ऐसा अक्सर बहुत कम देखा गया है जब कोई टीम टीम घरेलू मैदान पर खेलने की बजाय विदेशों में अधिक खेलती है। साल 2018 में ऐसा ही कुछ टीम इंडिया के साथ हो रहा है। इस साल भारत ने विदेशी सरज़मीं पर ज़्यादा मैच खेले हैं। दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के निराशाजनक दौरों के बाद टीम इंडिया वेस्टइंडीज़ के खिलाफ घरेलू मैदान पर दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलेगी। इसके बाद भारत को ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना है।
हालाँकि टेस्ट रैंकिंग में आठवें नंबर पर काबिज़ विंडीज़ टीम भारत के मुकाबले काफी कमज़ोर है, लेकिन फिर भी इस सीरीज़ से भारत को कुछ फायदे भी मिल सकते हैं। तो आइये जानते हैं इस सीरीज से हासिल होने वाले 4 फायदों के बारे में:
#4. विकेटकीपिंग का समाधान
इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ में मध्य क्रम में विकेटकीपर-बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक के लचर प्रदर्शन के बाद ऋषभ पंत को अंतिम तीन टेस्ट में शामिल किया गया था।
ऋषभ पंत ने अपने चुनाव को उचित ठहराते हुए अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहले टेस्ट शतक लगाया। हालाँकि विकेट के पीछे उनका प्रदर्शन अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा।
अब वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में उनके पास मौका होगा कि वह विकेट के पीछे अपने प्रदर्शन को सुधार करें। इस सीरीज़ में अच्छा प्रदर्शन कर पंत भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम में अपनी दावेदारी मजबूत कर सकते हैं।
#3 भारत के शीर्ष क्रम में एक नए युग की शुरुआत?
पिछले लगभग पांच सालों से शिखर धवन और मुरली विजय ही भारत की पारी की शुरुआत करते रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ 2012 के नागपुर टेस्ट के बाद यह पहली बार होगा जब यह दोनों खिलाड़ी भारतीय पारी की शुरुआत करने मैदान में नहीं उतरेंगे। इस सीरीज़ में इन दोनों दिग्गज बल्लेबाज़ों की जगह युवा पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल को टीम में शामिल किया गया है।
मुंबई के प्रतिभाशाली युवा बल्लेबाज़ शॉ पहली बार केएल राहुल के साथ पारी की शुरुआत की। शॉ ने इससे पहले घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अपने नेतृत्व में भारत को अंडर-19 विश्व कप जिताया है।
#2. मध्य क्रम का विश्वसनीय बल्लेबाज़
भारत की सलामी जोड़ी के बारे में भले ही अभी संशय बरकरार हो लेकिन नंबर 3, 4 और 5 पर बल्लेबाज़ी करने वाले खिलाड़ियों के स्लॉट लगभग निश्चित हैं और यह बल्लेबाज़ पिछले कई सालों से टीम का नियमित हिस्सा रहे हैं। कप्तान कोहली के नेतृत्व में भारत ने हमेशा 5 विशेषज्ञ बल्लेबाज़ों को खिलाया है। इसके बाद एक विकेटकीपर, एक आलराउंडर और चार विशेषज्ञ गेंदबाज़ टीम की अंतिम एकादश का हिस्सा बनते हैं।
हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में इस नीति के विपरीत जाकर आलराउंडर पांड्या की जगह हनुमा विहारी के रूप में एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को खिलाने का विकल्प चुना गया।
ऐसे में, राजकोट टेस्ट के बाद होने वाले हैदराबाद टेस्ट में में हम एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को खेलते देख सकते हैं, जिससे मध्य क्रम को मजबूती मिलेगी। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले मध्य क्रम का अच्छा प्रदर्शन भारत के लिए सकारात्मक बात होगी।
#1. स्पिन संयोजन?
इंग्लैंड दौरे में लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट को छोड़कर, भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ बाकी शेष चार मैचों में सिर्फ एक स्पिनर खेलाने की नीति अपनाई, लेकिन वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट सीरीज में तीन स्पिनरों को 15 सदस्यीय टीम में चुना गया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम प्रबंधन कैसा स्पिन संयोजन मैदान में उतारता है। इस सीरीज में यदि स्पिनर्स अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो यह निश्चित रूप से भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले यह एक सकारात्मक बात होगी।