राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) निश्चित ही भारत के महान खिलाड़ियों में से एक हैं। वो हमेशा से ही दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं और उन्होंने अपनी निष्ठा और मेहनत से अपने करियर में कई मुकाम हासिल किए। मौजूदा समय में वो भारतीय टीम (Indian Team) के मौजूदा कोच भी हैं।
खासकर टेस्ट क्रिकेट में उनकी बराबरी कर पाना बहुत ही मुश्किल हैं। उनकी वजह से टीम ने एशिया के बाहर कई यादगार टेस्ट अपने नाम किए हैं। हालांकि उनके वनडे का प्रदर्शन हमेशा उनके टेस्ट में प्रदर्शन के आगे छुप जाता है।
हालांकि उनका वनडे क्रिकेट में भी उनका रिकॉर्ड जबरदस्त है। उन्होने इस फॉर्मेट में 39.16 की औसत से 10,889 रन बनाए हैं। वो इकलौते ऐसे बल्लेबाज़ हैं वनडे में दो बार 300 से ज्यादा की साझेदारी में शामिल रहे हैं। फिर भी उनके करियर में कुछ ऐसी पारियाँ थी, जिन्हें ज्यादा महत्व नहीं मिला।
हमने राहुल द्रविड़ के करियर से जुड़ी 4 ऐसी पारियाँ निकाली है, जिन्हें बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। आइए नज़र डालते हैं उन 4 पारियों पर:
#) 74 Vs ऑस्ट्रेलिया, ब्रिस्बेन
भारत ने 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक यादगार मैच जीता था। उस मैच में हम राहुल द्रविड़ के योगदान को कभी भी भूल नहीं सकते। द्रविड़ ने उस मैच में एक तेज़ पारी खेलते हुए 64 गेंदों पर 74 रन बनाए और टीम का स्कोर 303 तक पहुंचाया। द्रविड़ उस मुकाबले में काफी तेज़ भागे और उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण के साथ 133 रन की साझेदारी भी की। उस मैच में लक्ष्मण ने शतक लगाया था।
उस मैच में ऐसा लगा सबका ध्यान सिर्फ वीवीएस लक्ष्मण के शतक की तरफ ही था और द्रविड़ की पारी को सबने नज़रअंदाज़ कर दिया। द्रविड़ ने जो पारी खेली उसमें उनका स्ट्राइक रेट था 115.62 का और वो उस पारी में सबसे अच्छा था। उनकी तेज़ पारी की बदौलत भारत ने 300 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया। भारत ने वो मुक़ाबला जीता, लेकिन द्रविड़ की पारी को इतना महत्व नहीं मिला।
#) 84 Vs साउथ अफ्रीका, 1997 डरबन
डरबन में हमेशा से ही लाइट्स में खेलना मुश्किल होता है और खासकर चेज़ करते हुए टीमों को काफी मुश्किलें पेश आती है। द्रविड़ को 1997 में क्रिकेट में आए हुए सिर्फ एक साल ही हुआ था और उन्होंने डरबन में स्टेंडर्ड बैंक इंटरनेशनल वनडे सीरीज के फ़ाइनल में अपने करियर की शानदार पारियों में से एक खेली। इस पारी में उनके सामने शॉन पोलक, एलन डोनाल्ड और लांस क्लूज़नर जैसे गेंदबाज थे।
भारत को 278 रनों का लक्ष्य मिला था, जिसे बाद में 251 का कर दिया गया था। भारत को अच्छी शुरुआत मिली थी, सचिन तेंदुलकर ने आउट होने से पहले मात्र 33 गेंदो में 45 रन बना दिए थे। उसके बाद द्रविड़ और टीम के कप्तान अजहरुद्दीन ने मिलकर पारी को आगे बढ़ाया।
द्रविड़ ने एक छोर संभालते हुए एक अच्छी पारी खेली। हालांकि उस मैच में टीम ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवाती रही और राहुल की सारी मेहनत बेकार गई। हालांकि द्रविड़ को उनकी 84 रन की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला।
#) 44 Vs पाकिस्तान, 2003 सेंचुरियन
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 2003 विश्व कप में हुई यादगार भिड़ंत को हमेशा ही सचिन तेंदुलकर की पारी के लिए याद किया जाएगा, जहां उन्होंने अपने दम पर पाकिस्तान के गेंदबाजों की धुनाई की। हालांकि उनकी पारी बेकार चली जाती अगर युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ आकर टीम को ना संभालते।
जब सचिन 98 रन बनाकर आउट हुए तब भी टीम को 97 रनों की और दरकार थी। उनके सामने वसीम अकरम, शोएब अख्तर और वकार यूनिस जैसे गेंदबाज थे, जिनके सामने यह लक्ष्य आसान नहीं था।
हालांकि द्रविड़ ने सीनियर बल्लेबाज़ की भूमिका निभाई और अपने साथ युवराज सिंह को भी खिलाया। उन्होंने गेंद को उनकी मेरिट पर खेला और पाकिस्तानी गेंदबाज को हावी होने का मौका नहीं दिया। उन्होने उस मैच में 44* रनों की पारी खेली और टीम को जीत तक ले गए। उनकी पारी को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता ।
1) 109 Vs वेस्ट इंडीज, 2002 अहमदाबाद
यह मैच शायद ही किसी को याद हो, जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 324 रनों के लक्ष्य का पीछा किया था। 7 मैचों की सीरीज़ के चौथे मुक़ाबले में वेस्टइंडीज ने क्रिस गेल के 127 गेंदों पर 140 रनों की पारी की बदौलत 324 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया।
चेज़ करते हुए भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और इंडिया ने सहवाग का विकेट पहले ही ओवर में गंवा दिया। हालांकि वो दिन था राहुल द्रविड़ का और उन्होंने 109* रनों की पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई। राहुल ने लाइट्स में खेलते हुए, बिना कोई जल्दी मचाए टीम का स्कोर आगे बढ़ाया और अंत में संजय बांगर की आक्रामक पारी के दम पर भारत ने यह मुक़ाबला अपने नाम किया।