टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 25 टेस्ट में कप्तानी करने वाले कप्तानों में विराट कोहली सबसे सफल कप्तान हैं। उनका जीत-हार का अनुपात 5.33 का रहा है। विराट को 16 मैच में जीत और 3 में हार मिली है। हालांकि विराट ने अभी तक ज्यादा मैच घरेलू मैदान पर खेलें हैं। अभी उन्हें खुद को विदेश में साबित करना है। ऐसे में उनपर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि उनकी टीम विदेश में कैसा प्रदर्शन करती है। वैसे अभी तक उनकी कप्तानी सही दिशा में बढ़ती दिख रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से बेहद शानदार तरीके से निपटा है। कोहली मौजूदा दौर के आधुनिक कप्तानों में से एक हैं। आज इस लेख के जरिये उन्हें हम इन 5 चीजों से निपटने के बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं: दूसरी नई गेंद लेने की पहेली को सुलझाना होगा टेस्ट में सभी कप्तानों के सामने सबसे बड़ी समस्या दूसरी नई गेंद लेने की होती है। क्योंकि नई गेंद लेना कभी सही निर्णय साबित होता है, तो कभी टीम के लिए बहुत ही खराब निर्णय होता है। कोहली को भी इस समस्या से रूबरू होना पड़ा है। इस पहेली से निपटने के लिए 28 वर्षीय स्टायलिश भारतीय कप्तान को कोई न कोई विकल्प तलाशना होगा। पुणे में ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले टेस्ट में कोहली ने नई गंद जब ली थी तो उनका ये निर्णय बेकार और ऑस्ट्रेलिया के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ था। मिचेल स्टार्क ने बतौर बल्लेबाज़ इस मैच में निर्णायक अर्धशतक ठोंक दिया था। बल्लेबाज़ के आक्रामक रवैये के बावजूद क्लोज फील्डर लगाना साल 2015 में दक्षिण के खिलाफ घरेलू सीरिज में अधूरी तैयार पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों की पोल खुल गयी थी। लेकिन बाकी के सीजन 2016/17 के टेस्ट मैचों में भारतीय टीम ने बड़े स्कोर बनाये। वहीं फील्डिंग के दौरान कप्तान कोहली विपक्षी बल्लेबाजों को हमेशा आक्रामक फील्ड सेटिंग से घेरने की कोशिश करते रहे हैं। जबकि कई बार विपक्षी बल्लेबाज़ आक्रामक स्ट्रोक भी खेल रहे होते थे, तब भी कोहली उनके क्लोज ही फीलर लगाते रहे हैं। जो एक तरह से निरर्थक साबित होता रहा है। इस बात को लेकर कोहली को सतर्क रहना होगा जब वह विदेशी दौरे पर होंगे। तो उन्हें इस चीज का नुकसान झेलना पड़ सकता है। पार्टनरशिप को तोड़ने के लिए पार्टटाइम गेंदबाजों का इस्तेमाल करें बात चाहे पुराने जमाने के क्रिकेट की हो या आधुनिक समय की। लेकिन बढ़ती साझेदारी को तोड़ने के लिए पार्टटाइमर का हमेशा अच्छा योगदान रहा है। इसलिए अच्छे गेंदबाज़ी परिवर्तन करना भी अहम होता है। जब मैच में बढ़ी साझेदारी बनती है, तो दबाव बनाने कठिन हो जाता है। इसलिए हमें गेंदबाज़ी परिवर्तन करके विपक्षी बल्लेबाज़ से गैर जरुरी गलती करवाना एक अहम चाल साबित होता है। ऐसा काम पार्टटाइमर गेंदबाज़ कर सकता है। मुरली विजय, रोहित शर्मा और करुण ऐसा करने में सक्षम हैं। गेंद का पीछा न करें फील्ड को सेट करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी किसी कप्तान की होती है। बॉल दर बॉल कप्तान फील्ड बदलने का काम करता रहता है। लेकिन बीते टेस्ट सीरिज में सबसे खास बात देखने को मिली है वह है कोहली का गेंद का पीछा करते हुए सीमा रेखा तक जाना। ये उनकी बड़ी गलती है। हालाँकि इसमें सुधार की जरूरत है। क्योंकि कप्तान को लगातार अपने गेंदबाज़ से बात करना चाहिए। जिससे वह प्रोत्साहित हो और विकेट भी ले सके। लेकिन कोहली ज्यादातर ऐसे मौके पर गेंद के पीछे भागते हुए नजर आते रहे हैं। मैदान के बाहर और भीतर कोहली को संतुलन बनाना होगा कोहली की कप्तानी का अहम हिस्सा छींटाकसी है। लेकिन उन्हें खुद को कण्ट्रोल करना भी सीखना होगा, क्योंकि छींटाकशी का नकारात्मक असर खुद के खिलाड़ियों पर भी पड़ता है। दुनिया की सभी टीमों में आक्रामकता से भारतीय टीम की आक्रामकता बेहद अलग है। लेकिन जब कप्तान खुद इसमें ज्यादा इन्वोल्व रहते हैं। जो कभी-कभी ज्यादा हो जाता है। ऐसा भारत और ऑस्ट्रेलिया सीरिज के दौरान काफी देखा गया है। स्टीव स्मिथ के साथ उनकी भिड़ंत पूरी सीरिज में चर्चा का विषय बनी रही है। सीरिज के बाद स्मिथ ने माफ़ी मांगी थी। जिससे कोहली को बचना चाहिए।