अगर बंटवारा नहीं हुआ होता तो बांग्लादेश के ये 5 प्लेयर शायद भारतीय टीम की तरफ से खेल रहे होते

हम अक्सर कई ऐसी जीचें सोचते हैं कि अगर ऐसा होता तो क्या होता, अगर ऐसा नहीं होता तो क्या होता, अगर ऐसा नहीं होता तो क्या होता। हमारे मन मे कई चीजों को लेकर कई विचार चलते रहते हैं। हमारे मन ये विचार कई बार चलते रहते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के बारे में हो सकता है कई बार आपके मन में ख्याल आया हो कि अगर भारत का विभाजन नहीं हुआ होता तो इंडियन टीम में कौन-कौन से खिलाड़ी खेल रहे होते। कौन-कौन से प्लेयर जो दूसरी टीमों से खेल रहे हैं वो भारतीय टीम से खेल रहे होते। अगर आपके मन में भी ये सवाल उठ रहा है तो आइए आपकी इस जिज्ञासा को हम शांत किए देते हैं। हम आपको उन 5 बांग्लादेशी खिलाड़ियों के नाम बताते हैं जो कि अगर बंटवारा नहीं हुआ होता तो शायद ब्लू ड्रेस में खेल रहे होते। 5. मोहम्मद अशरफुल इस लिस्ट में हम एक विवादास्पद खिलाड़ी से शुरुआत कर रहे हैं, और ये खिलाड़ी हैं बांग्लादेश के पूर्व कप्तान मोहम्मद अशरफुल। मैच फिक्सिंग की घटना के बाद उन पर साल 2018 तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया गया। 2013 में उनके ऊपर बैन लगने के बाद से अब तक बांग्लादेश की टीम काफी मजबूत टीम बन चुकी है। ऐसा लगता नहीं है कि बैन हटने के बाद अशरफुल बांग्लादेशी क्रिकेट टीम में वापसी कर पाएंगे। हालांकि इन सबको अगर छोड़ दें तो वो बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज थे जो कि अकेले अपने दम पर मैच जिताने का माद्दा रखते थे। वर्ल्ड क्रिकेट में उनसे अच्छा कीपर के ऊपर से पुल शॉट आज तक किसी ने नहीं खेला है। अशरफुल काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। अगर उन पर बैन नहीं लगा होता तो शायद आज वो वर्ल्ड क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में से एक होते। इस समय की बांग्लादेशी टीम में जितने भी बल्लेबाज हैं उनमे से किसी के भी अंदर शायद अशरफुल जैसा एट्टीट्यूड नही है। अगर भारत का बंटवारा नही हुआ होता तो शायद मोहम्मद अशरफुल भारतीय टीम का हिस्सा होते और सचिन, सहवाग, गांगुली और द्रविड़ जैसे दिग्गजों के साथ खेल रहे होते। 4. तमीम इकबाल tamim iqbaal मोहम्मद अशरफुल की तरह तमीम इकबाल भी काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। फर्क बस इतना है कि वो इस समय बांग्लादेश के ओपनर के तौर पर टीम में खेल रहे हैं। 2012 की एशिया कप के लिए जब बांग्लादेश की टीम का ऐलान हुआ तब उन्हे टीम से ड्रॉप कर दिया गया। इसके बाद उनके अंकल अकरम खान जो उस वक्त बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड में काम कर रहे थे। उन्होंने बीसीबी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इसके बाद जब उन्हे वापस बांग्लादेश की टीम में चुना गया तब वो एक अलग तरह के खिलाड़ी दिखे। एशिया कप में उन्होंने लगातार 4 अर्धशतक जड़े। जिसका नतीजा ये हुआ कि बांग्लादेश की टीम एशिया कप के फाइनल तक पहुंची। इससे पहले वनडे में उनका औसत 28.84 और टेस्ट में 38 का था। लेकिन जब दोबारा टीम में उनकी वापसी हुई तब उनके आंकड़े काफी बदल गए। वनडे में उनका औसत 44.54 हो गया, जबकि टेस्ट मैचो में उनका औसत 41.04 हो गया। अगर कुल मिलाकर देखें तो 2012 एशिया कप के बाद तमीम इकबाल बिल्कुल अलग तरह के खिलाड़ी नजर आए। अगर भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता तो वो भी शायद भारतीय टीम की तरफ से खेल रहे होते। 3. मुशफिकुर रहीम mushfiqur-rahim-of-bangladesh-in-action-during-the-icc-champions-picture-id692551308-800 ये सच है कि विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी का इंडियन क्रिकेट टीम में कोई सानी नही है। उनसे बेहतर विकेटकीपर शायद इस वक्त भारतीय क्रिकेट मे हो। लेकिन अगर बंटवारा नही हुआ तो शायद मुशफिकुर रहीम धोनी के एक विकल्प के तौर पर होते। मुशफिकुर रहीम भी काफी प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं। वो लंबे समय से बांग्लादेशी टीम के लिए विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर खेल रहे हैं। