भारतीय टीम हमेशा आल-राउंडर्स की कमी से जूझती रही है। 1983 का विश्वकप जीतने वाली टीम में कपिल देव, मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल और रोजर बिन्नी जैसे अदद आल-राउंडर्स मौजूद थे जो अकेले दम पर किसी भी मैच का पासा पलटने का माद्दा रखते थे। लेकिन पिछले लगभग दो दशकों से भारतीय टीम को किसी अदद आलराउंडर विशेष रूप से, सीम ऑलराउंडर की कमी खली है। हालाँकि, वर्तमान समय में हार्दिक पांड्या के रूप में टीम के पास एक सीम ऑलराउंडर है। इससे पहले, थोड़े समय के लिए, इरफान पठान ने विश्वस्तरीय ऑलराउंडर के रूप में उभरना शुरू किया था, लेकिन जैसे ही उन्होंने बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया, गेंदबाज़ के रूप में उनके प्रदर्शन में कमी आती गई। तब से, भारतीय टीम में कई ऑलराउंडर्स ने टीम में अपनी जगह पक्की करने की कोशिश की है लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। तो आइये एक नज़र डालते हैं ऐसे पांच ऑलराउंडर्स पर जो टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की करने में असफल रहे: स्टूअर्ट बिन्नी स्टूअर्ट बिन्नी ने भारतीय टीम की ओर से सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी आंकड़े का रिकार्ड अपने नाम किया था जब उन्होंने बांग्लादेश के ख़िलाफ वनडे में सिर्फ 4 रनों पर 6 विकेट अपने नाम कर इतिहास रच डाला था। लेकिन, इसके बाद वह अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखने में नाकाम रहे। इससे पहले, आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। भारतीय टीम की तरफ से खेलते हुए उन्होंने 14 मैचों में 28 की संतोषजनक बल्लेबाजी औसत से रन बनाए हैं और 21 की गेंदबाजी औसत से 20 विकेट हासिल किये हैं। हालाँकि लगातार गिरते फार्म की वजह से उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। अपने अच्छे आल-राउंडर प्रदर्शन के बावजूद अनियमित फॉर्म की वजह से बिन्नी 2015 से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं। इरफ़ान पठान एक दशक पहले भारतीय टीम में एक साथ खेलने वाले पठान भाइयों की जोड़ी से क्रिकेट प्रशंसकों को काफी उम्मीदें थीं। लेकिन लगातार गिरती फिटनेस और अनियमित प्रदर्शन की वजह से उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। पठान भाईओं में से इरफ़ान पठान ने एक सीम आलराउंडर के रूप में भारत के लिए कई मैच खेले और गेंद और बल्ले दोनों से अहम योगदान दिया। उन्होंने 2004 में आईसीसी इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी जीता। अपने करियर के शुरुआती दिनों में, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में यादगार हैट्रिक बनाकर इतिहास रच दिया था। इसके अलावा उन्होंने बल्ले से भी कई मैच जिताऊ पारियाँ खेली हैं। इसका उदाहरण है ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2007-08 की टेस्ट सीरीज़, जिसमें उन्होंने डब्ल्यूएसीए की उछालभरी पिच पर मेज़बान टीम के खिलाफ 46 रन बनाकर भारत को मैच जिता दिया था। समय बीतने के साथ, वह अपना ज़्यादा ध्यान गेंदबाज़ी की बजाय बल्लेबाज़ी पर देने लगे जिसकी वजह से वह दोनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए संघर्ष करते रहे। नतीजतन, उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वह अभी तक भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाए हैं। ऋषि धवन हिमाचल प्रदेश के ऑलराउंडर ऋषि धवन को भारतीय टीम में सालों से चली आ रही अदद ऑलराउंडर की कमी को पूरा करने वाला खिलाड़ी माना गया था। भारतीय टीम के लिए तीन वनडे और एकमात्र टी -20 मैच में उन्होंने कुल 13 रन बनाए और 8.50 की महंगी इकोनॉमी रेट से केवल दो विकेट लिए। उन्होंने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे मैच से अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का पर्दापण किया था। लेकिन ऐसे प्रदर्शन के बाद धवन को टीम से बाहर कर दिया गया था, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ज़बरदस्त प्रदर्शन करने के बावजूद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे और अभी तक भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाए हैं। परवेज़ रसूल जम्मू-कश्मीर के ऑलराउंडर परवेज़ रसूल ने 2004 में रणजी ट्रॉफी में अपनी घरेलू टीम के लिए जबरदस्त प्रदर्शन किया था। अपने अच्छे प्रदर्शन के दम पर उन्हें आईपीएल में खेलने का मौका मिला और फिर 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज़ में रसूल को पहली बार भारतीय टीम में जगह मिली लेकिन उनकी कहानी बाकी खिलाड़ियों से अलग रही है। वह ऑफ स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं लेकिन विकेट लेने में असमर्थ हैं। उनकी गेंदबाजी में यह कमज़ोरी उनकी बल्लेबाजी क्षमताओं को भी प्रभावित करती है, जिसकी वजह से उन्हें भी टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उन्होंने 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी आखिरी टी-20 सीरीज़ खेली थी। अक्षर पटेल गुजरात के धीमी गति के बाएं हाथ के गेंदबाज़ अक्षर पटेल ने आईपीएल में गेंद और बल्ले दोनों से ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है। किंग्स इलेवन पंजाब के लिए उन्होंने कई मैच जिताऊ पारियाँ खेली हैं। इसी प्रदर्शन की बदौलत उन्हें भारतीय टीम में चुना गया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 38 मैचों में सिर्फ 45 विकेट लेने वाले इस हरफ़नमौला खिलाड़ी का अंतराष्ट्रीय करियर ग्राफ ज्यादा बढ़ नहीं सका। उन्होंने 2017 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेला था। लेखक: राहुल जैन अनुवादक: आशीष कुमार