टीम इंडिया की पुणे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया से हार वास्तव में इसलिए बड़ी है, क्योंकि वह न केवल घरेलू मैदान पर खेल रही थी, बल्कि लगभग हर चीज उसके अनुरूप ही थी। फिर चाहे मनफाफिक पिच की बात हो या टीम संयोजन की। खुद कप्तान विराट कोहली ने पुणे टेस्ट से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि पिच उनकी मांग के अनुरूप है। और वह उससे खुश हैं। टीम की बात करें तो यह लगभग वही टीम है, जो इससे पहले के 19 टेस्ट मैचों से हारी नहीं थी। टेस्ट में वर्ल्ड नंबर वन टीम इंडिया के लिए जब सबकुछ अच्छा था, तो फिर कमी कहां रह गई। जाहिर है ऐसे में एक्सपर्ट और क्रिकेट पंडिच इस हार का पोस्टमार्टम कर रहे हैं, और जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर कंगारू टीम ने ये कमाल किया तो किया कैसे। अगर आपको लगता है कि ऑस्ट्रेलिया की इस जीत में सिर्फ ओ कीफ और स्मिथ का बड़ा योगदान था, तो आपको इन 5 फैक्टर्स पर भी गौर करना होगा, जिनमें स्मिथ की सेना कोहली की सेना से बेहतर रही :
#1 डिलीवरी की लेंथ
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है, जब भारत की स्पिन फ्रेंडली पिच पर भारतीय स्पिनर्स से अच्छा प्रदर्शन विरोधी टीम के स्पिनर्स करें। पुणे टेस्ट में स्टीव ओ कीफ और नाथन लॉयन ने मिलकर 17 विकेट चटकाए। जबकि भारतीय स्पिनर्स 14 विकेट ही हासिल कर पाए। खास बात ये है कि भारतीय स्पिनर्स की औसत 30.14 रन प्रति विकेट रही। जबकि ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स की औसत 8.29 प्रति विकेट थी। दोनों टीमों में बड़ा अंतर क्या था ? पिच पहले दिन से टर्न करने लगी थी और गेंद ने स्क्वेयर टर्न लेना शुरू कर दिया था। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्टीव स्मिथ भी आउट साइड ऑफ स्टंप पर बीच हो रहे थे। इसके बाद जब ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स गेंदबाजी के लिए उतरे, तो उन्होंने बल्लेबाज को आगे जाकर शॉट खेलने के लिए मजबूर किया। जिसकी वजह से भारतीय बल्लेबाजों के एज लगे और ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स ने ज्यादा से ज्यादा विकेट हासिल किए। #2 क्लोज कैचिंग
स्टीवन स्मिथ के भारतीय फील्डरों ने एक के बाद एक तीन कैच छोड़े। स्मिथ ने इसका खूब फायदा उठाया और 109 रनों की पारी खेली। उनके दो कैच सब्स्टीट्यूट फील्डर अभिनव मुकुंद ने छोड़े, तो एक कैच मुरली विजय ने टपकाया। स्मिथ के अलावा मैच रेनशॉ को भी जीवनदान मिला। इसके अलावा मिचेल मार्श के भी कैच छोड़े गए और उन्होंने स्मिथ का अच्छा साथ निभाते हुए ऑस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर की ओर बढ़ाया। अगर टीम इंडिया स्मिथ का विकेट जल्दी ले पाती तो ऑस्ट्रेलिया को 100 से 150 के आसपास लुढ़काया जा सकता था। और 300 रनों की अगर लीड चौथी पारी में होती तो टीम इंडिया पर दबाव कम होता और शायद टीम इंडिया पलटवार कर सकती थी। ऐसी पिच जहां पर गेंद से कहीं से भी टर्न हो रही हो, भारतीय फील्डर्स को चुस्त रहना चाहिए था। लेकिन भारतीय फील्डर्स की सुस्ती के चलते भारत इस मैच को गंवा बैठा। भारतीय फील्डर्स को ऑस्ट्रेलियाई फील्डर्स से सीखने की जरूरत है, खासकर पीटर हैंड्सकॉम्ब से जिन्होंने 3 कैच पकड़े। स्लिप कैचिंग पिछले कुछ सालों से भारतीय टीम के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ऐसे में भारतीय टीम को समय रहते अपनी इस कमजोरी पर भी काम करना होगा क्योंकि अमूमन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ज्यादा मौके नहीं देते। #3 डीआरएस का गलत इस्तेमाल
