ये 5 सीरीज खेलकर भारत बना सकता है सबसे बेहतरीन वन-डे टीम

क्रिकेट का सबसे बड़ा इवेंट अगले साल धमाके के लिए तैयार है जब इंग्लैंड क्रिकेट विश्वकप के अगले संस्करण की मेजबानी करेगा। भारत को प्रारूप में सबसे आगे माना जाता है क्योंकि इस महीने तक अपनी बेहतरीन फॉर्म के साथ उसने अपना प्रभुत्व कायम किया हुआ था। लेकिन विश्व नंबर 1 इंग्लैंड के साथ खेली गयी हालिया सीरीज में टीम में मौजूद सारी समस्याएं उजागर हो गयीं। समय सीमित है और भारत को पास समस्याओं को हल करने के लिए केवल कुछ श्रृंखलाएं हैं।

रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली बल्लेबाजी क्रम में 1,2 और 3 स्पॉट पर निश्चित हैं। मुद्दा 4,5,6 और 7 पर निश्चित कॉम्बिनेशन को ढूंढना है। भारत ने पिछले विश्व कप के बाद से नंबर चार के स्थान पर लगभग 10 खिलाड़ियों को आजमाया है और उनमें से कोई भी इस तरह के प्रदर्शन को करने में कामयाब रहा है जिससे उनकी जगह प्लेइंग इलेवन में पक्की हो सके। हालांकि बुरा यह है कि युवराज सिंह और अजिंक्य रहाणे के अलावा किसी को भी 5 मैच से अधिक में रन बनाने का मौका नहीं दिया गया है। यह उनके लिए असुरक्षा की भावना पैदा करता है जो टीम में आने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि जो भी भारत के लिए खेलता है, उन्हें दावेदारों को एक पर्याप्त रन बनाने और अपने को शांत करने का मौका देना चाहिए ताकि वह सही तरीके से प्रदर्शन दे सके। हालांकि अब हर किसी को इतना मौका नहीं दिया जा सकता है, लेकिन यह एक अच्छा अवसर है कि केएल राहुल या दिनेश कार्तिक जैसा खिलाड़ी टीम में अपनी जगह पक्की कर सकता है। उनकी प्रतिभा और क्षमता पर बिल्कुल भी संदेह नहीं है, इसलिए मामला सिर्फ पर्याप्त मौके पर ठहर जाता है। दूसरी समस्या जिसे भारत को समझने की जरूरत है वह युवा और आक्रामक वातावरण में टीम के सबसे सीनियर सदस्य धोनी की भूमिका है। यह सभी को पता है कि कुलदीप और चहल जैसे स्पिनरों को मार्गदर्शन करने के लिए धोनी का योगदान अमूल्य है। उनके पास एक ऐसा दिमाग है जो टीम में किसी से भी ज्यादा अनुभव रखता है और टीम के दूसरे खिलाड़ियों की तरह ही समान रूप से फिट होते हैं। हालांकि एक चीज़ लापता है, वह है उनकी आक्रामकता। जाहिर तौर पर टीम को उसकी कमी कई बार चुकानी पड़ी है। यह स्वीकार करने का समय हो सकता है कि अब उनकी धार में कमजोर हुई है पर वह शीर्ष क्रम की भूमिका में काफी बेहतर हो सकते है। आइए भारतीय टीम के आने वाली सीरीज़ पर नजर डालें, जहां वे आगामी क्रिकेट विश्व कप के लिए एक विशेष टीम तैयार कर सकते हैं: #1. एशिया कप

एशिया कप की परिस्थितियां जरूर नही है कि इंग्लैंड की गुणवत्ता से मेल खा सकें, लेकिन यह निश्चित रूप से ऐसा मौका होगा जहां भारत को बल्लेबाजी क्रम में 4,5,6 और 7 के नंबर पर कई कॉम्बिनेशन बनाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अब तक भारत एक ऐसा पक्ष की तरह दिख रहा है जो शीर्ष 3 के प्रभावित ना करने पर आसानी से ढ़ह जाता है। इसके अलावा भारत को अपनी तेज गेंदबाजी गहराई को मजबूत करने के लिए भी सोचना चाहिए क्योंकि उमेश यादव और सिद्धार्थ कौल इंग्लैंड के खिलाफ हालिया श्रृंखला में काफी असंगत दिख रहे थे। भारत को मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी की फिटनेस पर काम करना चाहिए, जिसके पास एक अच्छा वनडे रिकॉर्ड है और मुख्य गेंदबाजों के किसी तरह से चोटिल होने के मामले में बेहतरीन बैकअप विकल्प हो सकता है। राजनीतिक तनाव के बीच एशिया कप भारत के बजाय संयुक्त अरब अमीरात में खेला जाना है। फिर भी भारत-पाकिस्तान प्रतियोगिता एक तेजस्वी संबंध पैदा करेंगी। भारत इस साल की शुरुआत में चैपिंयस ट्रॉफी में मिली अप्रत्याशित हार का बदला लेना चाहेगा। इसके अलावा, भारतीय बल्लेबाज पाकिस्तानी की अच्छी धार वाली गेंदबाजी शक्ति के खिलाफ परीक्षण करना चाहेंगे। हसन अली और मोहम्मद अमिर ने भारत की चैंपियंस ट्रॉफी हार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वे बड़े टूर्नामेंट में पहुंचने से पहले स्विंग गेंद को अधिक आराम से खेल सके।#2. वेस्टइंडीज का भारत दौरा (5 वनडे)

