे ये साबित होता है कि वो विदेशों में इतने कामयाब नहीं रहे हैं। राणातुंगा ने श्रीलंका के लिए 93 टेस्ट मैच खेले हैं और 35 की औसत से 5105 रन बनाए हैं। टेस्ट में उनके अर्धशतक को शतक में बदलने का दर महज़ 8.7 फ़ीसदी है। 80 से ज़्यादा टेस्ट मैच खेलने और 5000 से ज़्यादा रन बनाने वाले किसी भी बल्लेबाज़ का ये सबसे बुरा प्रदर्शन है। लेखक- अथर्व आप्टे अनुवादक- शारिक़ुल होदा