विराट कोहली समेत भारतीय टीम के बल्लेबाजों ने रिव्यू फालतू में बर्बाद किए। जब दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी को उतरी, तब अश्विन और जयंत की दो बेहद टर्न होने वाली गेंदों पर कोहली ने रिव्यू ले डाले और ये दोनों रिव्यू शुरुआती ओवरों में ही बर्बाद चले गए। बाद में दो बार जब रिव्यू लेकर टीम इंडिया विकेट हासिल कर सकती थी। तब उनके खाते में रिव्यू नहीं बचे थे और इस तरह टीम इंडिया को खराब रिव्यू का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके बाद जब टीम इंडिया दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरी तो मुरली विजय और केएल राहुल ने साफ आउट होने के बावजूद रिव्यू का इस्तेमाल किया और दोनों रिव्यूज खराब हुए। इसके अलावा जब जडेजा गेंदबाजी कर रहे थे, तो उन्होंने स्मिथ के खिलाफ एल्बीडब्लयू की अपील की जिसे अंपायर ने खारिज कर दिया। लेकिन अगर रिव्यू लिया जाता तो स्मिथ 73 रन पर ही आउट हो जाते, लेकिन भारत अपने हिस्से सारे रिव्यू इस्तेमाल कर चुका था। बाद के ओवरों में जब साहा को एल्बीडब्लयू आउट दे दिया गया तब संशय लग रहा था कि उनके बैट से लगकर गेंद पैड में लगी है। चूंकि, रिव्यू पहले ही इस्तेमाल किए जा चुके थे। इसलिए यहां भी टीम इंडिया को निराश होना पड़ा। जाहिर है जिस तरह से स्मिथ ने डीआरएस का बेहतर इस्तेमाल किया कोहली को उनसे सीखने की जरूरत है। #4 लोअर ऑर्डर के बल्लेबाजों ने बनाए रन
दोनों पारियों को मिलाकर ऑस्ट्रेलिया के नीचे के पांच बल्लेबाजों ने 210 रन जोड़े, जबकि भारत के लोअर ऑर्डर ने जोड़े सिर्फ 28 रन। दोनों टीमों के बीच इस अंतर ने भी मैच के नतीजे पर असर डाला। स्टार्क ने पहली पारी में 61 रन बनाए। जबकि दूसरी पारी में 30 रनों का अहम योगदान दिया। वहीं पहली पारी भारतीय पुछल्ले बल्लेबाजों का काम तमाम ओ कीफ ने किया। तो दूसरी पारी नाथन लायन ने उन्हें आते ही पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। भारतीय टीम टेस्ट पिछले 19 टेस्ट से अपराजेय है, तो भारत की इस जीत में पुछल्ले बल्लेबाजों ने अहम योगदान दिया है। अश्विन, जडेजा, और जयंत ने लोअर ऑर्डर में बल्ले से भी रन बरसाए हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ये तीनों फ्लॉप रहे। हालांकि इस टेस्ट मैच में किसी भी टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज ने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी और लोअर ऑर्डर ने भी उन्हीं को फोलो करते हुए टीम का बंटाधार कर दिया। कुल मिलाकर भारतीय बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन के बाद स्टीवन स्मिथ अपने स्पिनर्स से बेहद खुश होंगे कि उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को अपने हाथ खोलने के भी मौके नहीं दिए। #5 धैर्य
पहली पारी में डेविड वॉर्नर ने 77 गेंदे खेली और 6 चौके जड़े तो उनका बाउंड्री प्रतिशत हुआ 12.83। जो कि उनके करियर बाउंड्री प्रतिशत 9.72 से भी ज्यादा है। जाहिर तौर पर इस रैवये से पता चलता है, कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने कितने धैर्य से बल्लेबाज की। वॉर्नर जैसे विस्फोटक बल्लेबाज ने आक्रामक न होकर धीमे खेला। वहीं भारतीय बल्लेबाजों में धैर्य की कमी दिखी। पहली पारी में मुरली विजय, केएल राहुल और विराट कोहली ने ऐसी गेंदों पर अपने विकेट खोए जहां पर विकेट नहीं देने चाहिए थे। ऑस्ट्रेलिया की 333 रन की बड़ी जीत कोई तुक्का नहीं है, ये जीत बताती है कि कंगारू टीम यहां पूरी तैयारी के साथ आई है। उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों पर अच्छा होमवर्क किया है। इसके अलावा किस्मत भी ऑस्ट्रेलिया के साथ रही। जिस तरह से कई खिलाड़ियों के कैच छोड़े गए और अंपायर के भी कुछ गलत फैसले ऑस्ट्रेलिया के हक में गए। अब बैंगलोर में होने वाले दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम बाउंस बैक की कोशिश करेगी। जिससे सीरीज का रोमांच दोगुना हो जाएगा।