भारत के लिए उनकी गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए यह एक कम प्रोफ़ाइल वाली श्रृंखला हो सकती है। आखिरी बार ये दोनों टीम सामने आयी थी तो धवन, कोहली और रोहित बेहद आराम से बड़े स्कोर कर रहे थे जिसे कमेंटेटर ने 'नेट प्रैक्टिस' कहा था। हालांकि, अब समय है जब भारत को प्रयोग बंद कर देना चाहिए और मध्य क्रम को एक व्यवस्थित रूप देना चाहिए। यह भारत के लिए एक ऐसी श्रृंखला है जिसमें एमएस धोनी को नंबर 3 पर भेजकर उन्हें मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह एक बेतुका विचार लग सकता है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि एमएस धोनी के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त कौशल है। उसे एक अच्छी पकड़ बनाने के लिए क्रीज़ पर बस अधिक समय चाहिए। यह ध्यान में रखते हुए कि वह अब टेस्ट क्रिकेट भी नहीं खेलते है, आम जनता यह भूल जाती है कि उन्हें कोहली या धवन के जैसा ज्यादा समय नहीं मिल रहा है। इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पिछली वनडे श्रृंखला के बारें में दिमाग पर ज़ोर डालने की जरूरत है, जब शीर्ष क्रम के पतन के बाद धोनी और युवराज ने यादगार शतक बनाने के साथ एक विशाल साझेदारी की। यह तब हुआ था जब धोनी बहुत जल्द बल्लेबाजी करने उतरे और क्रीज पर ठहरने का समय लिया था। हम जानते हैं कि कोहली की स्थिरता के लिए उनकी प्रतिष्ठा है और हम जानते हैं कि टीम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को बल्लेबाजी करने का अधिकतम समय दिया जाना चाहिए। लेकिन अगर धोनी नंबर 3 पर खेलते है, तो नंबर 4 का गणित कोहली द्वारा खुद ब खुद हल हो जाएगा, जो किसी भी भूमिका निभाने के लिए बहुमुखी है। #3. भारत का न्यूज़ीलैंड दौरा (5 वनडे)

यह विश्व स्तरीय सीमर और भारत को चुनौती देने में सक्षम संगठन के खिलाफ अंग्रेजी स्थितियों को सझमने का और अपनी गुणवत्ता को परखने का भारत के लिए सबसे अच्छा मौका है। यदि भारत इस श्रृंखला में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करना चाहता है, तो टीम संतुलन पहचानने के लिए इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा। इसमें बल्लेबाजी लाइनअप में उनके मध्य क्रम, छठे गेंदबाजी विकल्प और एमएस धोनी की भूमिका शामिल है। केन विलियमसन, रॉस टेलर और टॉम लैथम जैसे स्पिन खेलने वाले खिलाड़ियों सामने के कुलदीप और चहल के स्पिन जोड़ी का सही मूल्यांकन हो सकता है कि आखिर वे अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में कहां खड़े हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि न्यूजीलैंड एक टीम है जो ऑलराउंडर और फायरपैक बल्लेबाजी लाइनअप से भरी है और दृष्टिकोण व संरचना में इंग्लैंड के समान दिखती है। मजबूत सलामी बल्लेबाजी से लंबी पुछल्ले बल्लेबाजों तक इस श्रृंखला में भारत की गेंदबाजी का पूरी तरह से परीक्षण किया जाना चाहिए। औसत स्तर पर निरंतर प्रदर्शन करने के बावजूद हार्दिक पांड्या अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं। उनके अपने कंधों पर अब एक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदर्शन करना चाहिए, क्योंकि उसे बाउंस और स्विंग का समर्थन करने वाली कुछ अनुकूल स्थितियों को प्राप्त होगी।#4. ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा व भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा (5 वनडे और 3 वनडे)

आखिरी बार इन दोनों टीमों ने मुलाकात की,ऑस्ट्रेलिया के लिए रिस्ट स्पिन बहुत अधिक साबित हुआ था, उन्होंने अपने घरेलू परिस्थितियों में 4-1 से मेहमान टीम को धूल चटा दी थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक ऐसा समय था जब स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर भी ऑस्ट्रेलियाई के 50 ओवरों की टीम का हिस्सा थे। उनकी अनुपस्थिति में ऑस्ट्रेलिया टीम को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जब तक उनके विकल्प सही जगह फिट नहीं हो जाते। स्टार्क, कमिन्स, हेज़लवुड और कुल्टर-नाइल की गेंदबाजी के सामने भारतीय बल्लेबाज के लिए तेज गेंदबाजी का अनुभव बहुत अच्छा होगा, जिसे बाद में विश्व कप में सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा भारतीय स्पिनरों को भी ऑस्ट्रेलिया की फ्लैट और बल्लेबाज के अनुकूल पिचों पर परीक्षण किया जाएगा, जो स्पिन के लिए अनुकूल नहीं हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम पूरी ताकत के साथ नहीं हो सकती है, लेकिन 8 वनडे भारतीय टीम को एक मजबूत विरोधियों के साथ खुद को परिचित कराने और विश्व कप के दौरान प्रयोग की जाने वाली किसी भी कमजोरियों को पकड़ने का अच्छा समय होगा। लेखक- अनिरूद्ध अनुवादक- सौम्या तिवारी

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