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी में सुधार के लिए काफी कड़ी मेहनत की है। यही वजह है कि वो इस समय बांग्लादेश के भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक हैं। तमीम इकबाल की ही तरह मुशफिकुर की बल्लेबाजी में भी 2012 एशिया कप के बाद काफी सुधार आया। टूर्नामेंट से पहले वनडे मैचो में उनका औसत 25.47 का था लेकिन टूर्नामेंट के बाद ये औसत बढ़कर 40.86 का हो गया। टेस्ट मैचो में भी 2012 एशिया कप से पहले जहां उनका औसत 29.01 का था वहीं इसके बाद 43.53 का हो गया। यहां एक रोचक आंकड़ा ये भी है कि उसी दौरान एम एस धोनी का टेस्ट मैचो में औसत 40.20 का रहा। 2. मुस्तफिजुर रहमान mustafizur-rahman-of-bangladesh-bowls-during-the-icc-champions-trophy-picture-id692623546-800 जिस तरह से मुस्तफिजुर रहमान ने अपने करियर की शुरुआत की थी उसे देखकर सब यही कहने लगे थे कि वो वसीम अकरम के बाद एशिया के बेस्ट लेफ्ट ऑर्म सीमर होंगे। हालांकि बेहतरीन शुरुआत के बाद उनकी लय जाती रही। हालांकि इसके बावजूद उनके अंदर टैलेंट की कोई कमी नही है। इसका एक उदाहरण 2016 के आईपीएल सीजन में देखने को मिला था। उनके आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि उनके अंदर काफी प्रतिभा है। 22 वनडे मैचो में मुस्तफिजुर अब तक 19.79 की औसत से 44 विकेट झटक चुके हैं। इस दौरान उनका इकॉनामी रेट महज 4.89 का रहा। मुस्तफिजुर ने अब तक सिर्फ 4 टेस्ट मैच ही खेले हैं। इसलिए उस पर हम ज्यादा गौर नहीं करेंगे। लेकिन टी-20 मैचो में उनका रिकॉर्ड काफी बेहतरीन रहा है। 46 टी-20 मैचो में वो 18.16 की औसत से 62 विकेट झटक चुके हैं। उनकी इकॉनामी भी इस दौरान सिर्फ 6.47 की रही। इस समय भारतीय टीम में उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे प्रतिभाशाली तेज गेंदबाज हैं। लेकिन इनमे से कोई लेफ्ट ऑर्म पेसर नही है। लेफ्ट ऑर्म पेसर काफी प्रभावशाली होते हैं, इसलिए सभी टीमें इसकी खोज मे रहती हैं। इसलिए शायद जहीर खान भारत के महान तेज गेंदबाजों में से एक हैं और आशीष नेहरा अभी तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहे हैं। 1.शाकिब-अल-हसन bangladesh-batsman-shakib-al-hasan-hits-out-during-the-icc-champions-picture-id694191170-800 शाकिब इस लिस्ट मे अकेले ऐसे प्लेयर हैं जो कि निश्चित ही भारतीय टीम का हिस्सा होते। भारतीय टीम ही क्यों दुनिया की कोई भी टीम उन्हे अपने अंतिम 11 में रखना चाहेगी। जिस तरह के वो खिलाड़ी हैं दुनिया की कोई भी टीम उन्हे खिलाना पसंद करेगी। लोग शायद उनका एट्टीट्यूड ना पसंद करें लेकिन उन्होने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी कड़ी मेहनत की है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जब शाकिब बांग्लादेश की टीम में खेलने आए उसके बाद से टीम में जबरदस्त सुधार हुआ। अपने खेल से उन्होंने टीम के बाकी खिलाड़ियों को भी इंस्पायर किया। नतीजा ये हुआ कि बांग्लादेश की टीम एक मजूबत प्रतिद्वंदी बनकर सामने आई। इस समय क्रिकेट के तीनों प्रारुपों में वो दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर हैं। ये उपलब्धि हासिल करने वाले वो दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं और शायद लंबे समय तक कोई खिलाड़ी इस मुकाम तक ना पहुंच पाए। अगर बंटवारा नहीं हुआ होता तो शाकिब मेन इन ब्लू की तरफ से चौके-छक्के लगाते और विकेट लेते नजर आते। लेखक- उमीद कुमार डे अनुवादक-सावन गुप्ता

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